युवा कवयित्री अंजली चन्द की कविता-चलो आज एक छोटा सा कदम उठाते हैं

चलो आज एक छोटा सा कदम उठाते हैं,
अपने अपने हिस्से का एक दूसरे के लिए बराबरी की झलक दिखलाते हैं,
मैं जीवन अपना तुम्हें देती हूं तुम बस कदर मेरी हमेशा रखना,
मैं कमियां तुम्हारी अपना लूंगी बस कभी कभी गलती मेरी भी नजरअंदाज कर लेना,
मैं भटक जाऊ कभी राह से अपनी तो हाथ मेरा थाम लेना,
मैं अपने हिस्से का सम्मान रखूंगी तुम ईमानदारी रख लेना ,
कभी उदासी मेरी एहसास हो जाये तो बाहों मे अपनी समा लेना,
हक मेरी सांसों का बेशक तुम कैद कर लो,
कुछ हिस्सा मेरी आजादी का मुझको दे देना,
नोक झोंक ज्यादा बड़ जाये
तो प्यार से समझाकर कुछ बातों के नये से रंग भर देना,
रिश्तों के उलझनों मे अगर कभी मैं फँस जाऊँ
तो थामे उम्मीदों की किरण सा तुम बन जाना,
कभी मेरे इंकार का भी मान रखना लेना
तो कभी मेरी रोक टोक पर समय अपना मेरे नाम कर लेना,
मैं सेवा तुम्हारी माँ की करूं, अगर कभी मुझे मेरी माँ की कमी महसूस हो
तो तुम भी सिर मेरा दुखने पर हल्का सा सहला देना,
कभी शंका मन में कोई खर कर जाये तो एक बार हक से जरूर जता देना,
इसी तरह ताउम्र तुम अपनी परेशानियाँ दुख दर्द साझा कर लेना,
मैं जीवन अपना तुम्हें देती हू तुम बस कदर मेरी हमेशा रखना …
कवयित्री का परिचय
नाम – अंजली चन्द
निवासी – बिरिया मझौला, खटीमा, जिला उधम सिंह नगर, उत्तराखंड।
लेखिका uksssc /ukpsc की तैयारी कर रही हैं।