पीएम मोदी ने हिंदू और मुसलमान में बांट दिया चुनाव, चुनाव आयोग खामोश, जानिए कहां कितना बोला गया झूठ
देशभर में 19 अप्रैल को पहले चरण का मतदान 102 लोकसभा सीटों पर हुआ था। इस बार मतदान का प्रतिशत कम रहा और आंकलन किया जाने लगा कि बीजेपी के 400 पार का सपना पूरा नहीं होने जा रहा है। साथ ही गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश में कई कारणों से राजपूत नाराज बताए गए और उनमें बड़ी संख्या में लोगों ने या तो वोट नहीं डाले, या फिर बीजेपी के पक्ष में मतदान ना करने का ऐलान किया। वहीं, विपक्षी गठबंधन इंडिया में शामिल दलों की एकजुटता ने भी बीजेपी के पसीने छुड़ा दिए। ऐसे में अब चुनाव को पीएम मोदी ने सीधे हिंदू मुसलमानों की तरफ मोड़ने का प्रयास कर दिया है। हालांकि, पहले राम मंदिर सहित अन्य चुनावी कार्ड चल नहीं पाए। अब फोकस धर्म पर आधारित राजनीति पर केंद्रित हो चुका है। (खबर को समझने के लिए कांग्रेस घोषणापत्र को जरूर देखें, नीचे लिंक दिया जा रहा है, ताकि साफ हो सके कि पीएम मोदी कितना झूठ बोल रहे हैं)
कांग्रेस घोषणापत्र को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
चुनाव आयोग क्यों है खामोश
चुनावों के दौरान धार्मिक आधार पर वोट नहीं मांगा जा सकता है। ना ही किसी धर्म का नाम लिया जा सकता है। ऐसा गाइडलाइन में लिखा हुआ है। ऐसे मामले में आयोग कार्रवाई भी करता है। साथ ही कर भी रहा है, लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह के साथ ही बीजेपी के तमाम नेता राम के नाम पर वोट मांग रहे हैं। पीएम सीधा मुसलमान शब्द का प्रयोग कर रहे हैं। चुनाव आयोग ऐसे मामलों में खामौश है। हालांकि, शिव सेना के गाने में भवानी माता शब्द होने पर चुनाव आयोग ने नोटिस दिया है। वहीं, राम की फोटो के साथ वोट मांगने, राम मंदिर और अन्य धार्मिक मामलों का जनसभाओं में उल्लेख चुनाव आयोग को नहीं दिखाई दे रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
चुनाव आयोग से की पीएम मोदी की शिकायत
राजस्थान के बांसवाड़ा में दिए गए पीएम मोदी के बयान-कांग्रेस सत्ता में आई तो लोगों की संपत्ति मुसलमानों में बांट देगी, पर कांग्रेस बिफरी हुई है। इसको लेकर कांग्रेस का एक प्रतिनिधमंडल चुनाव आयोग से मिला और अपनी शिकायत दर्ज कराई। बताते चलें कि रविवार को पीएम मोदी ने सभा को संबोधित करते हुए पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के एक बयान का जिक्र किया था। इसको लेकर कांग्रेस पीएम मोदी और बीजेपी पर हमलावर है। इसी कड़ी में कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी, सलमान खुर्शीद और गुरदीप सप्पल चुनाव आयोग से मिले और 17 शिकायतें दर्ज कराई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप
इस मामले में अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि पीएम मोदी ने आचार संहिता का उल्लंघन किया है। वो कांग्रेस को घोषणापत्र को लेकर झूठ फैला रहे हैं। उनके बयान पर चुनाव आयोग को सख्त एक्शन लेना चाहिए। पीएम मोदी से हाथ जोड़कर प्रार्थना करता हूं कि जो बयान दिया वो नहीं देना चाहिए था। वो बयान उनके आधिकारिक हैंडल पर है। उन्होंने एक समुदाय का नाम लिया है, धर्म के बारे में स्पष्ट रूप से बात की है। उन्होंने धारा-123 का उल्लंघन किया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
2006 में मनमोहन सिंह ने दिया था ये बयान
9 दिसंबर, 2006 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राष्ट्रीय विकास परिषद की बैठक में एक बयान दिया गया था। उन्होंने कहा था कि कृषि, सिंचाई और जल संसाधन, स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण निवेश, और सामान्य बुनियादी ढांचे की आवश्यक सार्वजनिक निवेश आवश्यकताओं के साथ-साथ एससी/एसटी, अन्य पिछड़े वर्गों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं और बच्चों के उत्थान के लिए कार्यक्रम। अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए घटक योजनाओं को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है। हमें यह सुनिश्चित करने के लिए नवीन योजनाएं तैयार करनी होंगी कि अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुस्लिम अल्पसंख्यकों को विकास के लाभों में समान रूप से साझा करने का अधिकार हो। संसाधनों पर उनका पहला दावा होना चाहिए। केंद्र के पास अनगिनत अन्य जिम्मेदारियां हैं जिनकी मांगों को समग्र संसाधन उपलब्धता के भीतर फिट करना होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मनमोहन सिंह के बयान पर बोले पीएम मोदी
हालांकि, अपने दस साल के कार्यकाल की उपलब्धियों पर चुनाव प्रचार को फोकस करने की बजाय अब पीएम मोदी 18 साल पुराने कांग्रेस सरकार के तत्कालीन पीएम के बयान को लेकर वोट मांगने का प्रयास कर रहे हैं। दरअसल, बांसवाड़ा में रैली को संबोधित करते हुए पीएम ने अपने भाषण में कहा कि कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में कहा है यदि देश में कांग्रेस की सरकारी बनेगी तो हरेक की प्रॉपर्टी का सर्वे किया जाएगा। हमारी बहनों के पास सोना कितना है, उसकी जांच की जाएगी, उसका हिसाब लगाया जाएगा। हमारे आदिवासी परिवारों में चांदी होती है, उसका हिसाब लगाया जाएगा। सरकारी मुलाजिमों के पास कितनी जगह है, पैसे कहां हैं, नौकरी कहां है, उसकी उसकी जांच की जाएगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
क्या पीएम मोदी ने सच बोला
अब सवाल उठता है कि क्या पीएम मोदी ने सच बोला। कांग्रेस का घोषणापत्र पढ़ोगे तो उसमें कहीं मुस्लिम शब्द नहीं है। उसमें सामाजिक और आर्थिक समानता की बात कही गई है। इसके तहत हर व्यक्ति और हर व्यक्ति की आर्थिक स्थिति की गिनती की बात कही गई है। ताकि, गरीब व्यक्ति तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचे। हालांकि, जब भी गनगणना होती है, तो उसमें पहले भी आर्थिक स्थिति के कालम भरे जाते रहे हैं। हर 10 साल में जनगणना होती है। वहीं, मोदी सरकार ने वर्ष 2021 से जनगणना तक नहीं कराई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
माताओं-बहनों के मंगलसूत्र की सच्चाई
पीएम ने कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो लोगों की संपत्ति मुसलमानों में बांट देगी। ये शहरी-नक्सली मानसिकता माताओं-बहनों के मंगलसूत्र भी नहीं छोड़ेगी। पीएम ने आगे कहा कि ये जो बहनों का सोना है और जो संपत्ति है, ये सबको समान रूप से वितरित कर दी जाएगी। क्या आपको मंजूर है ये। मेहनत करके कमाई हुई आपकी संपत्ति को सरकार को ऐंठने का अधिकार है क्या? क्या उस संपत्ति को माताओं-बहनों की जिंदगी में सोना सिर्फ शो करने के लिए नहीं होता है। यह उसके स्वाभिमान से जुड़ा होता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पीएम ने कहा कि उसका मंगलसूत्र एक सोने किए कीमत का मुद्दा नहीं है, वो उसके सपनों से जुड़ा हुआ मुद्दा है। अपने घोषणा पत्र में तुम उसे छीनने किए बात कर रहे है हो। गोल्ड ले लेंगे, सबको वितरित कर देंगे। और पहले जब उनकी सरकार थी तब उन्होंने कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। इसका मतलब ये संपत्ति इकट्ठी करके किसको बाटेंगे? जिनके ज्यादा बच्चे हैं, उनको बाटेंगे, घुसपैठियों को बाटेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘क्या आपकी मेहनत की कमाई का पैसा घुसपैठियों को दिया जाएगा। आपको मंजूर है ये? ये कांग्रेस का घोषणा-पत्र कह रहा है कि वे माताओं-बहनों के सोने का हिसाब करेंगे, उसकी जड़ती करेंगे, जानकारी लेंगे और फिर उस संपत्ति को बांट देंगे। और उनको बांटेगे जिनको मनमोहन सिंह की सरकार ने कहा था कि संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पीएम के दावों की सच्चाई
सामाजिक आर्थिक जनगणना की बात कांग्रेस के घोषणापत्र में है, लेकिन उसमें कहीं ऐसा नहीं लिखा है कि हिंदुओं की संपत्ति मुसलमानों को बांट दी जाएगी। घोषणापत्र में आर्थिक और सामाजिक समानता के लिए हर व्यक्ति हर वर्ग की गिनती कर गरीब को भी समानता का अधिकार देने की बात कही गई है। पीएम मोदी ने तो यहां तक कह दिया कि जिनके बच्चे ज्यादा होते हैं, उन्हें संपत्ति को बांट देंगे। वहीं, सरकारी एजेंसी नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि मुस्लिमों में प्रजनन दर हिंदुओं के मुकाबले तेजी से गिरी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आखिर क्यों दिए जा रहे हैं ऐसे बयान
अब सवाल उठता है कि चुनावों को हिंदू और मुसलमान में बांटने के प्रयास क्यों हो रहे हैं। इसका कारण ये है कि पहले चरण का मतदान कम होने के चलते पीएम मोदी ने वोटों के ध्रुवीकरण की शुरुआत कर दी। राजपूत बीजेपी से नाराज हैं, लेकिन उन्होंने पता है कि वे हिंदू के नाम पर साथ आ जाएंगे। इसी तरह दलित और दूसरे वर्ग के लोग भी मुसलमानों के खिलाफ खड़े हो जाएंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कांग्रेस के घोषणापत्र को बता चुके हैं मुस्लिम लीग का घोषणापत्र
कांग्रेस का घोषणापत्र को पीएम मोदी आजादी से पहले मुस्लिम लीग का घोषणापत्र बता चुके हैं। वहीं, हकीकत ये है कि जिन्ना की मुस्लिम लीग के साथ बीजेपी के पूर्वज मिले हुए थे। श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने बंगाल और सिंध में मुस्लिम लीग के साथ सरकार चलाई थी। भारत छोड़ो आंदोलन के खिलाफ मुस्लिम लीग और आरएसएस या उससे जुड़ी संस्थाएं हिंदू महासभा आदि थे। सावरकर भी भारत छोड़ो आंदोलन के खिलाफ थे। सावरकर तो सुभाष चंद्र बोस की इंडियन नेशनल आर्मी के भी खिलाफ थे। वे तो अंग्रेजों की सेना में लोगों से भर्ती होने की अपील कर रहे थे। वहीं, सच ये है कि मुस्लिम लीग की तरह ही सावरकर भी दो देश के सिद्धांत की बात करते थे। अब मुस्लिम लीग के नाम पर भ्रम फैलाया जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कांग्रेस ने दी सफाई
वहीं पीएम मोदी के आरोपों पर कांग्रेस ने जोर देकर कहा है कि इसमें किसी से कुछ लेकर बांटने की बात नहीं कही गई है। घोषणापत्र में व्यापक सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना का समर्थन किया गया है। विवाद के बाद कांग्रेस ने पीएम मोदी को अपने घोषणापत्र की कॉपी भेजने की बात कही है। कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि वह (पीएम मोदी) हर चीज के बारे में झूठ बोल रहे हैं और कांग्रेस के घोषणापत्र को गलत बता रहे हैं। इसलिए हमने घोषणापत्र को पीएमओ भेजने का फैसला किया है। वह घबरा रहे हैं कि भारत का मूड बदल रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
खड़गे ने लोगों का बांटने का लगाया आरोप
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान पर पलटवार किया है, जिसमें उन्होंने कांग्रेस पर जनता की संपत्ति घुसपैठियों और ज्यादा बच्चे वाले लोगों में बांटने का आरोप लगाया था। खड़गे ने पीएम मोदी की इस टिप्पणी पर कहा कि आज मोदी जी के बौखलाहट भरे भाषण से दिखा कि प्रथम चरण के नतीजों में इंडिया गठबंधन जीत रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि आज मोदी जी ने जो कहा वो हेट स्पीच तो है ही, ध्यान भटकाने की एक सोची समझी चाल है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सत्ता के लिए झूठ बोलना ही बीजेपी की ट्रेनिंग
खड़गे ने कहा कि प्रधानमंत्री ने आज वही किया जो उन्हें संघ के संस्कारों में मिला है। सत्ता के लिए झूठ बोलना, बातों का अनर्गल संदर्भ बनाकर विरोधियों पर झूठे आरोप मढ़ना यह संघ और बीजेपी की ट्रेनिंग की खासियत है। आज देश की 140 करोड़ जनता अब इस झूठ के झांसे में नहीं आने वाली है। हमारा घोषणापत्र हर एक भारतीय के लिए है। सबकी बराबरी की बात करता है और सबके लिए न्याय की बात करता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पीएम पद की गरिमा कभी इतनी नहीं गिरी
कांग्रेस अध्यक्ष ने बताया कि कांग्रेस का न्याय पत्र सच की बुनियाद पर टिका है, पर लगता है Goebbels रूपी तानाशाह की कुर्सी अब डगमगा रही है। आज भारत के इतिहास में किसी भी प्रधानमंत्री ने अपने पद की गरिमा को इतना नहीं गिराया, जितना मोदी जी ने गिराया है। उन्होंने बताया कि देश में लोकतंत्र और संविधान खत्म हो गया, तो जनता के पास कुछ नहीं बचेगा। बाबासाहेब अंबेडकर जी और जवाहरलाल नेहरू जी ने सभी को वोटिंग का समान अधिकार दिलाया, जिससे सभी वर्गों को सम्मान मिला। मगर, पीएम नरेंद्र मोदी गरीबों से उनके अधिकार छीनना चाहते हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी आज कल कहते हैं- मैं लोगों के लिए जो काम कर रहा हूं, वो बस ‘ट्रेलर’ है। अगर ट्रेलर में ही इतनी समस्याएं हैं तो ‘फिल्म’ कैसी होगी? (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राहुल गांधी ने दिया था ये बयान
भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान युवाओं को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि जाति जनगणना देश का एक्सरे है। इससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। इसमें भी उन्होंने भारत में हर जाति के लोगों की विकास में भागीदारी का उल्लेख किया। साथ ही बेरोजगारी का जिक्र किया था। कहा था कि जाति जनगणना से पता चलेगा कि किसकी आबादी कितनी है और किसकी आर्थिक स्थिति कितनी है। उन्होंने गरीब लोगों को सामाजिक और आर्थिक न्याय की बात कही। ना कि ऐसा कभी कहा कि लोगों के पैसों को मुसलमानों का बांट दिया जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कांग्रेस घोषणापत्र के बिंदु
कांग्रेस के घोषणा पत्र में पांच न्याय की बात कही गई है। हालांकि, इस घोषणापत्र के खिलाफ बीजेपी की ओर से प्रचार फैलाया जा रहा है। साथ ही इसे मुसलमानों और एक धर्म विशेष का घोषणापत्र बताया जा रहा है। पीएम मोदी इसे अर्बन नक्सली घोषणापत्र तक बता रहे हैं। ऐसे में हमने सोचा कि घोषणापत्र के बिंदुओं का उल्लेख किया जाए। ताकि लोगों को पता चल सके कि इसमें क्या लिखा है और क्या प्रचार किया जा रहा है। ये घोषणापत्र युवा न्याय, नारी न्याज, किसान न्याय, श्रमिक न्याय, हिस्सेदारी न्याय की बात करता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
युवा न्याय
इसमें युवा न्याय के तहत पहली नौकरी पक्की का वादा किया गया। एक शिक्षित युवाओं को एक लाख की अप्रेंटिसशिप का अधिकार देने की बात की गई। भर्ती भरोसा के तहत 30 लाख रिक्त सरकारी पदों को भरने की बात कही गई है। पेपर लीक को रोकने के लिए कानून बनाने, गिग वर्कर्स की सुरक्षा, युवाओं के लिए पांच हजार करोड़ का नया स्टार्टअप फंड की बात कही गई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नारी न्याय
महालक्ष्मी योजना के तहत गरीब परिवार की बुजुर्ग महिला को हर साल एक लाख रुपये देने की बात कही गई है। आधी आबादी को पूरा हक देने के लिए केंद्र सरकार की नई नौकरियों में महिलाओं को 50 फीसद आरक्षण, आशा, मिड डे मील, आंगनवाड़ी वर्कर्स के मानदेय में केंद्र का योगदान दोगुना करने, कामकाजी महिलाओं के लिए दोगुने हास्टल बनाने की बात घोषणापत्र में की गई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
किसान न्याय
घोषणापत्र में एनएसपी कानून की गारंटी स्वामीनाथन फार्मूले के आधार पर देने की बात कही गई। साथ ही कर्ज से मुक्ति, 30 दिन के भीतर बीमा भुगतान का सीधा ट्रांसफर किसानों के खाते में करने, किसानों की सलाह से नई इंपोर्ट एक्सपोर्ट नीति बनाने, किसानों से जरूरी हर चीज से जीएसटी हटाने की बात कही गई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
श्रमिक न्याय
इसमें मनरेगा की दैनिक मजदूरी कम से कम 400 रुपये करने, सबको स्वास्थ्य अधिकार के तहत 25 लाख का हेल्थ कवर, मुफ्त ईलाज, अस्पताल, डॉक्टर, दवा, टेस्ट, सर्जरी की बात कही गई है। शहरों में भी मनरेगा की तर्ज पर शहरी रोजगार गारंटी, सामाजिक सुरक्षा के तहत असंगठित मजदूरों के लिए जीवन और दुर्घटना बीमा, सरकारी कार्यों में कांट्रैक्ट सिस्टम के तहत मजदूरी बंद करके सीधे रोजगार देने की बात कही गई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हिस्सेदारी न्याय
सामाजिक और आर्थिक समानता के लिए हर व्यक्ति और हर वर्ग की गिनती। संवैधानिक संशोधन द्वारा 50 फीसद सीमा हटाकर एससी, एसटी, ओबीसी को आरक्षण का पूरा हक, एससी, एसटी सब प्लान की कानूनी गारंटी। जितनी इनकी संख्या, उसी आधार पर बजट। यानी ज्यादा हिस्सेदारी। जल जंगल जमीन का कानूनी हक। वन अधिकार वाले पट्टों का एक साल में फैसला आदि घोषणापत्र के बिंदुओं में शामिल हैं। अब सवाल ये है कि एक धर्म की बात इसमें कहां की गई है, जिसे पीएम मोदी चुनाव प्रचार में फैला रहे हैं। ऐसे में ये मतदाताओं को देखना पड़ेगा कि कौन कहां कितना सच बोल रहा है।
महंगाई और बेरोजगारी पर बोलती बंद
कांग्रेस का कहना है कि पीएम मोदी बेरोजगारी पर बात नहीं कर रहे हैं। ना ही वह महंगाई पर बोलते हैं। उनकी तो इस मुद्दे पर बोलती बंद हो जाती है। बहुत हुई महंगाई की मार, वाला नारा वह भूल चुके हैं। वहीं, इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (आईएलओ) और मानव विकास संस्थान (आईएचडी) द्वारा रिपोर्ट में दावा किया गया कि भारत में बेरोजगारों में 83 फीसद युवा बेरोजगार हैं। ऐसे में पीएम मोदी लोगों का ध्यान बांटने के लिए कभी भ्रष्टाचार तो कभी मछली, मीट, चिकन आदि के मुद्दे चुनाव प्रचार में उछाल रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भ्रष्टाचार पर खुद घिरे पीएम मोदी
कांग्रेस का कहना है कि पीएम मोदी भ्रष्टाचार के मामलों में खुद ही घर चुके हैं। एनसीपी पर 70 हजार करोड़ के घोटाले का आरोप लगाने के तीसरे दिन ही उन्होंने महाराष्ट्र में एनसीपी तोड़कर आरोपियों को सरकार में शामिल करा दिया। इस तरह के कई मामले हैं, जिनमें ईडी और सीबीआई की जांच में घिरे कई विपक्षी नेता बीजेपी में शामिल हुए हैं। ऐसे में ये मुद्दा भी अब मोदीजी के लिए काम का नहीं बचा। इस मुद्दे पर बोलने से पहले उन्हें अपने दल से उन लोगों को निकालना होगा, जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इलेक्टोरल बांड सबसे बड़ा घोटाला
इलेक्टोरल बांड को सुप्रीम कोर्ट भी असंवैधानिक बताकर उसे रद्द कर चुका है। इसमें साफ हुआ कि ईडी और सीबीआई की जांच में घिरे कंपनियों के मालिकों ने बीजेपी को करोड़ों का चंदा दिया। मीट मछली की बात करने वाले प्रधानमंत्री की पार्टी बीजेपी ने तो बीफ का कारोबार करने वाली कंपनी से भी चुनावी चंदा खा लिया। तब लोगों की भावनाएं आहत नहीं हुई। इसी तरह दिल्ली आबकारी नीति में जेल में गया कंपनी मालिक गिरफ्तारी के पांच दिन बाद ही पहले बीजेपी को पांच करोड़ और उसके बाद 52 करोड़ रुपये का चुनावी चंदा देता है। फिर उसकी जमानत का ईडी भी विरोध नहीं करती है। इस तरह के ढेरों उदाहरण हैं, जहां ईडी और सीबीआई की जांच में घिरी कंपनियों ने बीजेपी को चंदा दिया। इसके बाद ऐसी कंपनियों को हजारों करोड़ के ठेके दिए गए।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।