पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर वित्त मंत्री बोलीं-राज्य सरकारों से पूछो सवाल, उत्तराखंड ने ग्रीन बोनस के साथ मांगा विशेष पैकेज
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार की रात में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि लोगों को राज्य सरकारों से पूछना चाहिए कि उनमें से कुछ ने ईंधन की दरों में कटौती क्यों नहीं की है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा कि राज्यों का पूंजीगत व्यय बढ़ाने में मदद करने को केंद्र इस महीने कर हिस्से के तौर पर उन्हें 95082 करोड़ रुपये की राशि जारी करेगा, जिसमें एक अग्रिम किस्त भी शामिल होगी। निर्मला सीतारमण ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों एवं वित्त मंत्रियों के साथ हुई एक बैठक की। बैठक के बाद जारी आधिकारिक बयान के मुताबिक वित्त मंत्री ने भारत को आने वाले वर्षों में सबसे तेज उभरती अर्थव्यवस्था बनाने में राज्यों से मदद देने का अनुरोध किया। साथ ही कहा कि निवेश के लिए आकर्षण बढ़ाकर और कारोबारी सुगमता सुनिश्चित करने वाले कदम उठाकर ऐसा किया जा सकता है। बैठक में राज्यों की तरफ से भी निवेश को बढ़ाने के लिए कई सुझाव दिए गए। इसमें निवेश प्रोत्साहन के लिए पारदर्शी व्यवस्था का निर्माण अहम है।
बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि संकलित कर राजस्व में हिस्सेदारी के तौर पर राज्यों को केंद्र से दी जाने वाली राशि इस बार दोगुनी होगी। इसकी वजह यह है कि राज्यों ने केंद्र से अनुरोध किया था कि एक महीने का अग्रिम भुगतान मिलने से उन्हें पूंजीगत व्यय में सहायता मिलेगी। सीतारमण ने कहा कि मैंने वित्त सचिव से कहा है कि राज्यों के हिस्से की सामान्य 47541 करोड़ रुपये की राशि दिए जाने के बजाय 22 नवंबर को उन्हें एक महीने की अग्रिम किस्त भी दे दी जाए। इस तरह राज्यों को उस दिन 95,082 करोड़ रुपये जारी कर दिए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि एक महीने का कर हिस्सा अग्रिम तौर पर मिलने से राज्यों के पास पूंजीगत व्यय के लिए अतिरिक्त राशि होगी। इसका इस्तेमाल वे ढांचागत आधार खड़ा करने में कर सकते हैं। वित्त सचिव टीवी सोमनाथन ने कहा कि फिलहाल संग्रहीत कर का 41 प्रतिशत राज्यों को 14 किस्तों में दिया जाता है और राज्यों को अपनी नकद आवक के बारे में अनुमान भी होता है। सोमनाथन ने कहा कि यह एक अग्रिम भुगतान होगा और किसी भी तरह का समायोजन मार्च में किया जाएगा।
सीतारमण के साथ हुई इस बैठक में 15 मुख्यमंत्री, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल और तीन राज्यों के उप-मुख्यमंत्री शामिल हुए। अन्य राज्यों का प्रतिनिधित्व उनके वित्त मंत्रियों ने किया। सीतारमण ने कहा कि कोविड-19 की दूसरी लहर के बाद आर्थिक वृद्धि में आई मजबूती के संदर्भ में यह बैठक हुई है। हालांकि यह वक्त वृद्धि को बनाए रखने और इसे दोहरे अंकों में ले जाने के तरीकों पर ध्यान देने का भी है। उन्होंने कहा कि इस बैठक में निवेश और विनिर्माण एवं कारोबारी गतिविधियों से संबंधित मुद्दों पर राज्यों की राय जानने की कोशिश भी की गई।
केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि हाल ही में शुरू हुई राष्ट्रीय मौद्रिकरण पाइपलाइन योजना में सिर्फ केंद्र सरकार की परिसंपत्तियां रखी गई हैं और राज्यों की परिसंपत्तियों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है। हालांकि, उन्होंने कहा कि राज्यों के पास भी कई ऐसी परिसंपत्तियां हैं जिनका मौद्रिकरण किया जा सकता है। इससे मिलने वाली पूंजी का इस्तेमाल नए आधारभूत ढांचे के निर्माण एवं प्राथमिकता वाले सामाजिक क्षेत्रों में किया जा सकता है।
उत्तराखंड ने मांगा ग्रीन बोनस और विशेष पैकेज
उत्तराखंड ने केंद्र सरकार से राज्य को ग्रीन बोनस के साथ ही विशेष पैकेज देने का अनुरोध किया है। जल विद्युत परियोजनाओं, सड़क और औद्योगिक विकास के लिए हजारों करोड़ों के प्रस्तावों को जल्द स्वीकृति देने की मांग की गई है। कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने सोमवार को केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कई मुद्दों पर बात की। इस दौरान उन्होंने राज्य के लिए ग्रीन बोनस के साथ ही विशेष पैकेज का अनुरोध किया।
सुबोध उनियाल ने कहा कि नीति आयोग की एसडीजी 2020 रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखण्ड की रैंक बेहतर होकर अब तीसरी हो गयी है। 2019 की रिपोर्ट के अनुसार राज्य दसवें स्थान पर था। नीति आयोग की रिपोर्ट इण्डिया इनोवेशन इण्डेक्स-2020 के अनुसार दस पर्वतीय राज्यों में उत्तराखण्ड दूसरे स्थान पर है। ऐसे में राज्य की आर्थिक और विकास जरूरतों को देखते हुए केंद्र सरकार को ग्रीन बोनस के साथ ही विशेष पैकेज देना चाहिए।
सुबोध उनियाल ने कहा कि राज्य को रोप वे परियोजनाओं के विकास के लिए 6349 करोड़ उपलब्ध कराए जाएं। इसके साथ ही उन्होंने राज्य में कृषि विकास के लिए 1034 करोड़, औद्यानिकी विकास के लिए 2000 करोड़ देने का भी अनुरोध किया। उन्होंने उत्तरकाशी, चमोली एवं पिथौरागढ़ के सीमान्त क्षेत्रों में आवासीय या गैर आवासीय विद्यालय खोलने का भी अनुरोध किया।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।