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November 22, 2024

भ्रष्टाचार के खिलाफ पीएम मोदी की गारंटी, 25 में से 23 के आरोप धुले, ना समझो तो अनाड़ी

इन दिनों पीएम नरेंद्र मोदी चुनाव प्रचार के मैदान में जमकर बैटिंग कर रहे हैं। साथ ही वह भ्रष्टाचार के मामले में विपक्ष पर जमकर हमले कर रहे हैं। पीएम मोदी विपक्षी गठबंधन इंडिया को भ्रष्टाचारियों का जमावड़ा बता रहे हैं। साथ ही दावा कर रहे हैं कि तीसरी बार पीएम बनने के बाद वह इन पर कार्रवाई तेज करेंगे। वह मोदी को भ्रष्टाचार के खिलाफ गारंटी बता रहे हैं। अब पीएम मोदी के इस दावे में कितना दम है, ये इस खबर को पढ़कर समझा जा सकता है। इसके बाद भी यदि किसी को समझ ना आए तो उनके लिए ये गाना फिट बैठता है- समझने वाले समझ गए, जो ना समझे वो अनाड़ी हैं। खबर लंबी जरूर है, लेकिन पूरी पढ़ने पर परत दर परत खुलेंगी और आपको समझ भी आएगा कि आखिर भ्रष्टाचार के नाम पर किस तरह का खेल चल रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

परिवारवाद को लेकर बीजेपी का सच
पीएम मोदी विपक्षी दलों को परिवारवाद की संज्ञा देकर आरोप लगाते रहते हैं कि परिवारवाद ने देश को बर्बाद कर दिया। हालांकि, अब बीजेपी में भी परिवारवाद का कुनबा बढ़ रहा है। चाहे केंद्र के मंत्री हों या फिर छोटे राज्यों के नेता इनमें भी परिवारवाद की लंबी सूची है। इनमें राजनाथ सिंह, पीयूष गोयल, निर्मला सीतारमण, रविशंकर प्रसाद, चौधरी बीरेंद्र सिंह, मेनका गांधी, राव इंद्रजीत सिंह, धर्मेंद्र प्रधान, किरण रिजिजू, नरेंद्र सिंह तोतर सहित कई बड़े ऐसे नेताओं के नाम परिवारवाद के रूप में गिनाए जाते रहे हैं, जो मोदी कैबिनेट में रहे हैं। इसी तरह राज्यों में तो परिवारवाद की लंबी लिस्ट है। उत्तराखंड में ही पूर्व सीएम एवं बीजेपी के वरिष्ठ नेता भुवन चंद्र खंडूड़ी के बेटे मनीष खंडूड़ी और बेटी रितु भूषण खंडूड़ी बीजेपी में हैं। रितु खंडूड़ी तो विधानसभा अध्यक्ष हैं। इसी तरह पूर्व सीएम विजय बहुगुणा बीजेपी में हैं। उनके बेटे धामी कैबिनेट में हैं। वहीं, बहन भी यूपी और केंद्र की राजनीति में बीजेपी में रहकर सक्रिय रही हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इलेक्टोरल बांड
हाल ही में हमने इलेक्टोरल बांड की खबरें लिखीं। इसमें बताया कि जिन कंपनियों पर ईडी और सीबीआई की कार्रवाई हुई, या जिन लोगों को जेल में डाला गया, बाद में ऐसी कंपनियों ने बीजेपी को सबसे ज्यादा चुनावी चंदा दिया। इलेक्टोरल बांड को सुप्रीम कोर्ट भी असंवैधानिक करार दे चुका है। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पर जिस व्यक्ति से रिश्वत लेने का आरोप है, पहले उसे जेल में डाला गया। जेल में जाने के पांच दिन में ही उसने बीजेपी को चुनावी चंदा दिया। इसके बाद कुल 52 करोड़ रुपये चंदे के रूप में दिए। बाद में उसकी जमानत का ईडी ने विरोध नहीं किया और वह जेल से बाहर आ गया। ये है भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई। इसमें ऐसे कई मामले हैं, जिनसे साफ है कि जिन कंपनियों पर ईडी या दूसरी ऐजेंसियों की जांच चली, उन्होंने ने ही बीजेपी को चंदा दिया। नीचे दी गई खबर की हैडिंग को क्लिक कर आप इलेक्ट्रोलर बांड पर पिछली स्टोरी देख सकते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पढ़ेंः चंदे का धंधाः वित्त मंत्री के पति ने चुनावी बॉंड को बताया सबसे बड़ा घोटाला, असहज निर्मला सीतारमण ने चुनाव लड़ने से किया इंकार

भ्रष्टाचार पर विपक्षी दलों के आरोप
देश में लोकसभा चुनाव को लेकर हलचल काफी तेज है। चुनाव में भ्रष्टाचार का मुद्दा छाया हुआ है। दरअसल शराब घोटाले के आरोप में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल तिहाड़ जेल में बंद हैं। विपक्षी दलों का आरोप है कि बीजेपी विपक्षी दलों के नेताओं को चुन-चुनकर टारगेट कर रही है। बीजेपी में शामिल होने के बाद नेताओं से भ्रष्टाचार के आरोप हटा लिए जा रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

भ्रष्टाचार के खिलाफ पीएम की गारंटी
यदि आपने पीएम मोदी के भ्रष्टाचार पर वार के भाषण को कभी नहीं सुना तो एक बार सोशल मीडिया में वीडियो देखकर सुन जरूर लेना। वह खुद को भ्रष्टाचार के खिलाफ गारंटी बताते हैं। साथ ही दावा करते हैं कि मोदी भ्रष्टाचार के खिलाफ गारंटी है। सारे भ्रष्टाचारी जेल में होंगे। इन्होंने जितना धन देश का लूटा, उसे जनता में बांटूंगा। हालांकि, वर्ष 2014 से पहले भी उन्होंने कालाधन को मुद्दा बनाया था। साथ ही कहा था कि विदेशों में जमा कालाधन वापस लाऊंगा। हर व्यक्ति के खाते में 15 लाख रुपये डालूंगा। इस दावे का दम तो सबसे देख लिया होगा। वहीं, नोटबंदी के दौरान भी कालाधन वापस लाने का दावा किया गया। तब पांच और और एक हजार रुपये के करीब 98 फीसद नोट वापस आ गए थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बीजेपी की वाशिंग मशीन
विपक्ष आरोप लगाता है कि जब तक कोई नेता विपक्ष में रहता है तो उसे बीजेपी सबसे बड़ा भ्रष्टाचारी बताता है। बीजेपी में जाने के बाद उसके सारे आरोप धुल जाते हैं। ऐसे में विपक्ष बीजेपी को भ्रष्टाचार के पाप धोने की वाशिंग मशीन की संज्ञा देता है। इसका उदाहरण ये है कि एनसीपी के नेताओं पर पीएम मोदी ने 70 हजार करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप सार्वजनिक जनसभा में लगाया था। इसके दो दिन बाद ही एनसीपी को तोड़कर अजीत पवार बीजेपी और शिंदे गठबंधन की महाराष्ट्र सरकार में शामिल हो गए। साथ ही डिप्टी सीएम बनाए गए। इस तरह वाशिंग मशीन में धुलकर कई नेता बीजेपी में साफ सुथरे हुए हैं। जिन पर बीजेपी भ्रष्टाचार के आरोप लगाती रही है। वैसे छोटे स्तर की बात करें तो ऐसे नेताओं की सूची बहुत लंबी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

भ्रष्टाचार के 25 में से 23 आरोपी हुए पाक साफ
इस बीच इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट सामने आई है। रिपोर्ट में है कि 2014 के बाद से कथित भ्रष्टाचार के लिए विपक्ष के 25 नेता जो केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई का सामना कर रहे थे और वे बीजेपी में शामिल हुए और उनमें से 23 को राहत मिल गई। उनके खिलाफ जांच या तो बंद हो गई या ठंडे बस्ते में चली गई। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट है कि 2014 के बाद जिन प्रमुख राजनेताओं का जिक्र किया जा रहा है, वे विपक्षी दलों से बीजेपी में शामिल हो गए थे। इनमें से 10 कांग्रेस से हैं, एनसीपी और शिवसेना से चार-चार, टीएमसी से तीन, टीडीपी से दो और समाजवादी पार्टी और वाईएसआरसीपी से एक-एक नेता शामिल है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बीजेपी में जाने के बाद ठंडे बस्ते में चली गई जांच
इसमें ये भी खास बात है कि विपक्षी दलों के नेताओं के पार्टी बदलकर बीजेपी में शामिल होने के बाद जांच एजेंसी की कार्रवाई अमूमन निष्क्रिय रही है। इस सूची में शामिल 6 राजनेता आम चुनाव से कुछ हफ्ते पहले अकेले इसी साल बीजेपी में गए हैं। 2022 में द इंडियन एक्सप्रेस की एक जांच से पता चला था कि 2014 के बाद जब एनडीए सत्ता में आया तो कैसे प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने 95 प्रतिशत प्रमुख विपक्षी राजनेताओं के खिलाफ कार्रवाई की। विपक्ष इसे ‘वॉशिंग मशीन’ के जरिए भ्रष्टाचार के आरोपों को धोने की कवायद बताता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

गंभीर आरोप वाले नेताओं को मिली राहत
या तो विपक्ष में रहकर जेल जाओ, या फिर बीजेपी में या बीजेपी के गठबंधन में शामिल हो जाए। तब ही भ्रष्टाचार खत्म होगा। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं, ये रिपोर्ट कह रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 और 2023 की राजनीतिक उथल-पुथल के दौरान केंद्रीय कार्रवाई का एक बड़ा हिस्सा महाराष्ट्र पर केंद्रित था। 2022 में एकनाथ शिंदे गुट ने शिवसेना से अलग होकर बीजेपी के साथ नई सरकार बना ली। एक साल बाद अजित पवार गुट एनसीपी से अलग हो गया और सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन में शामिल हो गया। अजीत पवार और प्रफुल्ल पटेल के मामले भी बंद हो गए हैं। कुल मिलाकर महाराष्ट्र के 12 प्रमुख राजनेता 25 की सूची में हैं, जिनमें से 11 नेता 2022 या उसके बाद बीजेपी में चले गए, जिनमें एनसीपी, शिवसेना और कांग्रेस के चार-चार शामिल हैं। इनमें से कुछ मामले गंभीर हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

शुभेंदु अधिकारी को शारदा घोटाले में क्लीन चिट​
शुभेंदु अधिकारी इस समय पश्चिम बंगाल में बीजेपी के कद्दावर नेता और नेता प्रतिपक्ष हैं। ममता सरकार में मंत्री रहे शुभेंदु से सीबीआई ने शारदा घोटाला मामले में पूछताछ की थी। टीएमसी आरोप लगाती रही है कि जब अधिकारी टीएमसी में थे तो जांच एजेंसियां उन्हें परेशान करती थी लेकिन, बीजेपी में जाते ही उन्हें क्लीन चिट मिल गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

असम के सीएम और महाराष्ट्र के पूर्व सीएम पर भी आरोप
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के खिलाफ मामले भी अटके हुए हैं। हिमंता को 2014 में सारदा चिटफंड घोटाले में सीबीआई की पूछताछ और छापेमारी का सामना करना पड़ा था, लेकिन 2015 में उनके बीजेपी में शामिल होने के बाद से उनके खिलाफ मामला आगे नहीं बढ़ा है। चव्हाण इस साल बीजेपी में शामिल हो गए, जबकि आदर्श हाउसिंग मामले में सीबीआई और ईडी की कार्यवाही पर सुप्रीम कोर्ट की रोक लगी हुई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पढ़ेंः नोटबंदी पर जस्टिस नागरत्ना का बयान पीएम मोदी को करेगा असहज, बोलीं- जब 98 फीसद करेंसी वापस आई, तो काला धन कहां हुआ खत्म

दो मामलों में नहीं रुकी कार्रवाई
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट कहती है कि 25 मामलों में से केवल दो में कार्रवाई नहीं रुकी। इनमें पूर्व कांग्रेस सांसद ज्योति मिर्धा और पूर्व टीडीपी सांसद वाईएस चौधरी का है। दोनों नेताओं के बीजेपी में शामिल होने के बाद भी ईडी द्वारा ढील दिए जाने का कोई सबूत नहीं है। कम से कम अभी तक तो कोई सबूत नहीं मिला। सीबीआई, ईडी और आयकर विभाग से इस बारे में कमेंट मांगने पर द इंडियन एक्सप्रेस का कहना है कि उनके सवालों का जवाब नहीं दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

हालांकि, सीबीआई के एक अधिकारी ने कहा कि एजेंसी की सभी जांच सबूतों पर आधारित हैं। जब भी सबूत मिलते हैं उचित कार्रवाई की जाती है। उन मामलों के बारे में पूछे जाने पर जहां आरोपी के पक्ष बदलने के बाद एजेंसी ने अपना रास्ता बदल लिया है, अधिकारी ने कहा कि कुछ मामलों में विभिन्न कारणों से कार्रवाई में देरी होती है। लेकिन वे खुले हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ईडी के एक अधिकारी ने कहा कि उसके मामले अन्य एजेंसियों की एफआईआर पर आधारित हैं। अगर अन्य एजेंसियां अपना मामला बंद कर देती हैं, तो ईडी के लिए आगे बढ़ना मुश्किल हो जाता है। फिर भी, हमने ऐसे कई मामलों में आरोपपत्र दायर किए हैं। जिन मामलों में जांच चल रही है, जरूरत पड़ने पर कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल तो भ्रष्टाचार के खिलाफ मोदी की गारंटी का मतलब तो यही नजर आ रहा है कि बीजेपी में जाने के बाद कार्रवाई ना होने की गारंटी है।
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