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November 7, 2024

तिरंगे पर सियासत, राजनीति का चढ़ा रंग, क्या देश प्रेम दर्शाने का ये है पैमाना, टीवी एंकर रवीश कुमार सहित आम यूजर्स की प्रतिक्रिया

इन दिनों देश आजादी का 75वां महोत्सव मना रहा है। इसके साथ ही तिरंगे को लेकर भी सियासत तेज हो गई है। मानों तिरंगा ही देशभक्ति का मानक बनता जा रहा है। जैसे आप घर में पूजा करने की बजाय मंदिर में जाकर मत्था टेकोगे तो शायद तभी आप आस्तिक कहलाओगे। इसी तरह तिरंगे को लेकर देशभक्ति कम और दिखावा ज्यादा होने लगा है। देशभक्ति दिल में होती है, इसका प्रदर्शन नहीं किया जा सकता है। अब बीजेपी हो या कांग्रेस। दोनों ही दलों के साथ ही अन्य छोटी बड़ी राजनीतिक पार्टियों ने तिरंगे को ही सियासी हथियार बना लिया है। इसे लेकर आरोप और प्रत्यारोपों की झड़ियां सोशल मीडिया में लग रही हैं। मैं भी चौकीदार हूं, अभियान के तहत एक बार सोशल मीडिया में हर यूजर्स अपनी डीपी में-मैं भी चौकीदार हूं, लगाता फिर रहा था। वहीं, अब ना तो चौकीदार ही किसी के सोशल मीडिया में नजर आता है और ना ही चौकीदार देश का पैसा लेकर भागने वालों को रोक पाया है। इसी तरह पांच दस दिन के लिए तिरंगे के नाम पर देश प्रेम का ढिंढौरा पीटना शुरू हो गया है। आम जनता के गरीबी, बेरोजगारी, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि के मुख्य मुद्दे तिरंगे की आंधी में गायब हो रहे हैं। रुपया निरंतर डॉलर के आगे घुटने टेक रहा है। वहीं, सोशल मीडिया में तिरंगे के नाम पर खुद को असली देश प्रेमी घोषित करने की बाढ़ आ गई है। यहां हम आपको राजनीतिक, टीवी एकंर के साथ ही आम यूजर्स के उन विचारों को भी पढ़ाएंगे, जो सोशल मीडिया में अपनी राय दे रहे हैं। इससे पहले हम यहां ये बताना चाहते हैं कि क्या तिरंगे को लेकर आज ही लोगों में अचानक प्रेम जागा या फिर ये ठीक उसी तरह है, जैसे आपके जीवन में रूटीन के अन्य कार्य होते हैं। पहले भी शिक्षण संस्थान, सरकारी संस्थानों में तिरंगा फहराने के साथ ही सांस्कृतिक आयोजन होते रहे और लोग भी घरों में तिरंगा रखते रहे। या लगाते रहे। हालांकि, अब कागज और प्लास्टिक का तिरंगा भी दिखने लगा है। वहीं, अब तो पॉलिएस्टर के तिरंगे भी नजर आने लगे हैं। चालीस साल पहले तिरंगा सिर्फ खादी का ही होता था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

45 साल पहले स्वाधीनता दिवस और गणतंत्र दिवस
मुझे याद है कि जब मैं बच्चा था तो हमारे घर में खादी के दो तिरंगे होते थे। इन्हें माताजी ने लोहे के काले बॉक्स में संभालकर रखा था। स्वाधीनता दिवस और गणतंत्र दिवस के दिन इन झंडों को निकाला जाता था। जब मैं छोटा था तो उस समय मेरा भाई एक लंबे बांस के डंडे पर एक झंडे को लगाता। फिर उसे घर के आंगने में डंडे को स्थापित किया जाता। आस पड़ोस के बच्चों सहित महिलाएं और पुरुष हमारे घर के पास एकत्र हो जाते। फिर किसी एक से ध्वजारोहण कराया जाता। बाद में सब को बूंदी के लड्डू भी बांटे जाते। ये सिलसिला काफी साल तक चलता रहा। बाद में ध्वजारोहण की तैयारी की जिम्मेदारी मेरे ऊपर आ गई। इसे तब तक जारी रखा गया, जब तक लोग अपने अपने घरों में तिरंगा नहीं फहराने लगे। तब ना तो हमसे किसी ने तिरंगा फहराने के लिए आह्वान किया और ना ही तिरंगा ना फहराने वालों को देशद्रोही कहा गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए) (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सरकारी संस्थानों में ध्वजारोहण के बाद लड्डू के लिए लगती थी भीड़
उस दौरान हर सरकारी संस्थानों में ध्वजारोहण सबसे बड़ा अधिकारी करता था। मेरा आवास देहरादून में एनआइवीएच में था। जहां ध्वजारोहण के कार्यक्रम में वे लोग भी उपस्थित होते थे, जो इस संस्थान में नौकरी नहीं करते थे। यानि की आस पास के मोहल्लों के लोग। तब ध्वजारोहण के बाद हर व्यक्ति को एक पैकेट मिलता था। उसमें चार बूंदी के लड्डू होते थे। बच्चों को दो लड्डू वाला पैकेट दिया जाता था। धीरे धीरे लड्डू चार से दो हुए और फिर बंटने भी बंद हो गए। ऐसे में ये आयोजन भी संस्थान तक सिमट गया। संस्थान के कर्मचारियों की भी ऐसे कार्यक्रमों में दिलचस्पी कम होने लगी। हालांकि कई लोग अपने घरों में एक झंडा जरूर कहीं ऊंचे स्थान पर लगाते रहे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

देश में तेज हुई सियासत
दिल्ली में सांसदों की तिरंगा यात्रा पर अब सियासत तेज हो गई है। कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के सांसद इस यात्रा में शामिल नहीं हुए। राहुल गांधी समेत कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने इस यात्रा में हिस्सा नहीं लिया। इन लोगों ने तिरंगा यात्रा में शामिल होने की बजाय अपनी डीपी पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरू की तस्वीर लगाई। जिसमें वो हाथों में तिरंगा लिए नजर आ रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

विपक्ष का कोई भी सांसद तिरंगा यात्रा में नहीं हुआ शामिल
वहीं बीजेपी ने तिरंगा यात्रा से विपक्ष की दूरी को लेकर निशाना साधा है। बीजेपी नेताओं ने राहुल गांधी समेत सभी विपक्षी दलों पर तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगाया है। इस तिरंगा यात्रा का आयोजन संस्कृति मंत्रालय की ओर से किया गया था और इसमें हिस्सा लेने के लिए देश के सभी सांसदों को आने का निमंत्रण भेजा गया था, लेकिन विपक्ष का कोई भी सांसद इस यात्रा में शामिल नहीं हुआ। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बीजेपी पर लगाया झंडा बेचने का आरोप
मध्य प्रदेश में बीजेपी के तिरंगा अभियान के बाद मध्य प्रदेश कांग्रेस ने राष्ट्रध्वज तिरंगा को लेकर बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपी तिरंगा बेच रही है। वही कांग्रेस ने घोषणा की है कि वह लोगों को तिरंगा झंडा मुफ्त में बांटेगी। कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने कहा है कि उनके विधानसभा क्षेत्र में मुफ्त झंडा स्वतंत्रता सेनानियों की फोटो के साथ बांटेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

राहुल गांधी को देश से नहीं, सिर्फ अपने वोट बैंक से प्यारः मनोज तिवारी
इस बीच तिरेंगे को लेकर आरोप और प्रत्यारोपों का दौर तेज हो गया है। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा-‘हम भारत की आज़ादी के 75 साल मना रहे हैं और इस संदर्भ में हर घर में तिरंगा फहराना हमारा उद्देश्य है। तिरंगा रैली में हमने सभी को बुलाया था, लेकिन फिर भी विपक्ष नहीं आया तो हम कुछ नहीं कह सकते। हम इसमें राजनीति नहीं करना चाहते। बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने राहुल गांधी पर हमला बोलते हुए कहा कि अगर राहुल यात्रा में शामिल होते तो उनका कद बढ़ जाता है, लेकिन उनका शामिल नहीं होता बताता है कि उन्हें देश से नहीं सिर्फ अपने वोट बैंक से प्यार है। गोरखपुर से बीजेपी सांसद रविकिशन ने विपक्षी सांसदों के तिरंगा यात्रा में शामिल नहीं होने पर सवाल उठाया। रवि किशन ने कहा कि विपक्ष अभी तक तुष्टिकरण की राजनीति को नहीं छोड़ रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सरकारी कार्यक्रम को राजनीतिक कार्यक्रम बनायाः अधीर रंजन
वहीं कांग्रेस के सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हम बीजेपी के सरकारी कार्यक्रम को अगर राजनीतिक कार्यक्रम बनाया जाएगा तो हम उसमें शामिल नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि आज़ादी की जंग के समय जो अखबार निकला था उसके ख़िलाफ़ आज घिनौनी साजिश हो रही है। हम अपना कार्यक्रम करेंगे, हम भाजपा के पॉलिटिकल एजेंडा में कैसे शामिल हों? सरकारी कार्यक्रम को अगर राजनीतिक कार्यक्रम बनाया जाए उसमें हम शामिल नहीं होंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कांग्रेस नेताओं ने हाथ में तिरंगा लिए नेहरू की तस्वीर वाली डीपी लगाई
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा समेत पार्टी के कई नेताओं ने बुधवार को अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल पर देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की हाथ में तिरंगा लिए तस्वीर डीपी (डिस्प्ले पिक्चर) के तौर पर लगाई। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने हाथ में तिरंगा लिए नेहरू की तस्वीर वाली डीपी लगाने के बाद ट्वीट किया कि देश की शान है हमारा तिरंगा, हर हिंदुस्तानी के दिल में है, हमारा तिरंगा। पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने इसी तस्वीर की डीपी लगाई और कहा कि विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा। कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर भी डीपी के तौर पर यही तस्वीर लगाई गई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

RSS ने 52 सालों तक हेडक्वार्टर में झंडा नहीं फहरायाः जयराम रमेश
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भी इसी तस्वीर को बतौर डीपी लगाया है। उन्होंने ट्वीट किया कि वर्ष 1929 के लाहौर अधिवेशन में रावी नदी के तट पर झंडा फहराते हुए पंडित नेहरू ने कहा था एक बार फिर आपको याद रखना है कि अब यह झंडा फहरा दिया गया है। जब तक एक भी हिंदुस्तानी मर्द, औरत, बच्चा जिंदा है, यह तिरंगा झुकना नहीं चाहिए। देशवासियों ने ऐसा ही किया। उन्होंने कहा कि हम हाथ में तिरंगा लिए अपने नेता नेहरू की तस्वीर डीपी के तौर पर लगा रहे हैं, लेकिन लगता है प्रधानमंत्री का संदेश उनके परिवार तक ही नहीं पहुंचा। जिन्होंने 52 वर्षों तक नागपुर में अपने मुख्यालय में झंडा नहीं फहराया, वे क्या प्रधानमंत्री की बात मानेंगे? (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मोहन भागवत जी, तिरंगा लेकर हाज़िर हों…मीडिया और विपक्ष खोज रहा हैः (रवीश कुमार की फेसबुक वाल से)
17 जुलाई को ही अमित शाह ने कहा था कि 22 जुलाई से सोशल मीडिया पर तिरंगा की तस्वीर लगाने का अभियान चलेगा।सभी सोशल मीडिया के खाते की डिस्प्ले पिक्चर DP में तिरंगा की तस्वीर लगाए। 22 जुलाई आ गई, किसी ने कुछ नहीं किया जबकि गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्रियों से बैठक के बाद अपील की थी। संघ ने भी अमित शाह की अपील पर अपनी DP में तिरंगा की तस्वीर नहीं लगाई। प्रधानमंत्री ने भी DP नहीं बदली न मंत्रियों ने। कई दिन बीत गए तब प्रधानमंत्री मोदी ने अपील की कि 2 अगस्त से सभी अपनी DP में तिरंगा लगाए। ऐसे में संघ प्रमुख की DP बदल जानी चाहिए थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कई लोग चैलेंज कर रहे हैं कि संघ तिरंगा की तस्वीर डीपी में नहीं लगाएगा। अभी के लिए यह चैलेंज सही भी है लेकिन कई दिन बाक़ी हैं। हो सकता है अगले कुछ दिन में लगा दे। सवाल यह भी होना चाहिए कि 2002 के पहले की भी कोई तस्वीर लगाए। जिससे पता चले कि 2002 के पहले संघ अपने मुख्यालय पर तिरंगा फहराता रहा है। उसके पुराने नेताओं की खूब सारी तस्वीरें होंगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

जिस तरह से बीजेपी इस अभियान में लगाई गई है,यह कहना जल्दीबाज़ी हो सकती है कि संघ के कार्यकर्ता बीजेपी का काम नहीं करेंगे।तिरंगा अभियान के लिए नहीं निकले होंगे। जल्दी ही संघ के कार्यकर्ता तिरंगा लेकर मोदी जी का दिया हुआ टास्क पूरा करते नज़र आ जाएँगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

तिरंगा बनाने के कारोबार का भी हिसाब कभी होगा ही। गुजरात में हज़ारों लोगों को काम मिला है। क्या इसका संबंध चुनाव से पहले तिरंगा बनाने के बहाने लोगों को थोड़े समय के लिए सही, रोज़गार देना है। जैसे ही उम्मीद ख़त्म होती है दो चार हफ़्तों का काम देकर उम्मीद पैदा कर दी जाती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मैं इसे एक उदाहरण के रूप में रखना चाहता हूँ ताकि आप घर-घर तिरंगा अभियान के पीछे की मानसिकता को समझ सकें । “15 अगस्त को अनगिनत जगहों पर करोड़ों लोग तिरंगा फहराते हैं। इस पर मोदी शाह अपना ठप्पा लगाना चाहते हैं। आप रोज़ नहाते हैं,एक दिन मोदी जी ने कह देंगे कि रोज़ नहाना चाहिए और देश कहने लग जाए कि हम मोदी जी के कहने पर नहा रहे हैं। घर-घर तिरंगा अभियान वही है।” (रवीश कुमार) (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सोशल मीडिया में आई प्रतिक्रिया की बाढ़
तिरंगे को लेकर जिस प्रकार से सियासत तेज हो रही है, उसी तर्ज पर सोशल मीडिया में आरोप और प्रत्यारोपों की बाढ़ भी आ गई है। लोग तिरंगे के नाम पर सियासत करने पर सरकार को निशाना बना रहे हैं। हालांकि ऐसे लोगों में कांग्रेस या विपक्ष के लोग भी ज्यादा हो सकते हैं। हम यहां इस बहस में नहीं पड़ना चाहते हैं। हम सिर्फ लोगों की राय ही आप तक पहुंचा रहे हैं। उत्तराखंड में डॉ. केएस राणा ने तिरंगे के साथ सोशल मीडिया में लिखा कि तिरँगा हमारी आन-बान-शान और मान है! यह हमारे लिए प्रचार अथवा वोट बटोरने का साधन नहीं होना चाहिये। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

एक अन्य यूजर्स ने लिखा कि – क्या मज़ाक हैं! जिन्होने हमेशा अंग्रेज़ो के तलवे चाटे, उनके गुरु ने तिरंगा पहली बार केवल बीस साल पहले अपने मुख्यालय पर तिरंगा फहराया। आज वे माफ़ीवीर हमे घरों पर तिरंगा फहराने का आदेश देते है, और वह भी चीन से आयातित पॉलिस्टर का। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कुलदीप जखमोला लिखते हैं कि खादी से राष्ट्रीय ध्वज बनाने वालों की आजीविका को नष्ट क्यों किया जा रहा है ? और चीन से मशीन निर्मित, पॉलिएस्टर झंडे के आयात की अनुमति क्यों दी गई? दूसरी पोस्ट में जखमोला लिखते हैं कि अंध भक्तों कृपया करके प्रकाश डालें। 52 सालों तक RSS ने अपने मुख्यालय पर तिरंगा क्यों नहीं फहराया? मेरी DP जवाहरलाल तिरंगे के साथ मेरी चुनौती है कि सावरकर, गोलवलकर या श्यामाप्रसाद मुखर्जी के प्रशंसक अपने नेता के हाथ में तिरंगे वाली DP लगाएँ। शिव प्रकाश सती लिखते हैं कि 5 जी स्पैक्ट्रम 2 जी से सस्ता बेच दिया है।आप लोग डीपी पर तिरंगा लगाएं। मस्त रहें। हम बेचते रहेंगे।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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