नवरात्रः दुर्गा के नौ रुपों में छिपे हैं नौ औषधीय गुण, जानिए इनके बारे में
भारतीय शास्त्रों में वर्ष में दो बार नवरात्र मनाने की परंपरा है। इसमें से बसंतीय नवरात्र नवजीवन व नए बीजों के अंकुरण का प्रतीक है, जबकि शरद ऋतु में वही नवजीवन व बीज परिपूर्णता को प्राप्त होता है। जो औषधियां बसंत ऋतु में अंकुरित होती हैं। वे शरद में परिपूर्ण होकर मानव कल्याण के काम आती हैं। इसलिए दोनों ऋतुओं में मनाया जाने वाले नवरात्र का अपना अपना महत्व है।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार बसंत ऋतु जीवन की शुरुआत का प्रतीक है, जब प्रकृति अपना श्रृंगार कर मानव को जीवन जीने की ललक के लिए प्रेरित करती है। शरद ऋतु संपन्नता का प्रतीक है। पंडित ललिता प्रसाद पुरोहित के अनुसार बसंत व शरद दोनों ऋतुओं में दिन रात बराबर होते हैं ।
भारतीय धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन दोनों ऋतुओं में नाना प्रकार के रोगों में भी वृद्धि होती है। इसलिए सभी प्रकार के रोगों को दूर करने के लिए ‘आद्य शक्ति स्वरूपा’ देवी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। भारतीय आध्यात्म शास्त्रों में नव दुर्गा रूपी नौ औषधियों का पूजन करने की परंपरा है जो शरीर में होने वाले नाना प्रकार के रोगों के लिए विलक्षण औषधि का काम करती हैं।
दुर्गा के नव रूपों से संबंधित नौ औषधियां
- शैल पुत्री : औषधि : पाषाण भेद (शिलपाड़ी)- पथरी, शरीर में बनने वाली गांठ आदि रोगों के निवारण में काम आती है।
- ब्रह्मचारिणी : औषधि : ब्राह्मी – दिमागी शांति, बुद्धि वृद्धि सहित मस्तिष्क संबंधित सभी रोगों के निवारण के काम आती है।
- चंद्रघंटा : औषधि : चंद्रसूर (चकुंडा) -सभी प्रकार के ज्वरों का नाश करने में सहायक।
- कूष्मांडा : औषधि : कुष्मांड (भुजेला)-आमाशय व पेट से संबंधित सभी प्रकार के विकारों को दूर करने में सहायक।
- स्कंधमाता : औषधि : तुलसी- दिव्य गुणों से युक्त सर्वगुण संपन्न औषधि।
- कात्यायनी : औषधि : नागर मोथा-गर्मी से संबंधित सभी रोगों के निवारण में सहायक।
- कालरात्रि : औषधि : सुमेवा (सुमय्या)- शरीर में काल रूपी नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त कर सकारात्मक ऊर्जा की वृद्धि में सहायक।
- महागौरी : औषधि : सोमवल्ली (सोमलता)- सभी प्रकार के रोगों के नाश करने में सहायक व पौराणिक ग्रंथों में वर्णित देवों के पेय सोमरस बनाने में सहायक।
- सिद्धिधात्री : औषधि : शंख पुष्पी-मस्तिष्क व शरीर का ताकत देने के साथ ही दिमागी रूप से कमजोर व्यक्ति को बुद्धि वर्धक बनाने में सहायक।
प्रस्तुतकर्ता-राकेश खत्री
ग्राम एवं डाकखाना काण्डई दशजूला, जिला रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड।
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