युवा कवयित्री अंजली चन्द की कविता-एक दिन पूछ बैठे खुद से सवाल

एक दिन पूछ बैठे खुद से सवाल
तो ज़वाब मे ख्याल उसका आ गया,
कोशिश की साझा कर लूं उलझनों को
अपनी मगर पास उसे अपने ना पाया,
फिर से एक ख्याल मे सवाल आया कि हाजिर था वो हर पल मे
अब क्यूँ अब जगह वो फिर खाली कर गया,
समझा तो वो और ये दौर ही अलग पाया,
वाकिफ था वो जज़्बातों से मेरे
फिर भी जिंदगी अधूरी सी कर गया,
दुनियां के हर रिश्ते का रूप तो बस वो ही था
मगर गया तो साथ मेरे सारे अपने ले गया,
हाल पूछे कोई इस दिल का
ना हम किसी के बन पाये ना कोई हमारा रहा,
हम तो रहे मगर किरदार उसका ना रहा,
लफ्ज़ तो थमे हैं मगर दिल ख़ामोश ना रहा,
वो चुप है तो लफ्ज़ मेरे भी ना खुले
और दिल भरोसे के काबिल ना रहा,
वो सपने दिखाते गया और आखें मेने भी खोली नहीं,
हकीकत मे ऐसा कुछ ना रहा,
कवयित्री का परिचय
नाम – अंजली चन्द
निवासी – बिरिया मझौला, खटीमा, जिला उधम सिंह नगर, उत्तराखंड।
लेखिका uksssc /ukpsc की तैयारी कर रही हैं।