दुर्गम इलाकों में सेवारत कार्मिकों को स्थानांतरण एक्ट के प्रावधानों का मिलेगा लाभ, शासनादेश जारी
उत्तराखंड में दुर्गम इलाकों में सेवारत कार्मिकों को स्थानांतरण एक्ट में अंकित प्रावधानों का लाभ मिलेगा। इसे लेकर स्पष्ट शासनादेश जारी कर दिए गए हैं। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रांतीय प्रवक्ता आरपी जोशी ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कतिपय विभागों द्वारा दुर्गम में सेवारत कार्मिकों को स्थानान्तरण एक्ट की धारा 20 (क) एवं (ख) में अंकित प्राविधानों, का लाभ नहीं दिया जा रहा था। इस पर राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद की ओर से यह प्रकरण विगत सातक अगस्त 2023 को सचिव कार्मिक के साथ बैठक में उठाया गया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने बताया कि इस मामले में शासन की ओर से कार्यवाही करते हुए शासनादेश जारी कर दिया गया है। इसमें वार्षिक स्थानान्तरण अधिनियम 2017 की धारा 20(क) एवं (ख) का लाभ कार्मिकों को अनुमन्य कराए जाने के लिए विभागीय सचिवों को स्पष्ट कर दिया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रदेश प्रवक्ता जोशी ने स्पष्ट किया कि वार्षिक स्थानान्तरण अधिनियम की धारा 20 (क) में यह प्राविधान है कि दुर्गम में सेवारत कार्मिक को प्रोत्साहन स्वरुप 7000 फीट से ज्यादा की तैनाती पर 1 वर्ष की सेवा को 2 वर्ष की सुगम की सेवा के समतुल्य माना जाएगा। वहीं 20 (ख) में प्राविधान किया गया है कि 7000 फीट से कम स्थान पर 1 वर्ष की सेवा को 1 वर्ष 3 माह के सुगम स्थान की सेवा के समतुल्य माना जाएगा। इसके बावजूद कई विभागों में इसका लाभ कार्मिकों को प्रदान नहीं किया जा रहा था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस विषय का सर्वप्रथम संज्ञान राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के वरिष्ठ उपाध्यक्ष गिरिजेश काण्डपाल की ओर से लिया गया था। उन्होंने परिषद के प्रदेश अध्यक्ष अरुण पाण्डे को पत्र लिखकर इसे शासन स्तर पर उठाए जाने का अनुरोध किया गया। इस पर राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद द्वारा प्रकरण शासन के समक्ष रखा गया। साथ ही कार्मिकों के हित में शासनादेश जारी कराने में सफल रहा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
परिषद के प्रदेश अध्यक्ष श्री अरुण पाण्डे एवं वरिष्ठ उपाध्यक्ष गिरिजेश काण्डपाल द्वारा यह उम्मीद जताई गई कि उक्त शासनादेश के जारी होने के उपरान्त भविष्य में किसी भी विभाग द्वारा स्थानान्तरण एक्ट के प्राविधानों का उल्लंघन नहीं किया जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अरुण पाण्डे ने बताया कि परिषद की ओर से शासन स्तर पर यह भी मांग की गई है कि कई विभागों के कार्यालयों में इन्टरनेट की सुविधा न होने के कारण एसीआर आनलाइन अंकित किए जाने में कठिनाई उत्पन्न हो रही है। वहां पर आफलाइन एसीआर अंकित किए जाने की सुविधा कार्मिकों को प्रदान की जाए। जिस पर शासन स्तर पत्रावली गतिमान है। इस पर भी यथाशीघ्र शासनादेश जारी होने की उम्मीद पाण्डे ने जताई है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।