दून में रामलीला मंचन की नहीं मिली अनुमति तो स्थगित करना पड़ा मंचन, इतिहास में ऐसा हुआ दूसरी बार
नवरात्र की शुरुआत के साथ ही पूरे देश भर में रामलीलाओं का मंचन शुरू हो जाता है। इस बार कोरोनाकाल ने अधिकांश रामलीलाओं पर भी लॉकडाउन लगा दिया है। देहरादून में तो रामलीला मंचन की अनुमति नहीं मिलने से संस्थाओं ने अब मंचन का कार्यक्रम स्थगित कर दिया है। ऐसा देहरादून के इतिहास में दूसरी बार होने जा रहा है, जब नवरात्र में रामलीला का मंचन स्थगित किया गया हो।
अक्टूबर से दिसंबर तक रामलीला, दुर्गापूजा, नवरात्र, दशहरा, ईद, क्रिसमस आदि के आयोजनों को प्रदेश सरकार ने मंजूरी दे दी, लेकिन दून में ऐसा नहीं हुआ। यहां रामलीला समितियों ने जो अर्जी प्रशासन को अनुमति के लिए भेजी, उस पर अनुमति नहीं मिली। ऐसे में रामलीला समितियों को कार्यक्रम ही स्थगित करना पड़ा।
यूं तो सरकार ने गाइडलाइन जारी की है कि ऐसे आयोजन हो सकते हैं। कार्यक्रमों एवं समारोहों में अधिकतम 200 लोग हिस्सा ले सकेंगे। आयोजकों को मास्क, थर्मल स्क्रीनिंग और दो गज की दूरी आदि नियमों का सख्ती से पालन करना होगा। इसके बावजूद अनुमति प्रशासन से ही लेनी होगी। देहरादून में कोरोना के प्रदेश में सबसे ज्यादा मामले आने के कारण जिला प्रशासन भी फूंक फूंक कर कदम रख रहा है। ऐसे में रामलीला समितियों को कार्यक्रम स्थगित ही करना पड़ा।
देहरादून में श्री आदर्श रामलीला सभा, राजपुर के प्रधान योगेश अग्रवाल के मुताबिक राजपुर स्थित पंचायती धर्मशाला बिरगिरवाली के प्रांगण में हर साल दूसरे नवरात्र से रामलीला का मंचन आरंभ होता था। इस बार भी 71 वें रामलीला महोत्सव की सभीतैयारियां पूर्ण थी। कलाकारों ने रिहर्लसल कर ली है। प्रशासन से अनुमति नहीं मिलने पर रामलीला मंचन का कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है।
उन्होंने बताया कि राजपुर क्षेत्र में आयोजित की जाने वाली श्री रामलीला महोत्सव का आस-पास के क्षेत्र में बड़ा ही महत्व है। इसकी विशिष्ट पहचान के फलस्वरूप देहरादून के दूर-दूर के स्थानों से श्रद्धालूजन यहां आते रहे हैं। योगेश अग्रवाल ने बताया कि चौपाई, रागिनी, गीत संगीत तथा मनोहारी कलात्मक दृश्यों के साथ आयोजित की जाने वाले श्री रामलीला महोत्सव में राजपुर, सुभाषनगर, रायपुर, देहरादून आदि के ही स्थानीय कलाकारों की ओर से मनोहारी आयोजन किया जाता रहा है।
इस वर्ष के आयोजन की भी तैयारियां पूरी होने के साथ ही कोविद-19 महामारी के कारण जिला शासन-प्रशासन से आयोजन किये जाने की अनुमति के लिए अनुरोध किया गया था। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के हरिद्वार, हल्द्वानी व नैनीताल आदि जनपदों में जिला प्रशासन से अनुमति मिलने पर रामलीला का मंचन किया जा रहा है। वहीं देहरादून प्रशासन ने अनुमति नहीं दी है। इससे रामलीला आयोजकों में निराशा है।
वर्ष 1994 को नहीं हुई थी रामलीला, नहीं जला था रावण
वर्ष 1994 में उत्तराखंड राज्य आंदोलन चरम पर था। एक सिंतबर को खटीमा, उसके दूसरे दिन दो सितंबर को मसूरी में हुए गोलीकांड में कई आंदोलनकारियों की जान गई थी। इसके बाद दो अक्टूबर को दिल्ली में रैली के लिए जा रहे आंदोलनकारियों को मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहे पर रोक दिया गया। इस दौरान हुए गोलीकांड में कई आंदोनकारियों ने शहादत दी।
इन गोलीकांड के अगले दिन जगह जगह हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने गोलियां चलाई। तत्कालीन यूपी सरकार के अत्याचारों से उत्तराखंड के आंदोलनकारी और जनता इतनी त्रस्त हो गई थी कि उस साल दशहरे के लिए तैयार किए जा रहे रावण के पुतलों का निर्माण बीच में रोक दिया गया। रामलीलाओं का मंचन में निरस्त कर दिया गया। जहां रावण के पुतले तैयार हो गए, उन्हें नदियों में प्रवाहित कर दिया गया। उस साल राज्य आंदोलन से जुड़े लोगों ने या यूं कहें कि राज्य से लोगों ने दीपावली भी नहीं मनाई। लड़ियों और मोमबत्तियों से घर की सजावट तक नहीं की। दीपावली की रात घर की दहलीज पर एक दिया शहीदों को श्रद्धांजलि स्वरूप जलाया गया। तब हुए शासन, प्रशासन और पुलिस के अत्याचारों से लोग पूछने लगे थे कि जब रावण नहीं जला, तो क्या रावण जिंदा हो गया?
इस बार का रावण
इस बार परिस्थिति ऐसी है कि फिर ऐसे आयोजन को न करने के लिए सोचने पर विवश होना पड़ रहा है। अबकी बार का रावण कोरोना का रूप लेकर आया है। इसे हराने के लिए एकजुट तो होना है, लेकिन दूरी बनाए रखकर। क्योंकि ये रावण भीड़ पर आसानी से हमला कर सकता है। इसे हराकर ही हम खुद और समाज को सुरक्षित रख सकते हैं। यदि जिंदा रहेंगे तो धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक गतिविधियां संचालित कर सकते हैं। इसके लिए काफी वक्त है।
मास्क सरकाना बना फैशन
इन दिनों राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक, व्यापारिक संगठनों की गतिविधियां तो बढ़ गई, लेकिन मास्क लगाने में लापरवाही बरती जा रही है। अजीबोगरीब बात ये है कि रास्ते में अकेले में व्यक्ति मास्क लगा रहा है, लेकिन जब किसी दूसरे व्यक्ति से बात करता है तो वह मास्क नाक व मुंह से नीचे सरका देता है। ऐसा सभी राजनीतिक दलों के प्रदर्शन, बैठक आदि में देखने को मिल रहा है। ऐसे सभी लोगों ने अपील की जाती है कि वे कोरोना रूपी रावण को हराने के लिए तीन नियमों का पालन करें। मास्क से मुंह व नाक को ढके, शारीरिक दूरी बनाए रखें। किसी व्यक्ति या वस्तु को स्पर्श करने के तुरंत बाद हाथ को सैनिटाइजर या साबुन से साफ कर लें।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।