विपक्षी गठबंधन इंडिया ने 14 न्यूज एंकर के कार्यक्रमों का किया बहिष्कार, सत्ता से सवाल नहीं पूछेंगे तो ऐसा ही होगा, बीजेपी ने की आलोचना

आगामी लोकसभा चुनाव के लिए बनाए गए विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (INDIA) के घटक दलों ने गुरुवार को फैसला किया कि वे देश के 14 टेलीविजन एंकर के कार्यक्रमों में अपने प्रतिनिधि नहीं भेजेंगे। कारण ये माना जा रहा है कि ये न्यूज एंकर बीजेपी के प्रचार तंत्र के रूप में कार्य कर रहे हैं। सत्ता से सवाल की बजाय उनका उद्देश्य विपक्ष से सवाल पूछकर उनको घेरना है। एक तरफ कश्मीर में पुलिस अधिकारी और सेना के दो अधिकारी शहीद हो जाते हैं, वहीं, दूसरी तरफ जी 20 के आयोजन को लेकर पीएम मोदी का दिल्ली में सम्मान समारोह हो रहा था। एक तरफ पीएम पर फूलों की बारिश हो रही थी, वहीं, दूसरी तरफ शहीदों के परिजनों के आंखों में आसू थे। ऐसे समय पर जवानों की शहादत की बजाय न्यूज एंकर पीएम मोदी के महिमामंडन के कार्यक्रम की कवरेज करते रहे। ऐसे में जब मीडिया एक तरफा हो गया है, तो ऐसे न्यूज एंकरों के बहिष्कार का फैसला अधिकांश लोग सही ठहरा रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ की मीडिया से संबंधित समिति की बैठक में यह फैसला किया गया। विपक्षी गठबंधन की मीडिया समिति ने एक बयान में कहा कि 13 सितंबर, 2023 को अपनी बैठक में ‘INDIA’ समन्वय समिति द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार, विपक्षी गठबंधन के दल इन 14 एंकर के शो और कार्यक्रमों में अपने प्रतिनिधि नहीं भेजेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये हैं न्यूज एंकर

विपक्षी दलों के गठबंधन से निर्णय वापस लेने का आग्रह करते हुए न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (NDBDA) ने कहा कि वह इंडिया की मीडिया समिति के कुछ पत्रकारों/एंकरों के शो और कार्यक्रमों में अपने प्रतिनिधियों को नहीं भेजने के फैसले से व्यथित और चिंतित है। एनबीडीए ने कहा कि विपक्षी गठबंधन की मीडिया समिति के निर्णय ने एक खतरनाक मिसाल कायम की है। भारत की कुछ शीर्ष टीवी समाचार हस्तियों द्वारा संचालित टीवी समाचार शो में भाग लेने से विपक्षी गठबंधन के प्रतिनिधियों पर प्रतिबंध लोकतंत्र के लोकाचार के खिलाफ है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पवन खेड़ा ने किया था ट्वीट
कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख और विपक्षी गठबंधन की मीडिया समिति के सदस्य पवन खेड़ा ने कहा कि रोज शाम पांच बजे से कुछ चैनल पर नफरत की दुकानें सजाई जाती हैं। हम नफरत के बाजार के ग्राहक नहीं बनेंगे। हमारा उद्देश्य है नफ़रत मुक्त भारत। खेड़ा ने यह भी कहा कि बड़े भारी मन से यह निर्णय लिया गया कि कुछ एंकर के शो और कार्यक्रमों में हम भागीदार नहीं बनें। हमारे नेताओं के खिलाफ अनर्गल टिप्पणियां, फेक न्यूज़ से हम लड़ते आए हैं और लड़ते रहेंगे, लेकिन समाज में नफ़रत नहीं फैलने देंगे। मिटेगी नफ़रत, जीतेगी मुहब्बत। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
रोज़ शाम पाँच बजे से कुछ चैनल्स पर नफ़रत की दुकानें सजायी जाती हैं।
हम नफ़रत के बाज़ार के ग्राहक नहीं बनेंगे। हमारा उद्देश्य है ‘नफ़रत मुक्त भारत’।
बड़े भारी मन से यह निर्णय लिया गया कि कुछ एंकर्स के शोज़ व इवेंट्स में हम भागीदार नहीं बनें। हमारे नेताओं के ख़िलाफ़ अनर्गल… pic.twitter.com/2xhxh2Hm9h— Pawan Khera ?? (@Pawankhera) September 14, 2023
बीजेपी नेताओं ने फैसले की कड़ी आलोचना
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इस कदम की निंदा की. पार्टी के प्रमुख प्रवक्ता और सांसद अनिल बलूनी ने एक बयान जारी कर कहा कि विपक्षी दलों ने अपनी दमनकारी, तानाशाही और नकारात्मक मानसिकता का प्रदर्शन किया है। बलूनी ने कहा कि भाजपा ऐसी विकृत मानसिकता का कड़ा विरोध करती है जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाती है। उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान मीडिया का गला घोंट दिया गया था। इस घमंडिया गठबंधन में शामिल दल उसी अराजक और आपातकालीन मानसिकता के साथ काम कर रहे हैं। बलूनी ने आरोप लगाया कि मीडिया को इस तरह की खुली धमकी लोगों की आवाज दबाने के समान है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जेपी नड्डा ने भी दी प्रतिक्रिया
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी कांग्रेस के फैसले पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने लिखा- कांग्रेस के इतिहास में मीडिया को धमकाने और अलग विचार रखने वालों को चुप कराने के कई उदाहरण हैं। पंडित नेहरू ने बोलने की आजादी पर रोक लगा दी और उनकी आलोचना करने वालों को गिरफ्तार कर लिया। इंदिरा जी इसे करने के तरीके में स्वर्ण पदक विजेता बनी हुई हैं। उन्होंने प्रतिबद्ध न्यायपालिका, प्रतिबद्ध नौकरशाही का आह्वान किया और भयावह आपातकाल लगाया। राजीव जी ने मीडिया को राज्य के नियंत्रण में लाने की कोशिश की, लेकिन बुरी तरह असफल रहे। सोनिया जी के नेतृत्व वाली यूपीए सोशल मीडिया हैंडल पर सिर्फ इसलिए प्रतिबंध लगा रही थी, क्योंकि कांग्रेस को उनके विचार पसंद नहीं थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हालांकि, बहिष्कार का खेल नया नहीं है। बीजेपी अडानी पूर्व एनडीटीवी का भी बहिष्कार कर चुकी है। वहीं, कई पत्रकारों के खिलाफ या तो कानूनी कार्रवाई की गई, या फिर उन्हें नौकरी से हटवा दिया गया। ऐसे कई उदाहरण हैं, जब दबाव में आकर कई पत्रकारों ने इस्तीफे दिए। वहीं, अबकी बार जिन पत्रकारों का इंडिया गठबंधन से बहिष्कार किया, इन सब को सांप्रदायिकता भड़काने का आरोप है।
नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स ने भी जताई आपत्ति
इस बीच नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स’ (एनयूजे) ने बहिष्कार को लोकतंत्र पर हमला करार दिया। एनयूजे ने आरोप लगाया कि विपक्षी दलों ने मीडिया का राजनीतिकरण किया है। इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स से जुड़े नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स के अध्यक्ष रास बिहारी ने एक बयान में कहा कि विपक्षी दलों का यह फैसला भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में मीडिया पर दमन का एक ‘काला अध्याय’ है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।