Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

November 14, 2024

मुद्दे की बातः सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था की राह में भारत, जनता कर रही रोटी, कपडा और मकान के लिए संघर्ष

इस समय देश की जनता का मुद्दा क्या होना चाहिए। इस बात पर बहस होती रहती है। कारण ये है कि सत्ताधारी दल तो मुख्य मुद्दों की तरफ से लोगों का ध्यान भटकाने की पूरी कोशिश करते हैं। वहीं, विपक्षी दल भी आरोप और प्रत्यारोपों के जाल में फंस जाता है। मंदिर, मस्जिद, हिंदू, मुस्लिम, देश प्रेम जैसे मुद्दे यदि चुनावी मुद्दे बन जाएं तो देश के लिए इससे ज्यादा घातक स्थिति और कुछ नहीं हो सकती है। कारण ये है कि एक तरफ कहा जा रहा है कि मौजूदा वित्त वर्ष में भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। वहीं, दूसरी तरफ उच्च महंगाई दर और उच्च बेरोजगारी दर के बीच लग्जरी वस्तुओ और आवश्यक चीजों की कीमतों के बीच असमानता देखी जा रही है। भोजन, कपड़े और रहने की मूलभूत आवश्यकताओं की कीमतों में बढ़ोतरी देखी जा रही है। जरूरतमंद चीजों के लिए आमजन को संघर्ष करना पड़ रहा है। हालांकि, मिडिल क्लास को इन सबसे कुछ लेना देना नहीं है। ऐसे समाचारों को पढ़ने की उन्हें फुर्सत तक नहीं है। हां, सुबह सुबह गुड मार्निंग के संदेश के साथ ही कई लोगों के नफरती संदेश व्हाट्सएप में शुरू हो जाते हैं।  (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

फ्री में भोजन, फिर कैसे कर सकते हैं विकास का दावा
बात होनी चाहिए कि हर व्यक्ति इतना सक्षम हो कि वह बगैर किसी मदद के अपना परिवार चला सके। यानि कि उसके पास रोटी, कपड़ा और मकान की आवश्यकता की पूर्ति के लिए, महंगाई से लड़ने के लिए रोजगार हो। अब यदि देश में अभी भी 813.5 मिलियन गरीबों को फ्री में भोजन की आवश्यकता है, तो क्या देश के मुद्दे धर्म के आधार पर राजनीति के हो सकते हैं या फिर दूसरे। सवाल ये है कि ऐसी राजनीति से क्या किसी का पेट भरेगा। क्या कोई तरक्की करेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

भारत दुनिया के असमानता वाले देशों में से एक
वहीं उच्च महंगाई दर और उच्च बेरोजगारी दर के बीच लक्जरी वस्तुओं और अन्य बुनियादी उपभोक्ता वस्तुओं की मांग में व्यापक अंतर को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। वर्ल्ड इक्वालिटी 2022 के डाटा के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र वैज्ञानिक भा​गीदार के साथ विकास मे था। वहीं बढ़ती गरीबी के साथ भारत दुनिया के सबसे असमान देशों में से एक था। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में शीर्ष 10 फीसदी और 1 फीसदी कुल राष्ट्रीय आय का 57 फीसदी और 22 फीसदी हिस्सा रखते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

रोटी, कपड़ा और मकान के लिए संघर्ष कर रहे भारतीय
लोगों की मूलभूत आवश्यकता को लेकर ज्यादातर भारतीय संघर्ष कर रहे हैं। ईटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि एफएमसीजी वस्तुओं में बढ़ोतरी के कारण ज्यादातर चीजों के दाम में इजाफा देखा जा रहा है। इस कारण कम आय वाले परिवारों को आवश्यक समानों को खरीदने में भी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। पिछले दो महीनों में शहरी बाजारों में 5 रुपये, 10 रुपये और 20 रुपये के छोटे पैक का कुल बिक्री में योगदान लगभग 5 फीसदी बढ़ा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

आवश्यक खाद्य पदार्थों के दाम में उछाल
वहीं पाम तेल, गेहूं, चीनी और कॉफी जैसी चीजों के दाम ज्यादा बढ़ चुके हैं। मार्च के आंकड़ों की बात करें तो अनाज और उत्पादों की महंगाई दर 15.3 फीसदी थी। पिछले महीने दूध की महंगाई दर 9.3% थी। दूध की कीमत में कई बार बढ़ोतरी देखी गई है, जिसका असर देश के ज्यादातर शहरों में देखा जा सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कपड़ों के दाम में भी इजाफा
कपड़ा और जूतों की खुदरा कीमतें साल दर साल 8.2 फीसदी तक बढ़ीं हैं। क्लॉथिंग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2023 में भारत के टैक्सटाइल मार्केट में 15 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इस कारण बिक्री में 3 फीसदी की गिरावट आई है। कंपनियों और अधिकारियों का कहना है कि कपास की कीमत में बड़ी बढ़ोतरी के कारण ऐसा हुआ है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

आवास की कीमत
पिछले एक साल में बेंगलुरु में आवासीय किराये में बड़ी बढ़ोतरी देखी गई है, जिस कारण कॉर्पोरेट कर्मचारी सुरक्षित आवास के लिए संघर्ष कर रहे हैं। संपत्ति दलालों का दावा है कि पिछले पांच वर्षों में भारत के सात प्रमुख शहरों में आवास की कीमतों और किराये की पैदावार में उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखी गई है। मार्च के दौरान रियल स्टेट की प्रमुख कंपनी डीएलएफ ने 1,137 लग्जरी अपार्टमेंट बेचे हैं, जिसकी कीमत 7 करोड़ या इससे ज्यादा रही है। इसेन 8000 करोड़ की प्रॉपर्टी तीन दिन में गुरुग्राम में बेची है। लग्जरी और प्रीमियम फ्लैट की मांग बढ़ने से किराए के दाम में भी इजाफा हुआ है। इसी तरह राज्य भी जमीनों के सर्किल रेट बढ़ा रहे हैं। उत्तराखंड में भी रेट बढ़ा दिए गए हैं। साथ ही बिजली और पानी के रेट में इजाफा किया गया है। ऐसे में जहां मकान बनाने के सपने में ग्रहण लग रहा है, वहीं लोगों के घर का बजट भी दैनिक उपभोग की वस्तुओं पर बिगड़ रहा है।
नोटः यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो। 

+ posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page