उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में भूकंप के झटकों से दहशत में आए लोग
उत्तराखंड में शुक्रवार 19 फरवरी की शाम करीब चार बजकर 38 मिनट पर पिथौरागढ़ जिले में भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने में चार आंकी गई।

उत्तराखंड में शुक्रवार 19 फरवरी की शाम करीब चार बजकर 38 मिनट पर पिथौरागढ़ जिले में भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने में चार आंकी गई। वहीं, इसका केंद्र पिथौरागढ़ जिले में जमीन के अंदर करीब आठ किलोमीटर नीचे रहा।
इससे पहले 12 फरवरी को शुक्रवार की रात करीब 10 बजकर 34 मिनट पर उत्तर भारत में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। इसे उत्तराखंड में भी महसूस किया गया था। तब नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी ने इसका केंद्र ताजाकिस्तान बताया। साथ ही तिव्रता 6.3 बताई और केंद्र धरती के भीतर 74 किलोमीटर बताया गया।
इससे पहले नौ जनवरी की सुबह उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए तो रात को सीमावर्ती राज्य हिमाचल प्रदेश के कई इलाके भूकंप से दहल उठे। हिमाचल में आए भूकंप की तीव्रता भी 4.2 थी। इससे लोग सहम गए और घरों से बाहर निकल आए। ।
उत्तराखंड में भी इससे पहले आठ जनवरी को बागेश्वर जिले में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। आठ जनवरी को ही सुबह 10 बजकर पांच मिनट पर उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। इसका केंद्र बागेश्वर में जमीन के भीतर दस किलोमीटर था। वहीं रिक्टर स्कैल पर इसकी तीव्रता 3.3 आंकी गई है। बताया जा रहा है कि करीब 15 सेकंड तक लोगों ने भूकंप के झटके महसूस किए।
उत्तराखंड संवेदनशील
भूकंप की दृष्टि से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील है। राज्य के अति संवेदनशील जोन पांच की बात करें इसमें रुद्रप्रयाग (अधिकांश भाग), बागेश्वर, पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी जिले आते हैं। ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, चंपावत, हरिद्वार, पौड़ी व अल्मोड़ा जोन चार में हैं और देहरादून व टिहरी दोनों जोन में आते हैं।
उत्तराखंड में आ चुके हैं दो बड़े भूकंप
उत्तराखंड के उत्तरकाशी और चमोली जिले में दो बड़े भूकंप आ चुके हैं। इससे भूकंप के हलके झटके से ही लोग दहशत में आ जाते हैं। उत्तरकाशी में 20 अक्टूबर 1991 को 6.6 तीव्रता का भूकंप आया था। उस समय हजारों लोग मारे गए थे। साथ ही संपत्ति को भी अत्यधिक क्षति हुई थी। इसके बाद 29 मार्च 1999 में चमोली जिले में पूरे उत्तरकाशी
उत्तराखंड का दूसरा बड़ा भूकंप आया। भारत के उत्तर प्रदेश (अब उत्तराखंड) राज्य में आया यह भूकंप हिमालय की तलहटियों में 90 वर्षों का सबसे शक्तिशाली भूकंप था। इस भूकंप में 103 लोग मारे गए थे।
ये हैं भूकंप के कारण
भू-वैज्ञानिकों के मुताबिक पिछले चार सालों में मेन सेंट्रल थ्रस्ट पर 71 से ज्यादा बार भूकंप के झटके आ चुके हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह क्षेत्र कितना सक्रिय है। उनका कहना है कि छोटे-छोटे भूकंप के झटके बड़े झटकों की संभावनाओं को रोक देते है। मेन सेंट्रल थ्रस्ट के रूप में जाने जानी वाली दरार 2500 किमी लंबी और कई भागों में विभाजित है। इंडियन और एशियन प्लेट के बीच दबाव टकराने और घर्षण से भूकंप की घटना होती है।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
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