राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर को समर्पित कविता-दिन कर गये कविता सेः विजय प्रकाश रतूड़ी
दिन कर गये कविता से
राम को धारण कर मन में,
दिन कर गये कविता से।
अर किरणों को बना सारथी,
‘दिनकर’ सूर्य रच गये रे।
कुरुक्षेत्र का युद्ध दिखाया,
राधेय ,कौन्तेय का रण।
जहां कौन किस पर भारी था,
दृश्य बदलते थे क्षण क्षण।
उर्वशी जैसा ग्रन्थ लिख दिया,
स्वर्ग धरा में प्रेम रचा।
सुर भी सब लालायित रहते,
कहें धरा पर प्रेम सचा।
शौर्य कथाएं प्रेम कथाएं,
और लिखी मानव की पीर।
कुत्तो को वसनो का मिलना,
अर मानव नि वसन शरीर।
सिंहासनों के निकट रहे पर,
कवि कर्म ना भूले आप।
जब सत्ताएं जन मन भूली,
चढी कलम तब आपके हाथ।
कवि का परिचय
नाम-विजय प्रकाश रतूड़ी
प्रधानाध्यापक राजकीय प्राथमिक विद्यालय ओडाधार, विकासखंड भिलंगना, जनपद टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।