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November 16, 2024

उत्तरकाशी में भूकंप के झटके से सहमे लोग, घरों से बाहर निकले लोग

रविवार की दोपहर उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में भूकंप के झटके महसूस किए गए। हालांकि लोगों का कहना है कि भूकंप दो बार आया, लेकिन नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी में इसे एक बार ही दर्ज किया गया है।

रविवार की दोपहर उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में भूकंप के झटके महसूस किए गए। हालांकि लोगों का कहना है कि भूकंप दो बार आया, लेकिन नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी में इसे एक बार ही दर्ज किया गया है। भूकंप दोपहर 12 बजकर 36 मिनट 56 सेकेंड में महसूस किया गया। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 3.6 आंकी गई। इसका आक्षांस 30.75 और देशांतर 78.54 था। साथ ही इसका केंद्र जमीन के भीतर करीब दस किलोमीटर था। भूकंप के झटकों से लोग दहशत में आ गए और घरों से बाहर निकल आए। लोगों का कहना है कि दूसरा झटका 12.54 बजे महसूस हुआ, जो कि हल्‍का था। हालांकि नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी की वेबसाइट पर ये दर्ज नहीं है। भूकंप के झटके उत्‍तरकाशी सहित जिला मुख्यालय, भटवाड़ी, डुंडा, गंगोत्री, चिन्यालीसौड़ और यमुना घाटी में भी महसूस हुए। कहीं से किसी नुकसान की सूचना नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उत्तराखंड संवेदनशील
भूकंप की दृष्टि से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील है। राज्य के अति संवेदनशील जोन पांच की बात करें इसमें रुद्रप्रयाग (अधिकांश भाग), बागेश्वर, पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी जिले आते हैं। ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, चंपावत, हरिद्वार, पौड़ी व अल्मोड़ा जोन चार में हैं और देहरादून व टिहरी दोनों जोन में आते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उत्तराखंड में आ चुके हैं दो बड़े भूकंप
उत्तराखंड के उत्तरकाशी और चमोली जिले में दो बड़े भूकंप आ चुके हैं। इससे भूकंप के हलके झटके से ही लोग दहशत में आ जाते हैं। उत्तरकाशी में 20 अक्टूबर 1991 को 6.6 तीव्रता का भूकंप आया था। उस समय हजारों लोग मारे गए थे। साथ ही संपत्ति को भी अत्यधिक क्षति हुई थी। इसके बाद 29 मार्च 1999 में चमोली जिले में उत्तराखंड का दूसरा बड़ा भूकंप आया। भारत के उत्तर प्रदेश (अब उत्तराखंड) राज्य में आया यह भूकंप हिमालय की तलहटियों में 90 वर्षों का सबसे शक्तिशाली भूकंप था। इस भूकंप में 103 लोग मारे गए थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ये हैं भूकंप के कारण
भू-वैज्ञानिकों के मुताबिक पिछले चार सालों में मेन सेंट्रल थ्रस्ट पर 71 से ज्यादा बार भूकंप के झटके आ चुके हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह क्षेत्र कितना सक्रिय है। उनका कहना है कि छोटे-छोटे भूकंप के झटके बड़े झटकों की संभावनाओं को रोक देते है। मेन सेंट्रल थ्रस्ट के रूप में जाने जानी वाली दरार 2500 किमी लंबी और कई भागों में विभाजित है। इंडियन और एशियन प्लेट के बीच दबाव टकराने और घर्षण से भूकंप की घटना होती है।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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