कृषि कानूनों के खिलाफ 15 जनवरी को कांग्रेसी करेंगे राजभवन कूच, हरीश रावत ने मांगी माफी, बताई ये वजह
कृषि कानूनों के खिलाफ उत्तराखंड में कांग्रेस कार्यकर्ता 15 जनवरी को राजभवन कूच करेंगे। इसे लेकर कांग्रेसियों ने तैयारी कर ली है। वहीं, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस कूच में शामिल न होने के लिए माफी मांगी। साथ ही उन्होंने इसकी वजह बताई। कहा कि इस दिन वह बागेश्वर में रहेंगे और उपवास करेंगे।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय अध्यक्षा सोनिया गांधी के आह्वान पर मोदी सरकार की ओर से बनाये गए किसान कानूनों को रद्द किए जाने की मांग पर उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस केकार्यकर्ता आगामी 15 जनवरी को प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के नेतृत्व में राजभवन का घिराव करेंगे।
इस संबंध में कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं के साथ ही विभिन्न संगठनों के प्रभारी, जिला व शहर प्रभारियों को सूचित भी कर दिया है। सूर्यकांत धस्माना ने बताया कि कांग्रेस शुरू से ही मोदी सरकार द्वारा किसानों के हितों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने वाले तीनों काले कानूनों का विरोध कर रही है। उन्होंने कहा कि पार्टी का शुरू से यह स्टैंड रहा है कि ये तीनों काले कानून किसान की किसानी व उसके खेत को बर्बाद करने की एक सोची समझी साजिश है। इससे मोदी सरकार किसान और उसकी उपज को देश के चंद पूंजीपतियों के हाथों गिरवी रखना चाहती है।
धस्माना ने कहा कि पिछले 48 दिनों से चल रहे आंदोलन ने आजाद भारत में एक गांधीवादी अहिंसक व अनुशाषित आंदोलन की मिसाल कायम की है। जिसमें 65 से ज्यादा किसान शहीद हो चुके हैं, किंतु एक भी सरकारी संपत्ति को या सरकारी कर्मचारी या पुलिस कर्मी को नुकसान या चोट नहीं पहुंची है। धस्माना ने कहा कि आगामी 15 जनवरी को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में प्रातः साढ़े दस बजे कांग्रेस कार्यकर्ता एकत्रित होंगे व तत्पश्चात श्री प्रीतम सिंह के नेतृत्व में राजभवन घिराव के लिए कूच करेंगे।
वहीं, इस संबंध में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सूर्यकांत धस्माना के संदेश का सोशल मीडिया में जवाब दिया। साथ ही उन्होंने बताया कि वह राजभवन कूच में शामिल नहीं हो सकते हैं। इसकी उन्होंने वजह भी बताई। उन्होंने लिखा कि-
सूर्यकांत जी आपके संदेश के लिये, धन्यवाद। कुली बेगार आंदोलन की 100वीं है। बागेश्वर के बगड़ में मैं हर वर्ष इस मौके पर भाग लेता रहा हूं। तो ये 100वां वर्ष, ऐतिहासिक वर्ष है। इसलिये मैं कल ककोड़ाखाल भी गया था और अब बागेश्वर 15 जनवरी, 2021 को मैं हर हालत में रहना चाहूंगा।
उन्होंने आगे लिखा कि- क्योंकि 100वाँ वर्ष फिर नहीं आयेगा। दूसरी बार फिर 101वाँ वर्ष आयेगा तो इसलिये मैं उस अवसर पर उन वीर पराक्रमी योद्धाओं को याद करने के लिए सरयू के बगड़ में कुछ समय बिताना चाहूंगा, मुझे क्षमा करें। मैं 15 जनवरी 2021 को राजभवन कूच में सम्मिलित नहीं हो पाऊंगा। हां मैं 1 घंटे का उपवास सरयू के बगड़ पर किसानों के बलिदान को स्मरण करते हुये रखूंगा। साथ ही किसानों के खिलाफ कानून के विरोध में कांग्रेस के राष्ट्रव्यापी हल्ला बोल के साथ अपनी एकजुटता जाहिर करूंगा।