खबर खोलकर तस्वीरों को ही देख लो, फिर कहो कि मानवता जिंदा है, जहां सरकार चुप, वहीं-ये जेब से खिला रहे खाना

इस समाचार में जानबूझकर हैडिंग में ये नहीं लिखा गया है कि समाचार क्या है। कारण ये है कि लोगों की मानसिकता ही ऐसी हो गई है। दुष्कर्म या फिर अश्लीलता से संबंधित खबर होगी तो लोग उसे पढ़े बगैर नहीं रह सकते हैं। वहीं, यदि समाज में अच्छा काम हो रहा है तो सिर्फ हैडिंग देखकर ही अंदाजा लगा लेते हैं कि भीतर क्या है। ना ही खबर पढ़ते हैं और न ही ऐसी खबरों को दूसरों को पढ़ाते हैं। होना ये चाहिए कि समाज में अच्छा काम करने वालों के काम की जानकारी को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाया जाना चाहिए। ताकी लोग ऐसे लोगों से प्रेरणा ले सकें।
कोरोनाकाल, कर्फ्यू और सरकार
सरकार ने कोरोनाकाल में कर्फ्यू तो लगा दिया। लोग घरों में हैं। कई लोगों का आय का जरिया समाप्त हो चुका है। तो कोई दवा के लिए तरस रहा है। किसी बीमार है और कोरोना संक्रमित होने के चलते उसे ऑक्सीजन की जरूरत है। नेता बयानबाजी कर रहे हैं। बड़े नेता फोटो सेशन कर रहे हैं। दिखावे के लिए फोटो जारी कर रहे हैं। एक पार्टी के लीडर से उसी पार्टी का लीडर मिलता है, तो फोटो समाचार पत्रों को जारी की जा रही है। बताया जा रहा है कि ये झंडे गाढ़ने के लिए दोनों नेताओं ने मुलाकात की। कभी नेताजी अस्पातल पहुंच रहे हैं। खुद को संक्रमित हो चुके हैं अब कौन समझाए कि भीड़ से दूर रहो। एकांतवास में रहकर भी काम कर सकते हो। दिखावे के लिए फोटो जारी हो रही हैं। कभी दरवार की तो कभी अन्य स्थानों की। कभी शोक सभा की तो कभी…बहुत लंबी लिस्ट है। आप पढ़ोगे तो थक जाओगे।
अब देखो गरीब के हालत
गरीब के घर राशन नहीं है। नेताजी राशन पहुंचा रहे हैं या नहीं, ये फोटो नहीं आई। एक नेताजी ने घर से फ्रिज दे दिया अस्पताल को। अब उनसे कौन पूछे की चार साल तक स्वास्थ्य मंत्रालय आपके पास रहा। राजधानी के अस्पताल में ही फ्रिज नहीं है तो आप क्या करते रहे। फ्रिज ही देना था तो पुराना क्यों किया। खरीदकर नया दे देते। पचास हजार के मोबाइल साल में दो से तीन बदले जा सकते हैं, लेकिन दस से बारह हजार खर्च करने में डर लगता है। सरकार ने भी गरीबों को राशन देने की बात कही। शायद से राशन मई व जून से बंटेगा। वहीं, अप्रैल से ही कर्फ्यू में लोग भूख से बिलबिला रहे हैं।
क्या हमारा फर्ज नहीं है
जब कोई मुसीबत में पड़ रहा है तो लोग सीधे पुलिस को फोन कर रहे हैं। आमजन के भीतर क्या इतनी इंसानियत खत्म हो चुकी है कि घर के आसपास किसी भूखे परिवार को राशन देने में मदद करें। चार पांच परिवार ही चंदा एकत्र कर ऐसा काम कर सकते हैं। इसके बावजूद ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो पुलिस को तो फोन कर रहे हैं, लेकिन खुद मदद नहीं कर रहे हैं। ऐसे लोगों में नेता भी शामिल हैं, जो लोगों के वोटों से ही नेतागिरी कर रहे हैं। जब पुलिस कर्मी अपनी जेब से मदद कर सकते हैं, तो अन्य लोग क्यों नहीं कर सकते। हां ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था सिर्फ पुलिस कर्मी ही कर सकते हैं, लेकिन किसी को खाना तो कोई भी दे सकता है।
भला हो इन पुलिस कर्मियों का
सच है कि पुलिस का हम अमानवीय चेहरा ही उजागर करते रहे हैं। उनके अच्छे कामों को हम लिखते हैं तो लोग पढ़ते नहीं हैं। कारण ये है कि लोग निगेटिव रिपोर्ट ही पढ़ना पसंद करते हैं। कोरोना पॉजिटिव है जो डराता है। इससे पॉजिटिव होने वालों के पास जाने की कोई हिम्मत तक नहीं जुटा रहा है। वहीं, शिक्षकों या अन्य विभागों के कर्मियों से कम वेतन पाने वाले पुलिसकर्मी पॉजिटिव वालों के पास मदद को जा रहे हैं। वो भी कई बार अपनी जेब से उनके लिए भोजन जुटा रहे हैं। अब ये ना कहना कि पुलिस ने रिश्वत से बहुत कमाया है, वो यदि खर्च कर दे तो क्या फर्क पड़ता है। पुराने फ्रिज की तरह पुलिसकर्मी बासी खाना लेकर नहीं जा रहे हैं। वे दुकान से राशन बंधवा रहे हैं और लोगों तक पहुंचा रहे हैं। ऐसे सिर्फ उत्तराखंड में नहीं पूरे देश भर में हो रहा है। चलिए हम उदाहरण के तौर पर देहरादून पुलिस का ये मानवीय चेहरा दिखाते हैं।
सीनियर सिटीजन महिला की दवाई देकर की गई मदद
नेहरू कॉलोनी कोताली के प्रभारी निरीक्षक को बुजुर्ग महिला निशा देवरानी पत्नी एम एल देवरानी निवासी 95 सी ब्लॉक नेहरू कॉलोनी द्वारा सूचना दी गई कि वह घर पर अकेली हैं। उनके बच्चे घर से बाहर हैं। दवाइयों की जरूरत है। लॉकडाउन में कोई उनकी सहायता नहीं कर पा रहा है। इस सूचना पर पुलिस ने सीनियर सिटीजन महिला से दवाई का पर्चा लिया और उसके घर पर दवा भिजवाई।
इसी थाने की पुलिस को शैलेंद्र डोभाल पुत्र राजेंद्र डोभाल मकान नंबर 85 लेन नंबर 4 सारथी विहार थाना नेहरू कॉलोनी ने सूचना दी कि घर पर लोग बीमार हैं। दवाइयों की अति आवश्यकता है। इस पर पुलिस ने दवा संबंधी जानकारी जुटाई को उस घर पर दवा पहुंचाई।
घर पहुंचाया ऑक्सीजन सिलेंडर
रायपुर पुलिस को कमला जोशी (63 वर्ष) पत्नी नंदा बल्लभ जोशी निवासी तुनवाला की तबीयत खराब होने का फोन आया। बताया गया कि उनका स्वास्थ्य अत्यंत खराब है। उन्हें आक्सीजन की तुरंत आवश्यकता है। इस पर पुलिस ने उनके घर एक ऑक्सीजन सिलेंडर भिजवाया गया।
निजी खर्च से पहुंचाया राशन
ऋषिकेश कोतवाली क्षेत्र का हाल ही देख लोग। मुसीबत में पड़े परिवार को मदद के लिए वार्ड मेंबर ने भी पुलिस को ही सूचना दी। बताया कि उनके वार्ड आदर्श ग्राम में एक परिवार है। इसमें एक बुजुर्ग पति पत्नी अकेले रहते हैं तथा दोनों करोना पॉजिटिव है। काम ना होने के कारण राशन की व्यवस्था नहीं है। इस सूचना पर तत्काल बस अड्डा चौकी के पुलिस कर्मियों ने निजी खर्चे से उनको घर में आवश्यकता का राशन दाल, चावल, आटा, चाय, पत्ती, मसाले, व सब्जियां तत्काल उपलब्ध कराया।
पहुंचाई ऑक्सीजन और दवा
ऋषिकेश पुलिस को एक व्यक्ति ने फोन किया कि वह करोना पॉजिटिव है। उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही है। इस सूचना पर पुलिस हेल्पलाइन टीम ने चौकी प्रभारी आईडीपीएल को साथ लेकर उपरोक्त व्यक्ति के घर पर तत्काल ऑक्सीजन उपलब्ध कराई। ऋषिकेश पुलिस के मुताबिक अब तक हेल्पलाइन नंबर पर आई काल के बाद 13 लोगों को ऑक्सीज, दवाइयां एवं राशन आदि की मदद की गई।
ये भी हैं सेवक
देहरादून में पंडित दीन दयाल उपाध्याय स्थित कोरोनेशन अस्पताल कोविड वार्ड में समाज सेवी मोहन खत्री ने बताया गया कि कोविड वार्ड में मूल भूत सुविधाओं का आभाव है। इस पर कांग्रेस ट्रेड यूनियन के प्रदेश महासचिव पंकज क्षेत्री ने कोरोनेशन कोविड वार्ड को एक फ्रिज जनहित में भेंट किया गया। इस अवसर पर कोरोनेशन अस्पताल के प्रभारी डॉक्टर मनोज उप्रेती,डॉक्टर जे पी नौटियाल, डॉक्टर पीयूष त्रिपाठी , फार्मेसिस्ट हरीश चन्द्र देवली एवं उत्तम रमोला मौजूद थे।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
सटीक व सही बात