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September 11, 2025

देहरादून में टोल प्लाजा से बचने को लोगों ने तलाशे जुगाड़, शानदार सफर, जाम से छुटकाराः भूपत सिंह बिष्ट

उत्तराखंड सरकार भले ही देहरादून-हरिद्वार हाईवे पर लच्छीवाला के निकट टोल प्लाजा की वसूली से अपने नागरिकों को राहत ना दें, लेकिन लोगों ने नया जुगाड़ को तलाश लिया।

उत्तराखंड सरकार भले ही देहरादून-हरिद्वार हाईवे पर लच्छीवाला के निकट टोल प्लाजा की वसूली से अपने नागरिकों को राहत ना दें, लेकिन लोगों ने नया जुगाड़ को तलाश लिया। इस रास्ते से आप टोल प्लाजा पर अपनी गाढ़ी कमाई देने से भी बच जाएंगे। साथ ही प्रकृति की सुंदरता का लुत्फ भी उठा सकेंगे। यहां ना तो कोई जाम मिलेगा और शानदार सफर की अनुभूति भी होगी।
लच्छीवाला टोल प्लाजा से आप की गाढ़ी कमाई बचाने के लिए हम तत्पर हैं। राजनेताओं से लेकर अधिकारी, अधिवक्ता व मीडिया कर्मियों की जवाबदेही है कि वो आम जन को हर बार इस प्लाजा से गुजरने पर वसूले जा रहे पिचासी रूपये से राहत दिलाने के लिए अपनी पुरजोर आवाज उठायें। अभी तक तो इसे लेकर आवाज नहीं उठ रही है। इसमें गौर करने वाली बात ये ही कि मुख्यमंत्री ने अपनी विधानसभा डोईवाला क्षेत्र के लोगों को टोल से छूट दी है। अब सवाल उठता है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सिर्फ डोईवाला के मुख्यमंत्री हैं या फिर पूरे प्रदेश के। प्रदेश की जनता का क्या दोष है कि वह टोल प्लाजा पर जाम भी झेले और अपनी कमाई भी दे।
अगर यह राशि दस या बीस रूपये तक सीमित नहीं रखी जा सकती तो बेहतर है कि इस टोल प्लाजा को लच्छीवाला से हटाकर देहरादून – हरिद्वार जनपद की सीमा पर स्थापित किया जाये। ऐसे एक्सप्रेस हाइवे का क्या काम, जहां टोल चुकाने के लिए बीस – बीस मिनट समय गाड़ियां खड़ी रहें। साथ ही एक ही जिले के भीतर आने जाने के लिए टोल टैक्स दिया जाए।


देहरादून – हरिद्वार अब जुड़वा शहर हैं और राजधानी देहरादून आने के लिए पिचासी रूपये की वसूली सरकारी अधिकारी और नेताओं की निरकुंश सोच की परिचायक है। देहरादून में पंजीकृत वाहनों के लिए टोल शुल्क दस रूपये से ज्यादा नहीं होना चाहिए। इस टोल प्लाजा पर लग रही लम्बी कतारें इस बात का सबूत है कि यातायात को टोल के नाम पर बाधित रखना, डबल इंजन सरकार की असफलता में गिना जा रहा है।
ये है रास्ता, जहां नहीं है टोल
गढ़वाल मंडल के टिहरी, चमोली, रूद्रप्रयाग, गढ़वाल जनपदों की ओर से आने वाले वाहन ऋषिकेश की ओर से देहरादून में प्रवेश करते हैं। ऐसे सभी वाहनों को डोइवाला की ओर आने की जरूरत नहीं है। सभी वाहन लच्छीवाला टोल बचाने के लिए रानीपोखरी पार करने के बाद भानियावाला की ओर ना आकर, मुख्य मार्ग से जोली ग्रांट एयरपोर्ट की तरफ मुड़ सकते हैं। यहां जगह – जगह पर देहरादून आने का रास्ता दिखाने वाले बोर्ड लगे हैं।
एयरपोर्ट की डबल लेन सड़क से देहरादून आने का सुलभ और सस्ता रास्ता थानों के जंगलात से होकर महाराणा प्रताप खेल अकादमी रायपुर पहुंचता है। रास्ते की हरियाली और खुला परिसर मनमोहक प्राकृतिक नजारों से भरपूर हैं। मार्ग पर पड़ने वाली सौंग नदी के पुल को पारकर हम अंतर राष्ट्रीय राजीव गांधी क्रिकेट स्टेडियम के करीब से गुजरते हैं। इस एयरपोर्ट मार्ग पर उत्तराखंड अधीनस्थ चयन आयोग (उत्तराखंड सर्बोडनेट सर्विस स्लेक्शन कमीशन) और फिशरी बोर्ड यानि मत्स्य विभाग के आफिस भी पड़ते हैं।
देहरादून आने जाने का यह रास्ता निसंदेह थकान दूर करता है और पिकनिक सा आनंद देता है। पूरे रास्ते में खाने – पीने के ढाबे और चाट की ठेलियां यात्रियों को स्वागत कर रही हैं। इस मार्ग से आप एक घंटे में घंटाघर पहुंचते हैं और सामान्य ट्रैफिक जाम देहरादून नगर के अंदर आकर मिलता है।
ये भी है एक रास्ता
देहरादून शहर से हरिद्वार जाने के लिए डोइवाला जाना पड़ता है ओर इसीलिए लच्छीवाला टोल प्लाजा पर भारी वसूली की जा रही है। हरिद्वार की ओर जाने वाले वाहन इस टोल को बचाने के लिए देहरादून से मोथरोवाला का रास्ता ले सकते हैं। दून यूनिवर्सिटी मोथरोवाला से होकर एक रास्ता रिस्पना नदी के साथ दूधली गांव की ओर जा रहा है। ये रास्ता भी टोल वाले रास्ते के बराबर ही है।
देहरादून से दूधली होकर डोइवाला पहुंचने में आधा घंटे के करीब समय लगता है। दून यूनिवर्सिटी के आसपास का यह रास्ता अब देहरादून शहर की सीमा को नया विस्तार दे रहा है। हर जगह लैंड डेवलपर्स और प्लाटिंग से खेतों की हरियाली कंक्रीट में अंतरित हो रही है। निकट भविष्य में दूधली से हरिद्वार पहुंचने की दूरी घटाने के नये मार्ग बनने हैं। विधानसभा सत्र के दौरान इस मार्ग का प्रयोग हरिद्वार जाने वाले ट्रैफिक को डोइवाला के लिए डायवर्ट करने के लिए किया जाता है।
दूधली से डोइवाला विकासखंड आफिस होकर देहरादून – मौथरोवाला – दूधली रोड़ हरिद्वार जाने के लिए डोइवाला में मिल रहा है। आजकल इन मार्गों का प्रयोग लच्छीवाला टोल बचाने के लिए बहुतायत में किया जा रहा है। बेहतर है कि स्थानीय वाहनों से टोल राशि को दस रूपये तय किया जाये और उत्तराखंड से बाहर के वाहनों पर एनएच अपनी पालिसी के अनुरूप एक समान दर तय कर सकता है।
निकट भविष्य में टोल प्लाजा का यह रोग पहाड़ों के जीवन को और भी दूभर करने वाला है। नेशनल हाइवे अपनी सभी परियोजनाओं का पैसा आम जनता से खींचना चाहेगा और आर्थिक सीमित साधनों के चलते उत्तराखंड की जनता टोल प्लाजा का भारी बोझ सहने में सक्षम नहीं है। सड़कों पर टोल वसूलने के लिए प्रदेश में कारगर नीति नहीं बनायी गई तो वर्ष 2022 का पांचवा विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए जन असंतोष पैदा करने की परियोजना साबित होना है।
पढ़ें: चार साल का राज- काम कम, ज्यादा रूसवाइयां, टोल प्लाजा अब हमेशा रहेगा कोढ़ में खाज: भूपत सिंह बिष्ट

लेखक का परिचय
नाम-भूपत सिंह बिष्ट, स्वतंत्र पत्रकार, देहरादून, उत्तराखंड।

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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