हरीश रावत के बाद अब सिद्धू को भी झटका, पंजाब में भी कांग्रेस घोषित नहीं करेगी चेहरा, सामूहिक लड़ा जाएगा चुनाव
उत्तराखंड में पूर्व सीएम हरीश रावत के बाद अब पंजाब में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को भी झटका लगा है। वहां भी कांग्रेस सीएम का चेहरा घोषित नहीं कर रही है।

उत्तराखंड में हरीश रावत कांग्रेस में चेहरा घोषित करने की मांग करते आ रहे थे। बाद में हरीश के ट्विट पर बवाल मचा और पार्टी नेतृत्व को उत्तराखंड के नेताओं को बुलाकर सबको शांत कराना पड़ा। साथ ही स्पष्ट किया कि पहले चुनाव जीतो, फिर विधायक सीएम का चेहरा तय करेंगे। इसी तर्ज पर बुधवार सुबह ही सिद्धू ने भी चेहरा घोषित करने की पैरवी की। उन्होंने मांग की थी कि कांग्रेस आने वाले चुनावों के लिए मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करे। सीएनएन-न्यूज 18 के साथ एक इंटरव्यू में उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा था कि दूल्हे के बिना बारात क्या है,” यह कहते हुए कि संकट से बचने के लिए सही मुख्यमंत्री महत्वपूर्ण था।
पंजाब कांग्रेस की प्रचार समिति के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि पार्टी “संयुक्त नेतृत्व” के तहत चुनाव लड़ेगी। इसका उद्देश्य राज्य में जातिगत समीकरणों को संतुलित करना और पार्टी के भीतर अंदरूनी कलह को रोकना है। पंजाब में पार्टी के शीर्ष चेहरे विभिन्न समुदायों से आते हैं, जिसका उद्देश्य सभी चुनावी रूप से महत्वपूर्ण समूहों के वोट बैंक में टैप करके संख्या को मजबूत करना है।
बता दें कि मुख्यमंत्री चरणसिंह चन्नी दलित समुदाय से आते हैं, राज्य पार्टी प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू एक जाट सिख हैं। चुनाव प्रचार समिति के प्रमुख जाखड़ एक जाट हैं और दो उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा जाट सिख और ओपी सोनी हिंदू समुदाय से आते हैं। सबसे पुरानी पार्टी एक सभी जातियों और समुदायों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करती दिखाई दे रही है।
इस साल की शुरुआत में पंजाब कांग्रेस के नेताओं के खुलकर विरोध के चलते पार्टी टूटने की कगार पर आ गई थी। बाद में मुख्यमंत्री पद से अमरिंदर सिंह को हटाने के बाद पार्टी के अंदर चल रही कलह समाप्त हुई और राज्य को पहला दलित मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के रूप में मिला। वहीं नवजोत सिंह सिद्धू चन्नी सरकार पर समय-समय पर निशाना साधते नजर आ जाते हैं। वह अक्सर सार्वजिनक रूप से अपनी पार्टी और सरकार के खिलाफ खुलकर बोलते दिखाई देते हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।