ऑक्सीजन के अधिक उत्पादन वाले इन पेड़ की पौध का करें रोपण, बता रहे हैं वनस्पति वैज्ञानिक

कोरोना संक्रमण की इस दूसरी लहर में रोगियों को सबसे ज्यादा समस्या ऑक्सीजन की कमी हो रही है। साथ ही इस लहर ने एक बार फिर प्रकृति के सिद्धांत पर सोचने को मजबूर कर दिया है। आधुनिकीकरण के फेर में हमने प्राणवायु के संधाधनों पर ही आरी चला दी। अब इसका परिणाम कोरोना मरीजों में ऑक्सीजन की कमी के रूप में देखने को मिल रहा है। शुद्ध हवा नहीं मिलने से हमारे शरीर में बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम हो रही है। शरीर जरूरत के हिसाब से ऑक्सीजन तक नहीं ले पा रहा है। ऐसे में उद्योगों से तैयार की गई ऑक्सीजन उसे बचाने के लिए दी जा रही है। यहां वनस्पति वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार अग्रवाल इससे संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं।
जीवन में ऑक्सीजन का महत्व
व्यक्ति के जीवन में ऑक्सीजन का बहुत महत्व है। हमारे जीवन की शुरुआत ऑक्सीजन से होती है। हमारी पहली सांस और जीवन का अंत है। अंतिम सांस और यह ऑक्सीजन की ही बदौलत है। हम प्रतिदिन 350 लीटर ऑक्सीजन का उपयोग करते हैं। हमें अगर 3 मिनट तक ऑक्सीजन ना मिले तो हमारी मृत्यु हो सकती है।
कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की समस्या
कोरोना संक्रमण की इस दूसरी लहर में सबसे ज्यादा समस्या ऑक्सीजन की हो रही है। इस समय कोविड-19 का कहर जारी है। ऑक्सीजन की कमी कई मरीजों की मौत की वजह बन रही है। इस समय देश में ऑक्सीजन का गंभीर संकट पैदा हो गया है। देश में ऑक्सीजन के लिए हाहाकार मचा हुआ है। मेरा मानना है कि अगर ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए होते तो शायद व्यक्ति के शरीर में ऑक्सीजन की इतनी कमी नहीं होती।
इस समय जब कोविड-19 से ऑक्सीजन का संकट पैदा हो गया है। कई लोगों ने ऑक्सीजन के अभाव में दम तोड़ दिया है। सरकार की ओर से विदेशों से भी बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन मंगाई जा रही है। वहीं, सोशल मीडिया से लेकर हर जगह पर पेड़ लगाने की बातें भी होने लगी है। पेड़ों को धरती पर ऑक्सीजन का इकलौता सोर्स माना जाता है। जब तक आप के पर्यावरण में ऑक्सीजन नहीं होगी, आप किसी भी प्लांट में जरूरत के लिए ऑक्सीजन का उत्पादन नहीं कर सकते हैं । इसलिए बहुत जरूरी है कि हम पेड़ों को लगाने पर जोर दें।
आइए मैं आपको आज उन पेड़ों के बारे में बताता हूं, जिनसे सबसे ज्यादा ऑक्सीजन निकलती है। यह वह पेड़ है जो आपको अक्सर कहीं ना कहीं घर के पास और बाग बगीचे में दिखाई देंगे। तुरंत इन्हें लगाएं यह आपको भी स्वस्थ रखेंगे और वातावरण को भी शुद्ध रखेंगे।
पीपल का पेड़
पीपल का वानस्पतिक नाम फिकस रैलीजोसा है। हिंदू धर्म में पीपल तो, बौद्ध धर्म में इसे बोधितरी के नाम से जाना जाता है। कहते हैं इसी पेड़ के नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। पीपल का पेड़ 60 से 80 फीट तक लंबा हो होता है। वैज्ञानिकों ने इसे एक अनूठा वृक्ष भी कह है। जो दिन रात यानी 24 घंटे ऑक्सीजन छोड़ता है। जो मनुष्य के जीवन के लिए बहुत जरूरी है। शायद इसलिए इस पेड़ को देव वृक्ष का दर्जा दिया जाता है। इसलिए बुजुर्ग लोग पीपल का पेड़ लगाने के लिए बार-बार कहते हैं।
बरगद का पेड़
वैसे तो हर पेड़ का अपना एक अलग महत्व होता है, लेकिन यह पेड़ कुछ अलग है। क्योंकि यह पेड़ लंबे समय तक जीवित रहता है। सूखा और पतझड़ आने पर भी या हरा-भरा बना रहता है और सदैव बढ़ता रहता है। यही कारण है कि इसे राष्ट्रीय वृक्ष का दर्जा प्राप्त है। इस पेड़ को हिंदू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है। इसका वानस्पतिक नाम फाइकस है। बरगद का पेड़ बहुत लंबा होता है और यह पेड़ कितनी ऑक्सीजन उत्पादित करता है। यह उसकी छाया पर निर्भर करता है।
नीम का पेड़
नीम के पेड़ को एक एवरग्रीन पेड़ कहा जाता है और यहां एक नेचुरल एयर प्यूरीफायर है। इसका वानस्पतिक नाम अज़दीर्चेत इंडिका है। यह पेड़ प्रदूषित गैसों जैसे कार्बन डाई ऑक्साइड, सल्फर और नाइट्रोजन को हवा से ग्रहण करके पर्यावरण में ऑक्सीजन को छोड़ता है। इसकी पत्तियों की संरचना ऐसी होती है कि यह बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन उत्पादन कर सकता है। जिससे आसपास की हवा हमेशा शुद्ध बनी रहती है।
अशोक का पेड़
इसका वानस्पतिक नाम सराका इंडिका है। अशोक का पेड़ 28 से 30 फुट तक ऊंचा होता है। अशोक का पेड़ न सिर्फ ऑक्सीजन उत्पादित करता है, बल्कि इसके फूल पर्यावरण को सुगंधित रखते हैं और उसकी खूबसूरती को बढ़ाते हैं। यह छोटा सा पेड़ होता है। इसकी जड़ एकदम सीधी होती है। अशोक के पेड़ को लगाने से न केवल वातावरण शुद्ध रहता है, बल्कि इससे घर की शोभा भी बढ़ती है। घर में अशोक का पेड़ हर बीमारी को दूर रखता है।यह पेड़ जहरीली गैसों के अलावा हवा के दूसरे दूषित कणों को भी सोख लेता है।
अर्जुन का पेड़
अर्जुन का पेड़ एक औषधीय पेड़ है। इस पेड़ का वनस्पतिक नाम टर्मिनलिया अर्जुन है। यह पेड़ हमेशा हरा भरा रहता है, और 70 से 80 फुट तक की ऊंचाई का होता है। इसके बहुत से आयुर्वेदिक फायदे हैं। इस पेड़ का धार्मिक महत्व भी है। कहते हैं कि यह सीता माता का पसंदीदा पेड़ है। हवा से कार्बन डाइऑक्साइड और दूसरी गैसों को ग्रहण कर ऑक्सीजन में बदल देता है।
जामुन का पेड़
जामुन का वानस्पतिक नाम सीज़यगीउम् क्यूमिनी है। यह एक सदाबहार पेड़ है। भारतीय आध्यात्मिक कथाओं में भारत को जम्मू दीप, यानी जामुन की धरती के तौर पर भी जान जाता है। जामुन का पेड़ 50 से 100 फुट तक लंबा हो सकता है। इसके फल के अलावा यह पेड़ सल्फर ऑक्साइड और नाइट्रोजन जैसी जहरीली गैसों को सोख लेता है। इसके अलावा कई दूषित कणों को भी जामुन का पेड़ ग्रहण करता है, जिससे हवा शुद्ध होती है।
लेखक का परिचय
डॉ. अशोक कुमार अग्रवाल
डा. अग्रवाल उत्तराखंड में देहरादून निवासी हैं। वह वर्तमान में उत्तरकाशी जिले के राजकीय महाविद्यालय चिन्यालीसौड़ में वनस्पति विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।