मास्क लगाकर राष्ट्रपति कोविंद परिवार संग गंगा आरती में हुए शामिल, हवन के मौके पर सीएम और गर्वनर ने किया परहेज
राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द रविवार सायं को अपनी पत्नी एवं भारत की पहली महिला सविता कोविंद, अपनी पुत्री के साथ परमार्थ निकेतन आश्रम पहुंचे। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज के पावन सान्निध्य में ऋषिकुमारों और आचार्यों ने तिलक लगाकर, पुष्प वर्षा और शंख ध्वनि से सभी का दिव्य स्वागत किया।
स्वामी ने पवित्र रुद्राक्ष का पौधा और इलायची की माला से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का दिव्य स्वागत किया। आरती के पश्चात राष्ट्रपति और प्रथम महिला सविता कोविंद और उनकी बेटी ने पवित्र गंगा जी में दीप प्रवाहित किये। तत्पश्चात भारत के राष्ट्रगान के गायन के साथ गंगा आरती समारोह का समापन हुआ।
गंगा की महिमा के बारे में जितना भी कहा जाए, कम
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सायंकाल परमार्थ निकेतन की विश्व विख्यात माँ गंगा जी की आरती में सहभाग कर वैश्विक परिवार को सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि काफी वर्षों से उनकी काफी इच्छा थी कि वह गंगा आरती में शामिल हो सकें, फिर कोरोना महामारी के कारण भी कार्यक्रम टलता गया। आज उन्हें अपार खुशी है कि उनकी अधूरी इच्छा पूर्ण हुई है। यह हद्वय को स्पर्श करने वाला क्षण है। राष्ट्रपति ने कहा कि मां गंगा के बारे में जितना भी कहा जाए वह कम है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मां गंगा भारत की अस्मिता है, गंगा मां के बिना भारत वर्ष अधूरा है व भारत के बिना मां गंगा अधुरी है। यह मिश्रण अथवा एक दूसरे के पूरक रूपी वरदान सृष्टि कर्ता ने केवल और केवल भारत मां को दिया है।
कार्यक्रम में परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज के साथ चर्चा करते हुये राष्ट्रपति ने स्वामी जी के मार्गदर्शन और नेतृत्व में चलाए जा रहे विभिन्न सेवा कार्यो पर विस्तृत चर्चा की।
स्वामी ने माननीय राष्ट्रपति का स्वागत करते हुये उनके जीवन की अविश्वसनीय जीवन यात्रा, राष्ट्र की सेवा के लिए उनकी प्रतिबद्धता और उनके अद्भुत नेतृत्व के साथ कुम्भ मेला प्रयागराज यात्रा की स्मृतियों को ताजा किया। यह यात्रा स्वयं से वयं की यात्रा है, अनेकता से एकता की यात्रा है।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने बताया कि वर्ष 1953-54 में भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद और डॉ सर्वपल्ली राधा कृष्णन के अभिनन्दन का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ था। वर्ष 2019 प्रयागराज कुम्भ मेला में परमार्थ निकेतन शिविर में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का अभिनन्दन और सान्निध्य का सौभाग्य प्राप्त हुआ था।
आज के दिव्य कार्यक्रम में मां गंगा, सभी जल निकायों और हमारी प्रकृति, पर्यावरण के संरक्षण और संवर्द्धन हेतु स्वामी से प्रेरित होकर विश्व प्रसिद्ध ग्रैमी पुरस्कार नामांकित, भक्ति गायिका स्नातम कौर द्वारा लिखित और उनके साथ ही ग्रैमी पुरस्कार नामांकित देवा प्रेमल और मितेन, कृष्णा दास, सीसी व्हाइट और अन्य साथियों द्वारा गाया गया एक दिव्य गान ‘गंगा गान’ (गंगा एंथम) गंगा आरती के दौरान प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (से. नि.) गुरमीत सिंह, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, पूर्व मुख्यमंत्री एवं सांसद गढ़वाल तीरथ सिंह रावत, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत, जिलाधिकारी पौड़ी डॉ विजय कुमार जोगदण्डे, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पी रेणुका देवी, मुख्य विकास अधिकारी प्रशांत आर्य, ग्लोबल इंटरफेथ वाश एलायंस की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव डॉ. साध्वी भगवती जी सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे।
इसलिए है मास्क जरूरी
कोरोना के नए वेरिएंट को लेकर पूरी दुनिया सतर्क है। वहीं, भारत सरकार इसे लेकर दो बार एडवाइजरी जारी कर चुकी है। इसके बावजूद चुनावी राज्यों में कोरोना को लेकर कोई भी डर नजर नहीं आ रहा है। उत्तराखंड में तो सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ ही सीएम तक मास्क लगाने में परहेज कर रहे हैं। वहीं, सड़कों पर आम लोगों के चालान जरूर काटे जा रहे हैं। गत दिवस देहरादून में सब्जी मंडी क्षेत्र में मास्क और शारीरिक दूरी को लेकर 17 लोगों के चालान काटे गए। इनसे बेखबर राजनीतिक दलों की ताबड़तोड़ बैठकों और रैलियों का सिलसिला भी तेज है। इन सबके बावजूद चिंताजनक ये है कि मास्क लगाना शायद नेताओं के साथ आमजन भी भूल गए हैं। गौर करने वाली बात ये है कि हाल ही में कर्नाटक में मेडिकल कॉलेज में जो पौने तीन सौ से ज्यादा छात्र व स्टाफ संक्रमित मिला, उनमें अधिकांश ने कोरोना की दो डोज लगा रखी थी। वहीं, रविवार को कोरोना के नए संक्रमितों में उत्तराखंड में भी उछाल आया और 35 लोग पॉजिटिव पाए गए। अब इससे बचाव कोरोना के तीन नियमों का पालन है। इसमें मास्क, शारीरिक दूरी और हाथों को बार बार साफ करना शामिल है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।