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September 25, 2024

नहीं रहे पंडित बिरजू महाराज, नाती पोतों के साथ खेल रहे थे अंताक्षरी, तभी पोती की गोद पर रखा सिर और दुनिया को कहा अलविदा

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देश के मशहूर कथक नर्तक और पद्म विभूषण से सम्मानित पंडित बिरजू महाराज का हार्ट अटैक से निधन हो गया है। वह 83 साल के थे। बताया जा रहा है कि दिल्ली स्थित आवास में वह नाती पोतों के साथ अंताक्षरी खेल रहे थे।

देश के मशहूर कथक नर्तक और पद्म विभूषण से सम्मानित पंडित बिरजू महाराज का हार्ट अटैक से निधन हो गया है। वह 83 साल के थे। बताया जा रहा है कि दिल्ली स्थित आवास में वह नाती पोतों के साथ अंताक्षरी खेल रहे थे। तभी अचानक उनके शरीर में कंपन होने लगी। उन्हें पोती की गोद में सिर रखा और इस दुनिया को अलविदा कह दिया। घटना रविवार रात 12 बजे के बाद की है। उनके पोते स्वरांश मिश्र ने सोशल मीडिया के जरिए महाराज जी के निधन की सूचना दी है।
लखनऊ घराने से तालुक रखने वाले बिरजू महाराज का असली नाम बृजमोहन मिश्रा था। उनका जन्म 4 फरवरी, 1938 को लखनऊ में हुआ था। उन्हें लोग सम्मान से पंडित जी या महाराज जी कहते थे। पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक, पंडित बिरजू महाराज रविवार और सोमवार की दरम्यानी रात करीब 12:00 बजे तक अपने नाती पोतों के साथ अंताक्षरी खेल रहे थे। अंताक्षरी खेलते-खेलते अचानक उनकी तबीयत बिगड़ी। उनके शरीर में कंपन होने लगी। इसी दौरान उन्होंने पोती की गोद पर सिर रखा और वह बेहोश हो गए। उन्हें दिल्ली के साकेत अस्पताल ले जाया गया। जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
पंडित बिरजू महाराज को कुछ दिनों पहले किडनी की बीमारी का पता चला था। वह डायलिसिस पर चले गए थे। पंडित बिरजू महाराज का बनारस से भी नाता था। उनका ससुराल बनारस था। इलाहाबाद की हंडिया तहसील जो पहले बनारस में आती थी, इनका परिवार वहीं का रहने वाला था। जो बाद में लखनऊ चला गया। वहीं फिर लखनऊ घराना बना। इसी घराने के वो अग्रणी नर्तक थे। इसके अलावा वह कवि, कोरियोग्राफर और शास्त्रीय गायक भी थे। महाराज जी के पिता और गुरु अच्छन महाराज, चाचा शंभु महाराज और लच्छू महाराज भी प्रसिद्ध कथक नर्तक थे।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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