अब एम्स ऋषिकेश में भी एंटीबॉडी कॉकटेल से इलाज, तेजी से ठीक हो रहे कोविड मरीज, 20 फीसद से अधिक कारगर
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश में अब एंटीबॉडी कॉकटेल थैरेपी से भी कोविड मरीजों का उपचार शुरू कर दिया गया है। यह एक जीवन रक्षक दवा है और इस प्रक्रिया से मरीज का इलाज करने में मात्र एक घंटे का समय लगता है।

एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने इस बाबत बताया कि बाजार में इस वायल की कीमत करीब 60 हजार रुपये है, लेकिन एम्स में कोविड मरीजों को यह दवा उपलब्धता के आधार पर दी जा रही है। यह दो दवाओं का मिश्रण है। उन्होंने कहा कि एंटीबॉडी ड्रग कॉकटेल कोरोना वायरस से लड़ने के लिए इम्यून सिस्टम की क्षमता की कॉपी करता है। यह कॉकटेल कोरोना वायरस को मानव शरीर की कोशिकाओं में प्रवेश करने से रोकता है। इसके अलावा इसके उपयोग से रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी वृद्धि होती है।
संस्थान में कोविड के नोडल अधिकारी डॉ. पीके पण्डा जी ने बताया कि यह वायल 12 साल से अधिक उम्र के ऐसे कोविड पॉजिटिव मरीजों को दी जा सकती है, जिनका वजन 40 किलोग्राम से अधिक हो। हाईरिस्क वाले ऐसे कोविड पॉजिटिव मरीज जो किडनी, लीवर रोग, ब्लड कैंसर, दमा या श्वास संबंधी रोग से ग्रसित हैं, उन्हें इस थैरेपी से विशेष लाभ होता है। उन्होंने बताया कि एम्स ऋषिकेश में अभी तक विभिन्न राज्यों के 6 कोविड मरीजों का इस थैरेपी से इलाज किया जा चुका है। इनमें एक 70 साल के बुजुर्ग व्यक्ति भी शामिल हैं। इस थैरेपे से उपचार पाने वाले यह सभी मरीज तेजी से ठीक हो रहे हैं।
फेमिली एवं कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. योगेश बहुरूपी ने बताया कि कैसिरिविमैब और इमडेविमैब दो एंटीबॉडी को मिलाकर बनाई गई एंटीबॉडी कॉकटेल वायल हाई रिस्क वाले कोविड मरीजों के इलाज में बहुत ही उपयोगी है। मूलतः यह एक इंजेक्शन है और इस इंजेक्शन के माध्यम से कोविड उपचार की यह थैरेपी प्रक्रिया अधिकतम 1 घंटे में पूरी हो जाती है।
उन्होंने बताया कि रिपोर्ट कोविड पॉजिटिव आने के 10 दिनों के दौरान इस थैरेपी का उपयोग करने से इलाज में विशेष लाभ प्राप्त होता है। इस कॉकटेल थैरेपी को देने के बाद मरीज को अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। संस्थान के जनरल मेडिसिन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मुकेश बैरवा ने बताया कि रिकवरी ट्रायल के अनुसार, एंटीबॉडी कॉकटेल से किया गया इलाज, कोविड के सामान्य उपचार की तुलना में 20 प्रतिशत बेहतर होता है। उन्होंने बताया कि यह स्टेरॉयड नहीं है, लेकिन स्टेरॉयड की भांति ही जीवनरक्षक दवा है।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।