युवा कवयित्री प्रीति चौहान की कविता-जिससे बिना झिझके दिल की हर बात कह सको

जिसके साथ फुर्सतो में तुम रह सको
जिसके साथ गम बांट कर तुम आधा करना चाहो
जिसको तुम अपनी खुशियों में बुलाओ।
ऐसा कोई दोस्त हैं तुम्हारा?
जब लगे दुनिया मे कोई सच्चा नही
ये दुनिया भरोसे लायक नही
जब सबसे विश्वास खत्म हो तुम्हारा
तब तुमको उसका चेहरा नज़र आए।
ऐसा कोई दोस्त हैं तुम्हारा?
जब तुम खुद से खुद की जंग हार जाओ
जब तुम खुद को अकेला पाओ
जब तुम खुद पर भी विश्वास न रख पाओ
तब वो तुम्हारा विश्वास लौटाए,
जीवन की नई दिशा दिखाए।
ऐसा कोई दोस्त है तुम्हारा?
जब अपने तुम्हारे विरुद्ध हो
भीड़ में तुम अकेले खड़े हो
जब तुम्हें लगने लगे कि तुम्हारी किसी को जरुरत नही है।
तब वो तुम्हे समझाए की तुम उसके लिए क्या हो।
ऐसा कोई दोस्त हैं तुम्हारा?
जब अपने रास्ते बदलने लग जाए
दो कदम साथ चलने से डर जाए
जब तुम्हारा होंसला टूट जाए
और तुम लड़खड़ाने लग जाओ
तब वो हाथ पकड़कर साथ चलना चाहे।
ऐसा कोई दोस्त है तुम्हारा?
जब तुम मुस्कराना भूल जाओ
अपने दुःखो से उभर न पाओ
तुम्हारी सुबह-शामे गमगीन कटे
तब वो तुम्हें बेतुकी सी बातों पर भी हँसा जाए।
ऐसा कोई दोस्त है तुम्हारा?
कवयित्री का परिचय
नाम-प्रीति चौहान
निवास-जाखन कैनाल रोड देहरादून, उत्तराखंड
छात्रा- बीए (तृतीय वर्ष) एमकेपी पीजी कॉलेज देहरादून उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।