पीएम मोदी ने अपने 77 मंत्रियों को आठ ग्रुप में बांटा, इसलिए उठाया गया है ये कदम
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सभी 77 मंत्रियों को आठ ग्रुप में बांट दिया है। सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी कि मंत्रिपरिषद की औपचारिक बैठकों के बाद सरकार के काम में गति लाने के लिए महत्वपूर्ण फैसले किए गए।
सूत्र बताते हैं कि प्रत्येक बैठक अनौपचारिक ढंग से आयोजित की गई और करीब पांच घंटे चली। इन बैठकों में विचारों का अनौपचारिक रूप से आदान-प्रदान हुआ। कुल पांच अलग-अलग सत्र आयोजित किए गए थे। व्यक्तिगत दक्षता, केंद्रीय क्रियान्वयन, मंत्रालय का कामकाज और हितधारकों के साथ मिल कर काम करना इनके विषय रहे। एक बैठक का विषय पार्टी के साथ तालमेल तथा प्रभावी संवाद भी था। ताकि केंद्र सरकार की प्रमुख योजनाओं के क्रियान्वयन में सरकार और पार्टी एक साथ कदमताल कर सकें।
पांचवे और अंतिम सत्र का विषय संसदीय कामकाज था। इसमें लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू शामिल हुए। इन सभी बैठकों का मकसद मोदी सरकार की कुशलता में वृद्धि करना और डिलीवरी सिस्टम को मजबूत करना था। मंत्रियों के आठ अलग समूह बनाना इसी दिशा में एक बड़ा कदम है। सूत्रों के अनुसार, इससे शासन के काम में अधिक सुधार आएगा और मंत्रियों को काम करने में आसानी होगी।
सूत्र बताते हैं कि हर समूह में 9 से 10 मंत्री रखे गए हैं। एक केंद्रीय मंत्री को समूह समन्वयक बनाया गया है। हर समूह के सदस्यों की आपस में चर्चा होगी और समन्वयक की जिम्मेदारी होगी कि कामकाज को सुगम बनाया जाए। इस प्रक्रिया से उन नए मंत्रियों को भी लाभ मिलेगा, जिन्हें पहली बार सरकार में काम करने का अवसर मिला है। प्रधानमंत्री मोदी इन बैठकों में कह चुके हैं कि मंत्रियों को आपस में अधिक मिलना जुलना होगा। इसके लिए उन्होंने टिफिन बैठकों का भी उल्लेख किया, जो उनके गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए आयोजित होती थी। इसमें मंत्री और नेता अपने-अपने घर से टिफिन लाते थे और साथ बैठकर खाना खाते समय सरकार और पार्टी के काम पर चर्चा करते थे।
पीएम मोदी ने एक मंत्रिपरिषद की बैठक में मत्रियों को कार पूल करने के लिए कहा था और हर कार में तीन से चार मंत्री इकट्ठे बैठक में आए थे। 2024 के चुनाव के मद्देनजर ये बैठकें महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं। इनका मकसद सरकार को चुस्त-दुरुस्त करना और काम में तेजी तथा पैनापन लाना है। ताकि लोगों को शिकायत का मौका न मिले। इस साल जुलाई में मोदी मंत्रिपरिषद के विस्तार के बाद से ही लगातार मंत्रिपरिषद की बैठकें हुईं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।