लॉकडाउन में हुआ बेरोजगार, खर्च चलाने को चुना ऐसा रास्ता, पहुंच गया जेल
लॉकडाउन के दौरान बेरोजगार हुए युवक ने खर्च चलाने के लिए ऐसा रास्ता चुना कि अब उसे जेल की सलाखों के पीछे रहना होगा। वह लोगों के फर्जी फूड लाइसेंस बनाने का धंधा कर रहा था। देहरादून में क्लेमंटाउन पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। पता चला कि वो कई लोगों को फर्जी फूड लाइसेंस दे चुका है।
ये है मामला
पुलिस के मुताबिक 12 जनवरी को टर्नर रोड निवासी वीरेंद्र सिंह ने थाने में धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। कहा गया कि उनकी बीकानेर स्वीट्स के नाम से दुकान है। दुकान के फूड लाइसेंस बनाने के लिए उन्होंने अमन कुमार पुत्र विजेंद्र सिंह सैनी निवासी गोरखपुर, शिमला बायपास रोड को 1500 रुपये दिए थे। इस पर अमन ने उन्हें फूड लाइसेंस लाकर दे दिया।
इसके बाद जब उन्होंने लाइसेंस के बारे में जानकारी की तो पता चला कि उक्त लाइसेंस फर्जी है। मुकदमा दर्ज करने के बाद जब पुलिस ने जांच की तो पता चला कि अमन कुमार ने जो फूड लाइसेंस वीरेंद्र सिंह को दिया उस रजिस्ट्रेशन नंबर पर खाद्य सुरक्षा अधिकारी कार्यालय से ऑरेंज हेल्थ केयर जी- 177, नेहरू कॉलोनी को फूड लाइसेंस दिया गया है। इससे यह स्पष्ट हो गया कि अमन कुमार ने फर्जी फूड लाइसेंस बनाकर वादी वीरेंद्र को दिया।
जांच के दौरान यह भी प्रकाश में आया कि अमन कुमार ने इसी रजिस्ट्रेशन नंबर पर दीपक थापा निवासी ठाकुरपुर रोड प्रेम नगर को मीट और मछली बेचने के लिए फूड लाइसेंस दिया। जब आरोपी अमन से गहनता से पूछताछ की गई तो उसने बताया कि उसने देहरादून शहर में करीब 10 व्यक्तियों मिठाई/रेस्टोरेंट/ मीट आदि के कारोबार के लिए इसी तरह के फर्जी लाइसेंस दिए हैं। इस पर पुलिस ने 8 व्यक्तियों से संपर्क कर लिया है, जिन्होंने अमन से फ़ूड लाइसेंस प्राप्त करने की बात स्वीकार कर ली है।
बेरोजगार होने पर अपनाया ये रास्ता
अमन ने बताया कि वह पहले चार्टर्ड अकाउंटेंट के यहां काम करता था। जहां पर लोगों के फूड लाइसेंस बनाने का काम भी कभी-कभी आता था। इसके बाद लॉकडाउन लग गया। चार्टर्ड अकाउंटेंट के यहां से भी उसको सैलरी नहीं मिल रही थी। इस पर उसने नौकरी छोड़ दी। इस दौरान उसने कुछ लोगों से फूड लाइसेंस बनाने के लिए पेमेंट पकड़ ली थी। लोग उस पर फूड लाइसेंस देने का दबाव बना रहे थे। इसलिए उसने फिर इस तरह का फर्जी को लाइसेंस बनाने का काम शुरू कर दिया। धीरे-धीरे जब उसको इसमें मुनाफा होने लगा तो फिर वह खुद ही और क्लाइंट ढूंढने लगा। अमन ने डीएवी इंटर कॉलेज से 12वीं पास की है। उसके पिता मोटर मकैनिक हैं और ई रिक्शा भी चलाते हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।