साधना के लिए शुभ है पौष का महीना, नहीं होते शुभ काम, जानिए क्या करें या ना करें, बता रहे हैं आचार्य डा. संतोष खंडूड़ी
नहीं होते मांगलिक कार्य
पौष माह 15 दिसंबर से शुरू हो गया है। ये माह 13 जनवरी तक है। मकर संक्रांति के दिन से ही शुभ कार्यों की शुरूआत हो जाएगी। कुंभ की शुरूआत भी इसी दिन से होगी। पौष माह में गृह प्रवेश, मंगल कार्य, शादी, सगाई, चूड़ाकर्म संस्कार आदि सभी वर्जित हैं। इस माह सिर्फ भगवान की आराधना की जाती है।
पौष माह में इनका है महत्व
पौष माह में दो एकादशी पड़ती हैं। इसमें पहली एकादशी कृष्ण पक्ष को होती है। इसे सफला एकादशी कहा जाता है। दूसरी एकादशी शुक्ल पक्ष में होती है। इसे पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। इस माह पौष अमावस्या और पौष पर्णिका का भी महत्व होता है।
दोष से मुक्ति पाने का उत्तम महीना
इन त्योगारों में अगर कोई पितृ दोष या कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए व्रत एवं उपवास के साथ पूजा करता है तो उसे निश्चित ही इन दोषों से मुक्ति मिलती है। इस माह में 10 महाविद्या का विशेष प्रयोग किया जा सकता है। जो समस्त बाधाओं और कष्टों से मुक्ति प्रदान करने में सफल सिद्ध होता है। पौस के महीने मे समस्त तन्त्र बाधाओं की मुक्ति लिये भी यह श्रेष्ठ मास है। अर्थात सभी प्रकारों की दोष से मुक्ति प्राप्त करने का उत्तम समय है।
पौष माह में कैसे करें सूर्य की उपासना
रोज सुबह उठकर स्नान के पश्चात् तांबे के लोटे से सूर्य को अर्घ्य दें। जल में रोली और लाल रंग के पुष्प जरूर डालें। जल चढ़ाते समय ‘ऊं आदित्याय नम:’ मंत्र का जाप करें।
इन बातों का रखें ख्याल
– इस माह में नमक का सेवन कम या ना के बराबर करना चाहिए।
– चीनी की जगह गुड़ का सेवन करें।
– मेवे और स्निग्ध चीजों का प्रयोग करें।
– अजवायन, लौंग और अदरक का इस्तेमाल हितकारी है।
– इस महीने में ठंडे पानी का प्रयोग बिलकुल ना करें।
– बासी खाने से दूर रहें।
इस समय करें उपासना
पौष के महीने में मध्य रात्रि को साधना करना विशेष फलदायी माना जाता है। इस माह में गर्म कपड़े और अनाज का दान करें। लाल रंग के वस्त्रों का प्रयोग इस माह में भाग्य में वृद्धि करता है। कपूर की सुगंध ये पौष के महीने में सेहत बेहतर रहती है और कोई रोग परेशान नहीं करता है।
गर्म कपड़ों का करें दान
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस महीने में सूर्य देव की पूजा उनके भग नाम से की जाती है। भग नाम सूर्य को ईश्वर का ही स्वरूप माना गया है। इस महीने में सूर्य को अर्घ्य देने और उपवास रखने का विशेष महत्व है। इस महीने में प्रत्येक रविवार को व्रत एवं उपवास रखने और तिल चावल की खिचड़ी का भोग लगाने से व्यक्ति तेजस्वी और आत्मविश्वासी बनता है। साथ ही इस माह गर्म कपड़े दान करने चाहिए।
आचार्य का परिचय
आचार्य डॉक्टर संतोष खंडूडी (धर्मज्ञ)
कारगी चौक चंद्र विहार देहरादून।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।