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February 7, 2025

आमजन के फोन रिसीव नहीं कर रहे हैं पुलिस अधिकारी, डीजीपी ने दी सख्त चेतावनी

समस्त पुलिस अधिकारियों को भेजे गए पत्र में डीजीपी अशोर कुमार की ओर से कहा गया है कि आम जनमानस की ओर से शिकायतें मिल रही हैं कि जिलों के पुलिस अधिकारी शिकायत संबंधी फोन कॉल को रिसीव नहीं कर रहे हैं। यह स्थिति अनुचित है।

उत्तराखंड में यदि आप पुलिस महानिदेशक को फोन मिलाओगे तो आपकी कॉल रिसीव जरूर हो जाएगी, लेकिन यदि आप किसी जिला, सर्किल या फिर थाना स्तर के पुलिस अधिकारी को फोन मिलाओगे तो हो सकता है आपकी कॉल रिसीव न हो। यही नहीं कॉल करने के बाद भी पलटकर फोन कॉल न आए। इस तरह की आम शिकायतों और लोगों को हो रही दिक्कतों को उत्तराखंड पुलिस के महानिदेशक अशोक कुमार ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने ऐसे मामलों में चिंता जाहिर करते हुए सख्त चेतावनी दी है।
समस्त पुलिस अधिकारियों को भेजे गए पत्र में डीजीपी अशोर कुमार की ओर से कहा गया है कि आम जनमानस की ओर से शिकायतें मिल रही हैं कि जिलों के पुलिस अधिकारी शिकायत संबंधी फोन कॉल को रिसीव नहीं कर रहे हैं। यह स्थिति अनुचित है। उन्होंने निर्देशित किया कि कोई भी फोन आने पर उसे तत्काल रिसीव किया जाए। यदि उस समय ऐसा संभव नहीं हो तो संबंधित स्टेनो, पीआरओ से फोन रिसीव कराया जाए। इसके बाद समय मिलते ही कॉलबैक करके फोन करने वाले से वार्ता की जाए। साथ ही फोन करने वाले की समस्या का निस्तारण सुनिश्चित किया जाए।
साथ ही उन्होंने कहा कि जिला प्रभारी अपने अधिनस्थ समस्य अपर पुलिस अधीक्षक, पुलिस उपाधीक्षक, थाना और चौकी प्रभारियों को भी इस सूचना के संबंध में ब्रीफ कर निर्देशित करें। साथ ही चेतावनी दी है कि यदि इस तरह की कोई शिकायत मिलती है तो संबंधित के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
पहले ऐसे प्रकरण में भी दी गई थी चेतावनी
अपराधियों की गिरफ्तारी, गुमशुदा व्यक्ति की बरामदगी आदि के लिए जिलों से बाहर या दूसरे राज्यों में जाने के लिए पुलिस की ओर से पीड़ित परिवार की ओर से ही वाहन, तेल और भोजन की मांग की शिकायतों पर भी पुलिस मुख्यालय पहले ही सख्ती दिखा चुका है। ऐसे प्रकरण सामने आने पर उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार पुलिस ने कर्मियों को सख्त निर्देश दिए थे कि यदि किसी की ऐसी शिकायत मिलती है तो वो कार्रवाई भुगतने को तैयार रहे।
उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय की ओर से जारी की गई सूचना के मुताबिक किसी भी अभियोग में अभियुक्त की गिरफ्तारी, गुमशुदा की बरामदगी के लिए पुलिस टीम को गैर जनपद अथवा अन्य राज्यों में दबिश या तलाश के लिए वाहन की आवश्यकता पड़ती है। कई बार देखने में आया है कि पुलिस की ओर से ही पीड़ित परिवार से ही वाहन की व्यवस्था कराने के लिए कहा जा रहा है। या फिर वाहन में तेल डलवाने, टीम के रहने और खाने की व्यवस्था के संबंध में कहा जा रहा है। डीजीपी ने स्पष्ट किया गया था कि इस प्रकार के विभिन्न कार्यों के लिए प्रत्येक थाने में थाना विविध निधि के अन्तर्गत पर्याप्त धनराशि उपलब्ध करायी जाती है। इसके बावजूद भी इस प्रकार की शिकायतें प्रकाश में आ रही है, जो कि घोर निंदनीय व आपत्तिजनक है और किसी भी दशा में स्वीकार्य नहीं है। यदि ऐसी शिकायत प्रकाश में आई तो संबंधित को कार्रवाई भुगतने के लिए तैयार रहना होगा।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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