हिंदी दिवस पर युवा कवयित्री अंजली चंद की कविता-वैसे तो हिन्दी जगत में लफ्जों की है बौछार

और उन शब्दों से बनती है लड़ियां हजार,
लफ्ज़ मेरे अगर छू जाये दिल को
तो मुस्कराहट रखियेगा बरकरार,
जैसे माँ के माथे का गौरव है बिंदी,
वैसे ही हमारे देश का अभिमान है हिन्दी,
सबसे ज्यादा सहज सबसे ज्यादा सुगम है हिन्दी,
आओ करे नम्रता से नमन
क्यूंकि भाषा है हमारी हिन्दी,
और भाषाएँ तो है पूरी खोखली,
हिंदू है तू वतन तेरा हिन्दुत्व,
ना कर तू हिन्दी बोली मे शर्मिंदगी,
हमारी संस्कृति को मार ना बन तू पाखंडी,
भले आधुनिकता को अपना ले
मगर ना छोड़ तू हिन्दी,
पा ले अनंत की तरक्की
मगर ना छोड़ तू हिन्दी..
कवयित्री का परिचय
नाम – अंजली चन्द
निवासी – बिरिया मझौला, खटीमा, जिला उधम सिंह नगर, उत्तराखंड।
लेखिका gov job की तैयारी कर रही हैं।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।