सचिवालय पर जनलोक पार्टी कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने किया लाठीचार्ज, सांसद फूलनदेवी की हत्या के दोषी शेर सिंह की है ये पार्टी, जानिए कहानी
उत्तराखंड के उद्योगों में स्थानीय युवाओं को रोजगार देने की मांग को लेकर राष्ट्रवादी जनलोक पार्टी के कार्यकर्ताओं ने आज देहरादून में सचिवालय कूच किया। इस दौरान पुलिस ने सुभाष रोड पर कार्यकर्ताओं को रोक दिया।

आगामी विधानसभा चुनावों में राष्ट्रवादी जनलोक पार्टी ने भी उत्तराखंड में चुनावी मैदान पर उतरने का ऐलान किया है। रोजगार के मुद्दे पर पार्टी उत्तराखंड से लेकर यूपी तक प्रदर्शन कर रही है। उत्तराखंड सहित कई स्थानों पर पार्टी कार्यकर्ताओं के पूर्व में हुई प्रदर्शन पर भी लाठीचार्ज हो चुके हैं। बुधवार को भी कार्यकर्ताओं ने पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक शेर सिंह राणा के नेतृत्व में परेड मैदान से सचिवालय कूच किया था। खास बात यह है कि आरजेपी फूलन देवी हत्याकांड के दोषी शेर सिंह राणा की है।
राष्ट्रवादी जनलोक पार्टी के संयोजक शेर सिंह राणा ने कहा कि उत्तराखंड में स्थानीय उद्योगों में 70 फीसद स्थानीय युवाओं को रोजगार देने का अधिकार हैं, लेकिन किसी भी जिले में इस कानून का पालन नहीं हो रहा है। सरकार विपक्ष की आजादी को दबाने का काम कर रहा है। शेर सिंह राणा का कहना है कि वर्तमान केंद्र व प्रदेश की भाजपा सरकार प्रतिवर्ष दो करोड़ लोगों को नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन नौकरी देने के बजाय इस सरकार ने प्रतिवर्ष करोड़ों लोगों की नौकरी छीनने का ही काम किया है। उन्होंने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में हमारी पार्टी राष्ट्रीय जन लोक पार्टी पूरे दमखम के साथ मैदान में उतरेगी। कहा कि फूलन देवी हत्याकांड में भले ही मेरा नाम आया है लेकिन अभी मामला कोर्ट में चल रहा है।
शेर सिंह ने 2001 में की थी फूलन देवी की हत्या
शेर सिंह राणा का जन्म 17 मई 1976 को रुड़की में हुआ था। देहरादून के डीएपी पीजी कालेज में शेर सिंह राणा ने छात्रसंघ का चुनाव भी लड़ा था। तब चुनाव से कुछ दिन पहले नाटकीय तरीके से राणा का अपहरण हुआ था। खुद ही वह एक नदी के किनारे बेहोश मिले थे। तब पुलिस ने कहा था कि उसने अपने अपहरण की झूठी कहानी गढ़ी है। इसके बाद देहरादून में बैंक के बाहर गार्ड को गोली मारकर कैश लूटने के मामले में उनका नाम भी सामने आया था। फिर इसके बाद उसने 25 जुलाई, 2001 को समाजवादी पार्टी की सांसद फूलन देवी की हत्या कर दी थी। फूलन देवी की हत्या के वक्त फूलन देवी की बहन मुन्नी ने बयान दिया था कि राणा ने ही गोलियां चलाई थीं, लेकिन ट्रायल के दौरान 2007 में मुन्नी ने बयान बदला और कहा कि राणा को इस हत्याकांड में फंसाया गया और वास्तव में हत्या सांसद के पति उमेद सिंह ने करवाई थी। करीब एक माह पूर्व मुन्नी देवी भी राणा की पार्टी में शामिल हो गई।
हो चुका था तिहाड़ जेल से फरार
फूलनदेवी हत्याकांड के बाद भी शेर सिंह राणा देहरादून में उत्तराखंड प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता के लिए पहुंचा था। जहां उसे पुलिस ने गिरफ्तार किया था। यही नहीं, फूलनदेवी हत्याकांड के आरोप में तिहाड़ जेल में बंद शेर सिंह राणा एक बार फरार भी हो चुका था। तब उसने दावा किया था कि वह अफगानिस्तान के कंधार गया और वहां से पृथ्वीराज चौहान की समाधि की मिट्टी लेकर आया है। इस दौरान वह काफी समय तक पुलिस के हाथों से बचता रहा, लेकिन टीवी चैनलों में नजर आता रहा।
2016 में मिली थी शेर सिंह को जमानत
वहीं राणा ने कहा था कि 1981 में फूलन द्वारा की गई 22 ठाकुरों की हत्या का बदला लेने के लिए उसने फूलन को मारा। जिसके बाद 2014 में दिल्ली की अदालत ने राणा को उम्रकैद सुनाई थी, लेकिन 2016 में उसे ज़मानत पर छोड़ दिया गया।