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June 24, 2025

ग्राफिक एरा में बोले पद्मभूषण डॉ. अनिल जोशी-भारतीयों को विरासत में मिली प्रकृति संरक्षण की शिक्षा

भारतीय संस्कृति में विकास के बजाय हमेशा समृद्धि की बात होती रही है। यह कहना था पर्यावरणविद पद्मभूषण डॉ अनिल प्रकाश जोशी का।

भारतीय संस्कृति में विकास के बजाय हमेशा समृद्धि की बात होती रही है। यह कहना था पर्यावरणविद पद्मभूषण डॉ अनिल प्रकाश जोशी का। वह आज देहरादून में ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी में एक अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस को मुख्य अतिथि के रुप में ऑनलाइन संबोधित कर रहे थे। सस्टेनेबल डिवेलप्मेंट आफ क्रॉस कल्चरल डिमेन्शन विषय पर आयोजित इस कॉन्फ्रेंस में डॉक्टर जोशी ने कहा कि हम भारतीयों को प्रकृति संरक्षण की शिक्षा विरासत में मिली है जिसमें एक मुख्य विकास नहीं वरन समृद्धि की बात होती रही है। समृद्धि सामूहिक होती है उसमें मनुष्य के साथ सब प्रकृति के विभिन्न घटकों के संरक्षण की चिंता रहती है।
उन्होंने कहा औद्योगिक क्रांति के पीछे इकनोमिक इनसिक्योरिटी की भावना रही थी। आज धरती के सामने एक ईकलाजिकल इनसिक्योरिटी की परिस्थिति बन रही है। हमें इकोसिस्टम ग्रोथ पर गंभीरता के साथ काम
करना होगा। डॉ जोशी ने प्रतिभागियों से आह्वान भी किया कि वह अपनी दिनचर्या में प्रकृति संरक्षण को शामिल करें। प्रकृति इंसानों और समाज के साथ भेदभाव नहीं करती इसलिए इसके संरक्षण की जिम्मेदारी हर नागरिक की है।
चान्सलर ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी प्रोफेसर डॉ आर सी जोशी ने सस्टेनेबल डेवलपमेंट के महत्व पर कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक उपयोग से उत्पन्न पर्यावरणीय समस्याओं के साथ-साथ इन संसाधनों को भविष्य के लिए सुरक्षित रखना भी जरूरी है। जिसके लिए सस्टेनेबल डेवलपमेंट के प्रति जागरूकता में शिक्षा का अहम रोल हो सकता है।
आर्ट एट मेथोडिस्ट यूनिवर्सिटी अमेरिका के प्रोफेसर विलास तोंपे ने कहा कि जैव और सांस्कृतिक विविधताओं के साथ-साथ मनुष्य और प्रकृति के बीच एक पारस्परिक संबंध है जो एक मिसाल है। भारत का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि भारत के लोगों के पास कुछ करने का एक हौसला है जिसे हमने बनाए रखना है। भारत एक कृषि प्रधान देश है। कृषि कार्य में कई अनिश्चितता के बावजूद भी हमारे किसान धैर्य और जज्बे के साथ उन परिस्थितियों का सामना करते हैं। आज हम सस्टेनेबल डेवलपमेंट की बात कर रहे हैं तो हमारी जो स्पिरिट है वह हमारे लिए एक संसाधन की तरह है उसे भी हमें बचाए रखना है।
मशहूर फोटोजर्नलिस्ट पद्मश्री सुधारक ओल्वे ने सीवर लाइन की सफाई में लगे लोगों की दुश्वारियां जो कि महाराष्ट्र और झारखंड के आदिवासियों की जीवन शैली पर आधुनिकता के प्रभाव को दर्शाते चित्रों के माध्यम से सस्टेनेबल डेवलपमेंट पर बातचीत की। ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के फाइन आर्ट्स एवं इंग्लिश डिपार्टमेंट की इस तीन दिवसीय कांफ्रेंस में सस्टेनेबल डेवलपमेंट ओफ क्रॉस कल्चरल डिमेन्शन से जुड़े 42 शोध पत्र भी प्रस्तुत किए जाएंगे। इसमें ग्राफिक एरा डीम्ड ग्राफिक एरा हिल के साथ-साथ देश-विदेश के शोधार्थी, विद्यार्थी शामिल होंगे।
उद्घाटन सत्र में ग्राफिक एरा डीम्ड के डायरेक्टर जनरल प्रोफेसर डॉ संजय जसोला, ग्राफिक एरा डीम्ड के वाइस चांसलर प्रोफेसर डॉक्टर एचएन नागराजा, ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रोफेसर डॉ जे.
कुमार, मशहूर आर्टिस्ट सविंद्र ने भी अपने विचार ऑनलाइन माध्यम से व्यक्त किए। कार्यक्रम में फाइन आर्ट्स के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉक्टर एस.के.सरकार, इंग्लिश डिपार्टमेंट के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ विपिन कुमार, डॉक्टर
शिपरा जोशी, डॉक्टर मंदाकिनी, डॉक्टर अनिर्बन धर, कपिल चैधरी, पलक चाँदना के साथ छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम का संचालन रुपिंदर कौर ने किया।

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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