अब रूठों को मनाने में जुटी भाजपा, इन दिग्गजों पर है मनाने की जिम्मेदारी, पूर्व विधायक ओम गोपाल छोड़ेंगे बीजेपी
जैसा कि हर बार होता है, वो इस बार भी होगा। यानी कि टिकट न मिलने पर कई रूठकर पार्टी छोड़ेंगे। कई को पार्टियां मनाने में कामयाब रहेगी। अब उत्तराखंड में ऐसा सिलसिला शुरू हो गया है।
जैसा कि हर बार होता है, वो इस बार भी होगा। यानी कि टिकट न मिलने पर कई रूठकर पार्टी छोड़ेंगे। कई को पार्टियां मनाने में कामयाब रहेगी। अब उत्तराखंड में ऐसा सिलसिला शुरू हो गया है। बीजेपी ने गुरुवार को 59 सीटों से उत्तराखंड में प्रत्याशियों की घोषणा की तो असंतुष्ट लोगों में कई तो चुपी साधकर हवा का रुख भांप रहे हैं। वहीं, कई निर्दलीय लड़ने की चेतावनी दे रहे हैं। ऐसे में भाजपा के कई दिग्गजों को रूठों को मनाने की जिम्मेदारी मिली है। ये नेता अपने चेलों को पार्टी में रोकने का प्रयास करेंगे।पूर्व विधायक ओम गोपाल रावत थामेंगे कांग्रेस का दामन
नरेंद्र नगर सीट से पूर्व भाजपा विधायक ओम गोपाल रावत भी बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में जाने की घोषणा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने तन मन धन से बीजेपी के लिए काम किया। बीजेपी में हमें पूरा विश्वास था। भले ही 2017 में हम निर्दलीय लड़े, लेकिन तब भी हमारा विरोध पार्टी से नहीं था। हमने प्रत्याशियों का विरोध किया। आज हमको इस विचारधारा को छोड़ने के लिए बीजेपी ने मजबूर कर दिया है। उन्होंने घोषणा की है कि मैं अपने साथियों के साथ कांग्रेस में शामिल हो रहा हूं।
इन नेताओं पर रहेगी जिम्मेदारी
बीजेपी में पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। उन्होंने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर अपनी इच्छा जाहिर कर दी। माना जा रहा है कि हवा का रुख भांपकर उन्होंने ऐसा किया। अब कहा जा रहा है कि उन्हें पार्टी संगठन में अहम जिम्मेदारी दे सकती है। फिलहाल उन पर रूठों को मनाने की जिम्मेदारी होगी। क्योंकि उनके खेमे से धर्मपुर सीट से बीर सिंह रावत, धनोल्टी से महाबीर रांगड़ सहित कई अन्य लोगों को टिकट नहीं मिला है। ऐसे में उन्हें अपने लोगों को मनाने की जिम्मेदारी दी जा सकती है। वहीं, पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक, सांसद अजय भट्ट, सांसद एवं पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत सहित अन्य नेताओं को भी रूठों को मनाने की जिम्मेदारी दी जाएगी। जल्द ही सभी को मनाने का प्रयास किया जाएगा। ताकी कोई निर्दलीय चुनाव लड़कर पार्टी को नुकसान न पहुंचाए।
दिया जा सकता है प्रलोभन
ये भी माना जा रहा है कि जिन लोगों के टिकट कटे, उन्हें ऐसा आश्वासन दिया जा सकता है कि सरकार बनने पर उन्हें राज्यमंत्री (दर्जा प्राप्त) से नवाजा जा सकता है। साथ ही कई को पार्टी संगठन में अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है। माना जा रहा है कि नामांकन की प्रक्रिया के दौरान ही डैमेज कंट्रोल को पूरा कर लिया जाए। ताकी ऐसे नेता नामांकन के समय पार्टी प्रत्याशी के साथ खड़े नजर आएं। वैसे कई नेता इसीलिए टिकट के लिए दबाव बनाते हैं कि सरकार बनने की स्थिति में उन्हें कोई पद मिल जाए।
पहली सूची में कटे दस सीटिंग विधायकों के टिकट
भाजपा ने उत्तराखंड में 59 प्रत्याशियों की जो पहली सूची जारी की, इसमें 10 सीटिंग विधायकों के टिकट काटे गए हैं। वैसे तो कमजोर प्रगति रिपोर्ट वाले विधायक करीब दो दर्जन थे, लेकिन यूपी में एक साथ ज्यादा विधायकों के पलायन के बाद उत्तराखंड में ऐसे लोगों की संख्या कम कर दी गई। जिन लोगों को टिकट दिया गया है इनमें 31 स्नातक हैं। 18 स्नात्कोत्तर हैं। साथ ही चार आध्यात्मिक लीडर हैं। इनमें खासबात है कि पूर्व विधायक दिवंगत हरबंस कपूर की पत्नी सविता कपूर को कैंट सीट से प्रत्याशी बनाया गया है। वहीं, गंगोत्री सीट से दिवंगत विधायक गोपाल रावत की पत्नी को टिकट नहीं दिया गया।
राजपुर सीट से भाजपा विधायक खजानदास अपना टिकट बचाने में कामयाब रहे। 59 प्रत्याशियों में पांच महिलाएं हैं। वहीं, 10 सीटिंग विधायक अपना टिकट नहीं बचा पाए। पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद खंडूड़ी अब भाजपा के लिए जरूरी नहीं रह गए। उनकी बेटी रितु खंडूड़ी का टिकट कट गया है। वहीं, खानपुर विधानसभा सीट पर कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन की जगह उनकी पत्नी कुंवर देवयानी को मैदान में उतारा गया है। इसके अलावा नैनीताल सीट से कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुई सरिता आर्य चुनाव लड़ेंगी।
द्वाराहाट से विधायक महेश नेगी का पार्टी ने इस बार टिकट काट दिया है। उनकी जगह अनिल शाही को उम्मीदवार बनाया है। विधायक नेगी के खिलाफ चल रहा दुष्कर्म का मामला टिकट कटने का बड़ा आधार बना। इस प्रकरण ने पार्टी की छवि को भी काफी प्रभावित किया था। नेतृत्व ने इसे गंभीरता से लिया और टिकट काटना ही मुनासिब समझा।
वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने कुमाऊं की 29 सीटों में से 24 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा की, लेकिन हल्द्वानी की हाट सीट समेत लालकुआं, रानीखेत, जागेश्वर और रुद्रपुर सीट पर पेंच फंस गया है। इसे लेकर पार्टी स्तर पर नये सिरे से मंथन जारी है। उम्मीद किया जा रहा है कि जल्द इन सीटों पर भी स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। वहीं, गढ़वाल मंडल की छह सीटों पर भी जल्द निर्णय होगा। इसमें देहरादून की डोईवाला सीट भी है। जहां पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत सीटिंग विधायक हैं और उन्होंने चुनाव न लड़ने के लिए पार्टी अध्यक्ष को पत्र लिखा था।





