डॉ. पुष्पा खंडूरी की कविता- तू और तेरी जिंदगी

तू और तेरी जिंदगी क्या
एक सपने से ज्यादा ये
जीवन कुछ भी नहीं यहां
हाँ ! कल ही नींद खुली
और ना जाने कब तुझको
गहरी नींद लग जाएगी।
सपने में तू प्राणी रोले हंसले,
चाहे लूट मचाले कितनी
पर सच तो यही है ना कि
खाली हाथ तू आया यहाँ
बंदे खाली ही तू जाएगा, (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
लिया है यहीं से जो तूने,
तू सब यहीं छोड़ जाएगा
करे काया का अभिमान क्यूं तू
रे ये तो माया है राम की
माटी से बनी ये काया
माटी भी तो राम की॥
ना जाने किस पल
तेरी काया माटी बन जाएगी
पलक झपकते ही प्राणी
“कब नींद लग जाएगी
तू और तेरी जिंदगी क्या?
एक सपने से ज्यादा जीव ,
कुछ भी नहीं है यहाँ
हाँ ! कल ही नींद खुली
और ना जाने कब तेरी
गहरी नींद लग जाएगी।
कवयित्री की परिचय
डॉ. पुष्पा खंडूरी
प्रोफेसर, डीएवी (पीजी ) कॉलेज
देहरादून, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।