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March 12, 2025

सेना के साथ पिछले सात सात में हुआ खिलवाड़, वन रैंक वन पेंशन को बनाया एक रैंक 5 पेंशनः रणदीप सुरजेवाला

कांग्रेस के राष्ट्रीय महामंत्री रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक बार फिर से बीजेपी की केंद्र सरकार पर कड़ा हमला बोला। देहरादून स्थित उत्तराखंड कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि सेना के साथ पिछले 7 में खिलवाड़ हुआ है।

कांग्रेस के राष्ट्रीय महामंत्री रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक बार फिर से बीजेपी की केंद्र सरकार पर कड़ा हमला बोला। देहरादून स्थित उत्तराखंड कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि सेना के साथ पिछले 7 में खिलवाड़ हुआ है। सेना के नाम पर वोट लिए गए और उनके शौर्य पर चोट की गई। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के सैनिकों का शौर्य इतिहास में दर्ज हैं। मोदी सरकार और बीजेपी पार्टी ने सैनिकों से कुठाराघाट किया है। उन्होंने कहा कि देश में सेना में 75 हजार सबसे ज्यादा पद खाली हैं। ऐसे में देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है किया गया है। उन्होंने कहा कि ये आंकड़े मोदी सरकार ने संसद में बताए हैं। आज वन रैंक वन पेंशन में सैनिकों के साथ धोखा किया गया है। कांग्रेस की सरकार ने वन रैंक वन पेंशन लागू की थी। केंद्र सरकार ने एक नया आदेश निकाला और 40 प्रतिशत सैनिकों को वन रैंक वन पेंशन से वंचित कर दिया। उन्होंने कहा कि 40 प्रतिशत सैनिकों को वन रैंक वन पेंशन नही मिलती है। केंद्र सरकार ने वन रैंक वन पेंशन को एक रैंक 5 पेंशन बना दिया है।
रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सीडीएस कैंटीन में बीजेपी सरकार ने पाप किया। उन्होंने कहा कि 10 हजार से ज्यादा का सामान नही खरीद सकता। पहले सैनिक कैंटीन से कार खरीदता था, लेकिन बीजेपी ने कह दिया कि एक फोजी अपने जीवन में एक ही कार ले सकता है। खुद मोदी 5 कार 7 साल में लेते हैं। सुरजेवाला ने कहा कि केंद्र सरकार की सोच है कि कहीं फौजी बड़ी कार न खरीद ले।
सेना के सम्मान में कही ये बात
उन्होंने कहा कि अपने लहू से भारत की संप्रभुता और सीमाओं का सौभाग्य लिखने वाले भारत माँ की तीनों सेनाओं व अर्द्धसैनिक बलों के सपूतों को शत्-शत् नमन। उत्तराखंड की देवभूमि के रणबांकुरों के पराक्रम और शौर्य की गाथा तो इतिहास के पन्नों पर अंकित है। विक्टोरिया क्रॉस विजेता दरवान सिंह नेगी व गब्बर सिंह नेगी हो, महावीर चक्र विजेता, रायफलमैन जसव सिंह रावत व राजेश सिंह अधिकारी हों, नौसेना प्रमुख एडमिरल देवेंद्र कुमार जोशी हो, देश के पहले सीडीएस व सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत हों, देश के एक और सेना प्रमुख जनरल बिपिन चंद्र जोशी हो। मेजर चित्रेश, मेजर विभूति शंकर डोडियाल हो या हजारों-लाखों सैनिक व सेना अफसर देश का इतिहास उत्तराखंड के वीरों के शौर्य से सुशोभित है।

उन्होंने कहा कि जब भी हम अपनी सेनाओं को याद करते हैं, तब-तब हमारा मस्तक गर्व से ऊंचा हो जाता है। मगर मोदी सरकार और भाजपा एक तरफ तो सेना की कुर्बानी और शौर्य का इस्तेमाल अपने राजनैतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए करते हैं, वहीं, दूसरी ओर सेना और सैनिकों के हितों पर कुठाराघात करते हैं। उन्होंने इस बात को कुछ इस तरह से समझाया।
सेनाओं में 1,22,555 पद खाली देश की सुरक्षा से नाकाबिले माफी समझौता। 13 दिसंबर, 2021 को रक्षा मंत्रालय ने संसद को बताया कि तीनों सेनाओं में 1,22,555 पद खाली पढ़े हैं, जिसमें से लगभग 10,000 पद सैन्य अधिकारियों के हैं।
OROP पर 30 लाख पूर्व सैनिकों से धोखा वन रैंक वन पेंशन’ बनी वन रैंक, पाँच पेंशन। कांग्रेस सरकार ने सन 2004 से 2012 के बीच तीन बार भूतपूर्व सैनिकों की पेंशन बढ़ाई, जिससे उन्हें ₹7,000करोड़ का अतिरिक्त आर्थिक फायदा हुआ। 17.02.14 को कांग्रेस सरकार ने आदेश जारी कर 01.04.14 से OROP को मंजूर किया। इसमें तय किया वि एक समान समय तक सेवा करने के बाद एक ही रैंक से रिटायर होने वाले सभी सैनिकों को एक समान पेंशन दी जाए फिर चाहे उनकी रिटायरमेंट की तारीख अलग-अलग क्यों न हो, और भविष्य में पेंशनवृद्धि का लाभ भी पुराने पेंशनधारकों को मिले। कांग्रेस सरकार का 17.0214 का OROP का आदेश नकारते हुए मोदी सरकार ने 07.11.15 को नया आदेशनिकाल सेना के 30-40 प्रतिशत सैनिकों से OROP पूरी तरह से छीन लिया। आदेश में कहा कि इन तीनसेनाओं में 01.07.14 के बाद स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले सैन्य कर्मियों को वन रक, वन पेंशन नहमिलेगा।
सेना के अधिकतर जवान 17-18 साल की सेवा के बाद 40 साल की आयु तक रिटायर हो जाते हैं। OROF का लाभ उनको नहीं मिलेगा। क्या यह सच नहीं कि सेनाओं के 85 प्रतिशत कर्मी 38 साल की उम्र तक रिटायर हो जाते हैं और 10 प्रतिशत 46 वर्ष की आयु तक (Para 9 (ii). कोशियारी कमिटी रिपोर्ट)।
मोदी सरकार ने 30 लाख सैनिकों की पेंशन को हर साल रिवाईज करने की मांग को भी नकारकर इस समय अवधि को 5 साल कर दिया OROP को वन रैंक वन पेंशन की बजाय वन रैंक, पाँच पेंशन बना दिया।
पूर्व सैनिकों की स्वास्थ्य योजना (ECHS) सुविधाओं पर आघात ! मौजूदा साल 2021-22 में पिछले साल के मुकाबले पूर्व सैनिकों का ECHS बजट ₹1990 करोड़ काट लिया।
CSD कँटीन में सामान खरीद पर लगाई पाबंदियां व जड़ा जीएसटी! मोदी सरकार ने सेना के CSD कैंटीन से वस्तुओं की खरीद पर अधिकतम सीमा ₹10,000 प्रतिमाह निर्धारित कर दी है। इतना ही नहीं, CSD कैंटीन के माध्यम से अब 10 साल की सेवा के बाद ही पहली कार खरी पाएंगे रिटायर होने तक CSD कैंटीन से कोई कार नहीं खरीद सकते रिटायरमेंट के बाद भी पूरी जिंदर्ग में CSD कैटीन से केवल एक कार खरीद सकते हैं, और वो भी 1800सीसी से कम इंजन क्षमता वाली।
2017 में मोदी सरकार ने CSD कॅटीन में बिकने वाले सामान की आधी कीमत पर जीएसटी देने का प्रावधान भी जड़ दिया है। जबकि जीएसटी लागू होने से पहले पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड जैसे राज्यों में CSD कँटीन पर वैट पूरी तरह से माफ था।
मोदी सरकार ने सैनिकों की ‘डिसएबिलिटी पेंशन पर टैक्स लगाया। अगर कोई सैनिक सेवा में रहते घायल होने पर समय से पहले रिटायरमेंट लेता है, तो वह डिसएबिलिटी पेंशन का हक़दार होता है। मोदी सरकार ने 24 जून, 2019 से सैनिकों की इस पेंशन पर भी बेशर्मी से टैक्स लग दिया। सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा सरकार के इस आदेश पर रोक लगा दी, मगर बेशर्मी से मोदी सरकार आज भी यह केस सुप्रीम कोर्ट में सैनिकों के खिलाफ लड़ रही है।
सातवें वेतन आयोग में सेनाओं से सौतेला व्यवहार मोदी सरकार ने मुँह मोड़ा। सातवें वेतन आयोग में डिफेंस पे मैट्रिक्स में केवल 24 पे लेवल निर्धारित किए गए, जबकि सिविलियन सेवाओं में पे मैट्रिक्स में 40 लेवल हैं। नतीजा यह है कि सैनिकों व अधिकारियों की पेंशन सिविल एम्प्लॉईज से लगभग 20,000 रु. कम निर्धारित होती है।
भारत सरकार के अतिरिक्त सचिव को ₹60,000 डिसएबिलिटी पेंशन मिलती है, पर सेना के लेफ्टिनेंट जनरल को ₹27,000 डिसएबिलिटी पेंशन मिलती है। बराबरी की मांग के बावजूद इसे दरकिनार कर दिया गया।
दुनिया की सबसे ऊँची सैन्य पोस्टिंग सियाचिन ग्लेशियर पर सैनिकों को ₹31.500 मासिक रिस्क अलाउंस मिलता है। इसके विपरीत, ऑल इंडिया सर्विसेस के सिविलियन एम्प्लॉईज़ को सामान्य परिस्थितियों से दूर नियुक्ति पर तनख्वाह का 30 प्रतिशत हिस्सा हार्डशिप अलाउंस मिलता है। उदाहरण के तौर पर सैनिक को सियाचिन ग्लेशियर पर ₹31,500 मासिक ‘रिस्क व हार्डशिप अलाउंस परंतु IAS अधिकारी को गुवाहाटी में नियुक्ति पर 70,000 मासिक हार्डशिप अलाउंस।

लेह-लद्दाख में नियुक्त फौज के ब्रिगेडियर को वहां नियुक्ति पर मासिक ₹17,000 अतिरिक्त अलाउंस मिलेगा में पर सिविलियन एम्प्लॉईज को लेह-लद्दाख में नियुक्ति पर ₹50,000 अतिरिक्त अलाउंस मिलेगा। भाजपा द्वार फौज की अनदेखी की यह इंतहा है।
सर्विस कमीशन सैन्य अधिकारियों को मिलिट्री अस्पताल में इलाज से वंचित किया। जो सैनिक शॉर्ट सर्विस कमीशन के माध्यम से देश की सेवा में योगदान देते हैं, पहले उन्हें आजीवन मिलिट्री अस्पताल में मुफ्त इलाज की सुविधा थी। मगर अब मोदी सरकार ने इस पर रोक लगा दी और यह शर लगा दी कि वे बाहर से इलाज कराएं और रिइम्बर्समेंट बेसिस पर आधा ही भुगतान पाए। अधिकतर समर यह भुगतान भी लालफीताशाही की बलि चढ़ जाता है।
तीनों सेनाओं के सैन्य अधिकारियों को “नॉन-फंक्शनल अपग्रेड (NFU) से वंचित किया! सिविलियन सेवाओं में सभी अधिकारियों को नॉन-फंक्शनल अपग्रेड की सुविधा है, यानि अगर एक बैच के आईएएस या आईपीएस या अन्य अधिकारी तरक्की पाकर अगला पे स्केल लेता है, तो उस बैच के सभी अधिकारियों को वही पे स्केल मिलेगा। परंतु तीनों सेनाओं के सैन्य अधिकारियों को बार-बार मांग उठाने के बावजूद इससे वंचित कर दिया गया है, जिससे सेनाओं में भारी निराशा है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने ऐसा ही दुर्व्यवहार अर्द्धसैनिक बलों के अधिकारियों से भी किया था, मगर वो अधिकारी सुप्रीम कोर्ट गए और वहां से उन्हें राहत मिल गई। मगर मोदी सरकार की नालायकी और फ़ौज विरोधी चेहरा देखिए वह अब भी तीनों सेनाओं के सैन्य अधिकारियों को नॉन-फंक्शनल अपग्रेड नहीं दे रही 9. पूर्व सैनिकों के पुनर्वास की सुविधाओं का रास्ता रोका।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकारों में पूर्व सैनिकों, उनकी विधवाओं सेवा में चोटिल हो सेवानिवृत्त हुए सैनिकों को प्राथमिकत से पेट्रोल पंप, गैस एजेंसी कोयला लदान, ट्रांसपोर्ट कॉन्ट्रैक्ट सरकारी सिक्योरिटी कॉन्ट्रैक्ट्स में प्राथमिकत दी जाती थी। मोदी सरकार के कार्यकाल में ये सुविधाएं लगभग खत्म हो गई है। निजीकरण के कारण पेट्रोलियम कंपनियां ऐसा आरक्षण देती ही नहीं तथा सरकारी कंपनियों ने भी धीरे-धीरे यह सुविधा बंद कर दी है। कोल इंडिया लिमिटेड की सभी खदानों में कोयला लदान व ट्रांसपोर्टेशन का काम पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षित था, पर अब इसे भी खत्म कर दिया गया है। यही हाल टोल प्लाजा व ज्यादातर सरकारी कॉन्ट्रैक्ट का है।
अर्द्धसैनिक बलों के साथ सौतेला व्यवहार
देश सेवा में कुर्बान होने वाले अर्द्धसैनिक बलों, CRPF, BSF, ITBP, CISF, SSB, Coast Guard आदि के जवान को मोदी सरकार शहीद का दर्जा नहीं देती। न तो परिवारों को मुआवजा मिलता और न सरकारी नौकरी।
कांग्रेस सरकार ने 23 नवंबर, 2012 को सभी अर्द्धसैनिक बलों को “Ex Central Armed Police Force “Personnel” चिन्हित करते हुए केंद्रीय व प्रांतीय सरकारों को आदेश जारी किया कि CRPF, BSF, ITBP, SSB CISF, Coast Guard के सभी रिटायर्ड अधिकारियों को तीनों सेनाओं के समान एक्स सर्विसमैन की सभ सुविधाएं दी जाएं। परंतु केंद्र की मोदी सरकार व प्रांतीय भाजपा सरकारों ने इसकी अनदेखी की।
1800 से अधिक सेंट्रल पुलिस कैंटीन 10 लाख अर्द्धसैनिक बलों के सेवारत कर्मियों व 50 लाख के करी उनके परिवारों को सुविधा देती है। मोदी सरकार ने सेंट्रल पुलिस कंटीन पर पूरा जीएसटी लगा दिया तथ तीनों सेनाओं की तरह उन्हें आधे जीएसटी की छूट की भी सुविधा नहीं दी। सवाल यह है करते हैं जो सेनाओं से धोखा, क्यों उन्हें कोई देगा मौका?

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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