ना कोई स्थायी दोस्त, ना दुश्मनः जिसने दिया स्टिंग का दर्द, उसे ही कांग्रेस से लोकसभा चुनाव लड़ाने की चर्चा
कहते हैं कि राजनीति में कोई स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता है। समय के साथ परिस्थितियां बदलती हैं। जो पहले दर्द देता है, बाद में उसे ही गले लगा लिया जाता है। ऐसी ही एक चर्चा उत्तराखंड को लेकर तेज हो गई है। लोकसभा चुनावों के लिए बीजेपी ने पांच में से तीन सीटों में टिहरी से महारानी माला राजलक्ष्मी शाह, अल्मोड़ा पिथौरागढ़ से अजय टम्टा और नैनीताल उधमसिंह नगर सीट से अजय भट्ट के टिकट फाइनल कर दिए। वहीं, कांग्रेस ने भी पौड़ी सीट से पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, टिहरी सीट से पूर्व विधायक जोत सिंह गुनसोला, अल्मोड़ा पिथौरागढ़ से प्रदीप टम्टा को प्रत्याशी बनाया है। फिलहाल दोनों ही दलों ने हरिद्वार से कोई प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। इसी सीट पर ज्यादा घमासान है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हरिद्वार सीट से कांग्रेस के दावेदारों में भी कई नाम सामने आ रहे हैं। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, कांग्रेस अध्यक्ष करन महारा, पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत के नामों पर अब तक मंथन चल रहा था। हालांकि, हरीश रावत के पुत्र पुत्र वीरेंद्र रावत भी इसी सीट से दावेदारी कर रहे हैं। वहीं, पूर्व मंत्री शूरवीर सिंह सजवाण ने भी हरिद्रार सीट से दावेदारी की है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अब दिलचस्प मोड़ में पहुंची दावेदारी
अब सोशल मीडिया में एक चर्चा ये भी है कि खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार हरिद्वार लोकसभा सीट से कांग्रेस के संभावित प्रत्याशी हो सकते हैं। दावे तो यहां तक किए जा रहे हैं कि खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार का नाम कांग्रेस की सूची में सबसे ऊपर है। यहां ये भी बताना जरूरी है कि उमेश कुमार कांग्रेस को पूर्व में स्टिंग का दर्द दे चुके हैं। साथ ही पूर्व सीएम हरीश रावत सहित कई के खिलाफ इस मामले में सीबीआई जांच चल रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस पिछला सब कुछ भूलकर उमेश कुमार को चुनाव लड़ाएगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कांग्रेस प्रभारी से उमेश की मुलाकात के बाद चर्चा ने पकड़ा जोर
दरअसल, निर्दलीय विधायक उमेश कुमार की एक फोटो शोसल मीडिया में वायरल हो रही है। इसमें वह उत्तराखंड कांग्रेस प्रभारी कुमारी शैलजा के साथ नजर आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि कांग्रेस प्रभारी कुमारी शैलजा से उमेश कुमार की दिल्ली में करीब एक घंटे तक बातचीत हुई है। ऐसे में चर्चा ये है कि उमेश कुमार को कांग्रेस हरिद्वार से चुनाव लड़ा सकती है। चर्चा तो ये भी है कि जल्द ही उमेश कुमार की मुलाकात कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और फिर सोनिया गाँधी से भी हो सकती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
घातक या फायदे की राजनीति
हालांकि, कांग्रेस यदि ऐसा कदम उठाती है तो उसके लिए ये फायदेमंद होगा या फिर घातक ये आने वाला वक्त बताएगा। कारण ये है कि संगठन में पहले से मेहनत कर रहे कार्यकर्ताओं पर जब बाहर से प्रत्याशी थोपा जाता है तो उनमें उत्साह की कमी रहती है। वहीं, कहा जा रहा है कि उमेश कुमार करीब छह माह से लोकसभा चुनाव की तैयारी कर रहे हैं और पूरे लोकसभा क्षेत्र में कई जनसभाएं और रोड शो में लोगों का समर्थन जुटा चुके हैं। वहीं, कुछ मीडिया में ऐसी भी खबरें हैं कि उमेश कुमार एकसाथ कई दलों में बातचीत कर रहे हैं। जहां से बात बन जाए, वहीं से वह मैदान में उतरेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
खतरे में पड़ सकती है विधायकी
कुछ मीडिया में ये भी खबर है कि अगर उमेश कुमार कांग्रेस पार्टी में शामिल होकर लोकसभा चुनाव लड़ते हैं तो उनकी विधायकी खतरे में पड़ सकती है। वर्तमान में वह निर्दलीय विधायक हैं और वह किसी पार्टी में शामिल नहीं हो सकते हैं। वही कहा ये भी जा रहा है कि उमेश कुमार रिस्क लेने वाले व्यक्ति हैं। उनके अनुसार रिस्क लेना जिंदगी का उसूल है फिर लड़ लेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कांग्रेस को दिया था स्टिंग का दर्द
दरअसल, साल 2016 में हरीश रावत और के मुख्यमंत्री रहते हुए एक स्टिंग सामने आया था। ये स्टिंग उमेश कुमार ने किया था। इसके बाद प्रदेश की राजनीति में भी काफी हलचल देखने को मिली थी। मामले में सीबीआई कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, पूर्व मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत, विधायक मदन सिंह बिष्ट और विधायक उमेश कुमार को नोटिस जारी भी किए थे। अब ये प्रकरण सीबीआई की जांच के साथ ही कोर्ट में चल रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये था मामला
गौरतलब है कि वर्ष 2016 में हरीश रावत की की सरकार पर जब संकट आया तो उस समय एक चैनल से जुड़े उमेश कुमार ने हरीश रावत का स्टिंग किया था। इस वीडियो में सीएम हरीश रावत पर सरकार बचाने के लिए विधायकों की सौदेबाजी करने के गंभीर आरोप लगाए गए थे। इसके बाद एक और स्टिंग विधायक मदन सिंह बिष्ट का भी वायरल हुआ था। इसमें डॉ. हरक सिंह रावत के शामिल होने का दावा करते हुए हरीश रावत सरकार को बचाने के लिए खरीद-फरोख्त के आरोपों से जोड़ते हुए दिखाया गया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सीबीआई को मिला जांच का जिम्मा
यह स्टिंग भी उमेश कुमार की ओर से ही जारी किया गया था। बाद में इस मामले की जांच सीबीआई को दे दी गई थी। अब मामले की जांच इन चारों नेताओं के वॉयस सैंपल लेने पर टिकी हुई है, जिससे कि इनकी आवाज का मिलान स्टिंग में रिकॉर्ड हुई आवाज से किया जा सके। दोनों ही स्टिंग को लेकर उमेश कुमार ने दावा किया था कि हरीश रावत सरकार को बचाने के लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त की डीलिंग की जा रही थी। स्टिंग में रुपयों के लेन-देन होने की बात का दावा भी किया गया था। इसके बाद प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा था। हालांकि, बाद में हरीश रावत को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली थी और फ्लोर टेस्ट में वह दोबारा सरकार बनाने में कामयाब रहे थे।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।