दिव्यांगों में होते हैं भगवान के दर्शन: सूर्यकांत धस्माना
उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष व देव भूमि मानव संसाधन विकास ट्रस्ट के अध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि दिव्यांगों में भगवान के दर्शन होते हैं। अगर किसी को भगवान के साक्षात दर्शन करने हों और उनके प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करनी हो तो भारती देवी एजुकेशन फाउंडेशन जैसी किसी संस्था के द्वारा चलाये जा रहे दिव्यांगों के स्कूल में जा कर दिव्यांग बच्चों के दर्शन करें। उनकी सेवा करे। किसी भी रूप में सेवा करोगे तो इससे बड़ा धर्म व पुण्य का कार्य दूसरा नहीं हो सकता। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पौड़ी जिले के कोटद्वार क्षेत्र में हल्दूचौड़ स्थित भारती देवी एजुकेशन फाउंडेशन द्वारा संचालित दिव्यांग बच्चों के स्कूल में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि उन्होंने कहा कि दिव्यांग बच्चे ईश्वर के ही दूसरे रूप होते हैं। क्योंकि उनको दुनिया के बारे में तो दूर, अपने शरीर के बारे में ही कुछ पता नहीं होता। वे मन से पूर्ण निश्छल होते हैं। धस्माना ने भारती देवी एजुकेशन फाउंडेशन के अध्यक्ष व संचालक कमलेश व उनकी पूरी टीम के कार्यों की सराहना की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि जो काम बड़े बड़े धनवान व सरकारें नहीं कर रही, उस काम को सीमित संसाधनों में बिना सरकारी सहायता के उनके द्वारा चलाया जा रहा है। यह प्रशंसनीय और अनुकरणीय भी है। धस्माना ने कहा कि उनको इस बात का आश्चर्य हो रहा है कि कोटद्वार में ही नहीं, बल्कि पूरे पौड़ी जनपद में और शायद गढ़वाल के किसी भी पर्वतीय जनपद में दिव्यांगों के लिए कोई भी सरकारी स्कूल नहीं है। वहीं, दिव्यांग बच्चों की संख्या गढ़वाल के पर्वतीय जनपदों में हज़ारों में हो सकती है। उन्होंने कहा कि वे भारती देवी एजुकेशन फाउंडेशन संस्था को हर प्रकार की सहायता अपने स्तर पर प्रदान करेंगे। शाशन प्रशासन व सरकार के स्तर पर जो भी सहयोग अपेक्षित होगा, उसको भी करवाने का पूरा प्रयास करेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
संस्था के अध्यक्ष कमलेश ने मुख्य अतिथि धस्माना, विशिष्ट अतिथि जसबीर राणा, कृष्णा भगोट का शाल पहना कर व प्रतीक चिह्न दे कर स्वागत किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि उनको दिव्यांगों की सेवा करने की प्रेरणा तब मिली, जब उनका अपना बच्चा दिव्यांग पैदा हुआ।उन्होंने व उनकी पत्नी ने यह संकल्प लिया था कि वे दिव्यांगों के लिए स्कूल खोल कर उनकी देख रेख व शिक्षा के लिए स्कूल स्थापित करेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डेढ़ साल पहले उन्होंने इस स्कूल की स्थापना की। आज 36 दिव्यांग बच्चों को वे देखभाल व पढ़ाई करवा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने पूरे कोटद्वार का सर्वे किया तो पता चला कि बड़ी संख्या में दिव्यांग बच्चे हैं। इनके लिए कोई व्यवस्था नहीं है। कमलेश ने कहा कि उनका प्रयास है कि कोटद्वार में दिव्यांग बच्चों के लिए बड़े स्तर पर कार्य किया जाय। इस अवसर पर राकेश बिष्ट, जय चंद शाह आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन रिनी लखेड़ा ने किया।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।