धंसते जोशीमठ में 600 परिवारों को घर खाली करने के आदेश, निकालने में हेलीकॉप्टर की लेंगे मदद, आज सीएम करेंगे दौरा
उत्तराखंड के चमोली जिले में धंसते जोशीमठ में तबाही का खतरा गहराने लगा है। यहां जमीन धंसने के कारण 600 घरों में दरारें आ गई हैं। जोशीमठ के सिंगधर वार्ड में शुक्रवार की शाम को एक मंदिर ध्वस्त हो गया। अधिकारियों ने इस बात की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि स्थानीय निवासी इस घटना के बाद आगे चलकर एक बड़ी आपदा के होने के डर के साए में जी रहे है। वहीं, भू-धंसाव की चपेट में ज्योतिर्मठ परिसर भी आ गया है। परिसर के भवनों, लक्ष्मी नारायण मंदिर के आसपास बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गई हैं। ज्योतिर्मठ के प्रभारी ब्रह्मचारी मुकुंदानंद ने बताया कि मठ के प्रवेश द्वार, लक्ष्मी नारायण मंदिर और सभागार में दरारें आई हैं। इसी परिसर में टोटकाचार्य गुफा, त्रिपुर सुंदरी राजराजेश्वरी मंदिर और ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य की गद्दी स्थल है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एक मंदिर और कई घरों के ढहने के बाद स्थिति का जायजा लेने के लिए आज धंसते शहर जोशीमठ का दौरा करेंगे। उन्होंने फौरन लगभग 600 परिवारों को उनके घर खाली करने का आदेश दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)जानकारी के अनुसार घटना के वक्त मंदिर के अंदर कोई मौजूद नहीं था। मंदिर को बड़ी बड़ी दरारें आने के बाद खाली कर कर दिया गया था। इसलिए कोई जनहानि नहीं हुई। आपदा प्रबंधन अधिकारियों ने कहा कि कई घरों में बड़ी दरारें आ गई हैं। ऐसे में करीब 50 परिवारों को पहले ही रेस्क्यू कर सुरक्षित जगहों पर ले जाया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राजमार्ग पर दरारें चिंता का कारण
सामरिक महत्व का बदरीनाथ हाईवे जोशीमठ भू-धंसाव की जद में आ चुका है। राजमार्ग परआईं बड़ी-बड़ी दरारें चिंता का कारण बन गई हैं। यदि दरारें नहीं थमीं तो हाईवे का एक बड़ा हिस्सा कभी भी जमींदोज हो सकता है। ऐसे हालात में भारतीय सेना चीन की सीमा से कट सकती है। सीमांत जिले चमोली के जोशीमठ से बदरीनाथ की दूरी करीब 46 किमी है। बदरीनाथ से आगे का रास्ता चीन सीमा की ओर जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
केंद्र ने गठित किया विशेषज्ञों का पैनल
केंद्र ने धंसते जोशीमठ का “तेजी से अध्ययन” करने के लिए एक विशेषज्ञ पैनल का गठन किया है। अधिकारियों ने कहा कि एक समिति बस्तियों, इमारतों, राजमार्गों, बुनियादी ढांचे और नदी प्रणालियों पर भूमि धंसने के प्रभावों का अध्ययन करेगी। वहीं, उत्तराखंड के सीएम पुष्कर धामी ने कहा कि जीवन बचाना हमारी पहली प्राथमिकता है। अधिकारियों को जोशीमठ में घरों में रहने वाले लगभग 600 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने के लिए कहा गया है। इन घरों में भारी दरारें आ गई हैं और वे कभी भी ढह सकते हैं। बताया जा रहा है कि उन परिवारों को हेलिकॉप्टर के जरिए बाहर निकाला जाएगा। डेंजर जोन, सीवर और ड्रेनेज के ट्रीटमेंट के काम में तेजी लाने का आदेश देते हुए मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि जमीन पर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हो और लोगों को एयरलिफ्ट करने की व्यवस्था भी की जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आपदा नियंत्रण कक्ष स्थापित करने के निर्देश
स्थानीय लोगों का कहना है कि जोशीमठ के मौजूदा हालात जलवायु परिवर्तन और निरंतर बुनियादी ढांचे में किए जा रहे विकास की देन है। वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक कालाचंद सेन ने कहा ये कारक हाल में सामने नहीं आये हैं, बल्कि इसमें बहुत लंबा समय लगा है। सीएम धामी ने कहा कि कस्बे में एक आपदा नियंत्रण कक्ष भी स्थापित किया जाना चाहिए, और राज्य और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल दोनों की पर्याप्त तैनाती होनी चाहिए। प्रभावित लोगों की मदद के लिए हेलीकॉप्टर सेवाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जोशीमठ प्रमुख हिंदू और सिख धार्मिक स्थलों जैसे बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब का प्रवेश द्वार है। यह चीन के साथ भारत की सीमा के पास प्रमुख सैन्य ठिकानों में से एक है। औली रोपवे का संचालन भी बड़ी दरार विकसित होने के बाद रोक दिया गया है। कस्बे का मारवाड़ी इलाका, जहां जमीन से पानी का रिसाव हो रहा है, वो जगह सबसे ज्यादा प्रभावित बताई जा रही है। क्योंकि इस जगह से पानी लगातार बड़ी तेजी के साथ नीचे बह रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
फिलहाल परियोजनाओं पर निर्माण गतिविधियों पर रोक
चारधाम ऑल वेदर रोड (हेलंग-मारवाड़ी बाईपास) और एनटीपीसी की पनबिजली परियोजना जैसी मेगा परियोजनाओं से संबंधित सभी निर्माण गतिविधियों को निवासियों की मांग पर अगले आदेश तक रोक दिया गया है। जोशीमठ औली मार्ग आवागमन भी बंद कर दिया गया है। राज्य सरकार ने कहा है कि जिन लोगों के घर प्रभावित हुए हैं और उन्हें खाली करना है। उन्हें मुख्यमंत्री राहत कोष से अगले छह महीने के लिए मकान किराए के रूप में 4,000 रुपये प्रति माह मिलेंगे।

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।




