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November 11, 2024

चुनावी साल में उत्तराखंड की बड़ी आबादी को लुभाने की तैयारी, 13 लाख परिवारों को मिलेगी मुफ्त बिजली

चुनावी साल में उत्तराखंड में धामी सरकार अब प्रदेश की बड़ी आबादी को लुभाने का प्रयास कर रही है। यदि सब कुछ योजना के मुताबिक चला तो प्रदेश में 13 लाख से अधिक बीपीएल व अंत्योदय परिवारों को बिजली बिलों में बड़ी राहत देने की तैयारी कर रही है।

चुनावी साल में उत्तराखंड में धामी सरकार अब प्रदेश की बड़ी आबादी को लुभाने का प्रयास कर रही है। यदि सब कुछ योजना के मुताबिक चला तो प्रदेश में 13 लाख से अधिक बीपीएल व अंत्योदय परिवारों को बिजली बिलों में बड़ी राहत देने की तैयारी कर रही है। ऊर्जा मंत्री डा. हरक सिंह रावत के अनुसार इन परिवारों को एक निश्चित यूनिट तक मुफ्त बिजली देने पर विचार चल रहा है। इसके अलावा कृषि, बागवानी व डेयरी से जुड़े उद्यमों के लिए व्यवसायिक की बजाय बिजली की घरेलू दरें निर्धारित की जा सकती है। उन्होंने कहा कि जल्द ही इन दोनों विषयों पर प्रस्ताव तैयार कर कैबिनेट में लाया जाएगा।
ऊर्जा, वन पर्यावरण, श्रम कौशल एवं आयुष मंत्री डा. रावत ने कहा कि बीपीएल और अंत्योदय परिवारों को मुफ्त खाद्यान्न देने के जो मानक हैं, उसी के अनुरूप मुफ्त बिजली देने के मानक तैयार किए जाएंगे। एक निश्चित यूनिट तक ऐसे परिवारों को बिजली दी जाएगी। उन्होंने कहा कि इस बारे में ऊर्जा निगम के अधिकारियों को सभी पहलुओं पर विचार कर प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं।
डा. रावत ने कहा कि कोरोना संकट के चलते उपजी परिस्थितियों में कृषि, बागवानी और डेयरी से जुड़े उद्यम रोजगार के लिहाज से एक बड़ी उम्मीद बनकर उभरे हैं। इन क्षेत्रों में अधिक से अधिक लोग आगे आएं, इसके लिए इन उद्यमों को व्यवसायिक की बजाए घरेलू टैरिफ में शामिल किया जाएगा।
कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत मंगलवार को दिल्ली पहुंच गए। वह दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भेंट कर राज्य के विकास से जुड़ी योजनाओं पर चर्चा करेंगे। इसमें मुख्य रूप से गढ़वाल-कुमाऊं को जोड़ने वाली कंडी रोड के निर्माण के लिए उप्र और उत्तराखंड के मुख्यमंत्रियों की बैठक कराने पर जोर दिया जाएगा। यह सड़क उत्तराखंड के दोनों मंडलों को राज्य के भीतर सीधे आपस में जोड़ती है, लेकिन इसके चिलरखाल-कालागढ़-रामनगर हिस्से में पर्यावरणीय पेच है। ऐसे में इसके कुछ हिस्से को उप्र से होकर भी गुजारा जा सकता है।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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