राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने डीएम के जरिये सीएम को भेजा ज्ञापन, मलिन बस्तियों के नियमितिकरण की मांग
उत्तराखंड में मलिन बस्तियों में रहने वाले लोगों को मालिकाना हक देने की मांग जोर पकड़ने लगी है। आज बुधवार को 23 अक्टूबर को विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक संगठनों से जुड़े प्रतिनिधि देहरादून में जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे। यहां जिला प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया गया। ज्ञापन मुख्य प्रशासनिक अधिकारी कपिल को सौंपा गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
की गई ये मांग
1 -बस्तियों कि सुरक्षा के लिए अध्यादेश के साथ साथ नियमितकरण की प्रक्रिया अविलंब लागू करते हुए सभी बस्तीवासियों को मालिकाना हक दिया जाए।
2 – देहरादून में एलिवेटेड रोड के नाम पर गरीबों को उजाड़ना बंद किया जाए।
3 – ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायती जमीनों, नाले, खाले, डूब क्षेत्र, चाय बगानों तथा जंगल के किनारे बसी आबादी को मालिकाना हक दिया जाए।
4-फ्लड जोन के नाम पर बस्तियों को हटाना बंद किया जाए।
5-एनजीटी के आदेश के नाम पर रिस्पना नगर निगम देहरादून तथा एमडीडीए की ओर से हटाई गई काठ बंग्ला, गब्बर सिंह बस्ती, राजीव नगर, बारीघाट, दीपनगर, अजबपुर, चुना भट्टा अधोईवाला के विस्थापितों का पुनर्वास किया जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रतिनिधिमंडल में शामिल प्रतिनिधि
ज्ञापन देने वालों में सीपीएम के देहरादून सचिव अनन्त आकाश, सीआईटीयू के जिला महामंत्री लेखराज, जनवादी महिला समिति की प्रान्तीय उपाध्यक्ष इन्दु नौडियाल, आरयूपी के केन्द्रीय अध्यक्ष नवनीत गुसाईं, एसएफआई के प्रदेश उपाध्यक्ष शैलेन्द्र परमार, बस्ती बचाओ आन्दोलन के अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह, महामंत्री प्रेमा, कोषाध्यक्ष सोनू, सीआईटीयू कोषाध्यक्ष रविंद्र नौडियाल, नेताजी संघर्ष समिति के अध्यक्ष प्रभात डंडरियाल, एआईएलयू से अनुराधा, अभिषेक भंडारी, उत्तराखंड आन्दोलनकारी संयुक्त परिषद के केन्द्रीय उपाध्यक्ष जगमोहन सिंह रावत, जिलाध्यक्ष सुरेश कुमार, आरयूपी के नेता उपेन्द्र प्रसाद, प्रेंम बल्लभ भट्ट आदि शामिल थे।
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