उत्तराखंड के स्थापना दिवस पर प्रोफेसर डॉ. पुष्पा खंडूरी की कविता- जै उत्तराखंड
जै उत्तराखंड
उत्तराखंड की भूमि महान।
देवभूमि अति पावन धाम॥
यहां पर हम पर्वत -पर्वत मंदिर।
यहाँ के कण -कण में भगवान॥
ये भूमि है वीरों की भूमि,
यहाँ उपजते वीर महान।
देश की रक्षा -हित दे देते,
हंसते -हंसते जो अपने प्राण॥
उत्तराखंड की भूमि महान।
देवभूमि अति पावन – धाम॥
यहां पर पर्वत -पर्वत मंदिर।
यहाँ के कण-कण में भगवान॥
पंच केदार हैं यहाँ शिवालय।
बदरीनाथ श्री विष्णु – धाम॥
नर – नारायण भी यहीं विराजें।
त्रिजुगी नारायण भी कर रहे विश्राम ॥
मनसा, चण्डी, धारी देवी संग नन्दा,
नैना, सुरकुंडा आदि का भी धाम॥
श्री कृष्ण के पांडव प्यारों की भी,
थी इसके कण -कण से पहचान॥
पांचों पांडवों ने भी प्रिय द्रौपदी संग।
किया इसी भूमि से स्वर्ग – प्रयाण।
स्वर्गारोहण की सीढ़ियाँ इसकी।
देखो आज भी बनी हुई हैं प्रमाण॥
उत्तराखंड की भूमि महान। (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
देवभूमि अति पावन – धाम॥
यहाँ पर पर्वत -पर्वत मंदिर।
इसके कण – कण में भगवान॥
अलकनंदा से मिल कर नदियाँ पावन।
करती पंच – प्रयागों का निर्माण॥
बिष्णुप्रयाग, नन्दप्रयाग, रुद्रप्रयाग,
कर्णप्रयाग और देवप्रयाग,
हैं इनके सुन्दर पावन नाम॥
उत्तराखंड की भूमि महान।
देवभूमि अति पावन धाम॥
यहाँ पर पर्वत -पर्वत मंदिर।
यहाँ के कण -कण में भगवान॥
शंकराचार्य जी ने दिया यहीं था,
देश को बद्रीनाथ सा पावन चौथा – धाम।
उत्तराखंड की भूमि महान।
देवभूमि अति पावन धाम॥
यहाँ पर पर्वत – पर्वत मंदिर।
यहाँ के कण -कण में भगवान॥
भारत माता का मुकुट हिमालय ,
प्रहरी बन करता रक्षा निशि -दिन आठों याम॥
उत्तराखंड की भूमि महान। (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
देवभूमि अति पावन धाम
यहाँ पर पर्वत – पर्वत मंदिर।
यहाँ के कण -कण में भगवान॥
शिव का धाम यहीं है प्यारा।
शिव -प्रिया उमा, सती पार्वती
भी हैं यहीं की बिटिया।
देवियों से भी हैं बेटी से रिश्ते ललाम॥
नम आँखों से इनकी डोलियाँ,
नित विदा करें परम्परा निभायें।
उमा देवी और नन्दा आदि राजजात की।
देकर फूल – फल -मेवें आभूषण और मिष्ठान॥
उत्तराखंड की भूमि महान (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
देवभूमि अति पावन है धाम
यहाँ पर पर्वत – पर्वत मंदिर।
यहाँ के कण – कण में भगवान॥
यहाँ पे वन -वन जड़ी बूटियाँ।
फल – फूलों से लद रही घाटियाँ,
पर्वत -पर्वत रम रही यहां पर ,
साधु -संतों की पावन धूनियाँ॥
जिन अमर शहीदों की कुर्वानी पर,
हुआ है इस महान राज्य का निर्माण।
उनकी स्मृति पर उनकी निर्दोष शहादत पर,
श्रद्धावनत् हम सबका नित शत् -शत् प्रणाम॥
कवयित्री की परिचय
डॉ. पुष्पा खंडूरी
प्रोफेसर, डीएवी (पीजी ) कॉलेज
देहरादून, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।