नव वर्ष का शुभारंभ दो अप्रैल से, नेतृत्व के लिए चुनौतीपूर्ण रहेगा ये साल, शीर्ष नेतृत्व में रहेगा भयः डॉ. आचार्य संतोष खंडूड़ी
नव वर्ष के शुभारंभ पर नवरात्रि का श्रीगणेश हो रहा है। हिंदू नववर्ष विक्रम संवत् 2079 माना जाएगा। इसका श्रीगणेश चैत्र शुक्ल प्रतिपदा दो अप्रैल शनिवार रेवती नक्षत्र आनंदादिधाता योग, सर्वार्थ सिद्ध योग पर हो रहा है।

क्या होगा इस वर्ष में
इस वर्ष का राजा शनि और वर्ष का मंत्री वृहस्पति है। वर्ष संवत का नाम नल है। यह वर्ष संवतसर के नाम से धन धान्य की आपूर्ति को पूर्ण करने वाला है। धरती और वातावरण को शांतिमय, अन्न और जल की प्रचूरता प्रदान करने वाला है। प्राकृतिक संवर्द्धन का संयोग बनाने वाला है। यह वर्ष शासन प्रशासन तंत्र को तनावग्रस्त, मजबूर और क्लेश में डालने वाला होगा। इस कारण अधिकारी वर्ग, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की शरण में जाएंगे। यह वर्ष राजा व न्यायालय के लिए शनिदेव के प्रभाव के कारण चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा। इस वर्ष उत्तराखंड राज्य के नेतृत्व को बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। इसमें शनि ग्रह के पूर्ण प्रभावित होने पर आस पास के प्रतिद्वंद्वी, दुराचारी, अल्पज्ञ लोगों के द्वारा विडंबनाएं व परेशानियां बढ़ सकती हैं। धर्म क्षेत्र के लोगों में देव गुरु वृहस्पति के कारण सुखद और शांति का वातावरण भरपूर मात्रा में दिखाई देगा।
शीर्ष नेतृत्व में रहेगा भय
शनि प्रबंधन और न्याय के क्षेत्र में कठोर दिखाई देगा। धन के अधिपति शुक्र सुखद और वृद्धि का वातावरण बनाएंगे। अन्न, धन आदि की समस्त वस्तुएं आसानी से प्राप्त होंगी। ऐसी वस्तुओं में इस वर्ष अधिक मिलावट भी दिखाई देंगी। गुप्तचर, आतंकवाद व कई प्रकार की बड़ी बड़ी दुर्घटनाओं से परेशानी रहेंगी। व्यापारी और धनाड्य लोगों को बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। यह संवतसर पराक्रम के भाव से भारतवर्ष संयुक्त राष्ट्र संघ के अंदर शीर्ष पद को प्राप्त करने में समर्थ रहेगा। न्याय और नीति के आधार पर भारतवर्ष विश्व में अपना परचम लहराएगा। सिर्फ नेतृत्व के लिए भय बना रहेगा। यह वर्ष किसी बड़े शीर्ष नेतृत्व को दुखद समाचार देकर रहेगा। अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश हर विषय पर भारत की सलाह लेते रहेंगे। कई नेताओं की छवि संकट में पड़ सकती है। शत्रु, षडयंत्रकारी, दुराचारी, आतंकी घटनाएं देखने को मिलेंगी। कई प्रतिष्ठित व्यक्ति चिंतित दिखाई देंगे। दंगा, फसाद, जनधन हानि के भी योग दिखाई देते हैं। प्रायः यह वर्ष अन्न, धन और धर्म के लिए उत्तम है।
कैसे होती है नवरात्रि की पूजा
नववर्ष शुरू होते ही दो अप्रैल को नवरात्रि का पहला दिन है। इसमें मुहूर्त के अनुसार, अपने घर में उत्तर दिशा में गंगाजल से स्वच्छ और पवित्र कर चौकी लगाते हुए मां भगवती की मूर्ति को स्थापित करें। साथ में मिट्टी को बिछाकर उसमें जौ बोएं। इसके ऊपर घट की स्थापना करें। प्रथम पंक्ति में गणेश और पंचांग देवताओं को स्थापित करें। दाएं तरफ घी और बांए तरफ सरसों के तेल का दीपक जलाएं। उसके बाद गणेश पूजा प्रारंभ कर समस्त देवताओं का आह्वान करें। मां भगवती को स्थापित कर दुर्गा का पाठ करें।
इस प्रकार से करें पूजा
प्रथम दिवस दो अप्रैल को शैलपुत्री की पूजा करें। अगले दिन तीन अप्रैल को ब्रह्मचारिणी माता की पूजा करें। चार अप्रैल को तीसरे नवंरात्र के दिन चंद्रघंटा देवी की पूजा करें। पांच अप्रैल को चौथे दिन कुष्मांडा देवी की पूजा, छह अप्रैल को पांचवें नवरात्र के दिन स्कंदमाता, सात अप्रैल को छठे नवरात्र के दिन कात्यायनी देवी की पूजा करें। आठ अप्रैल को साप्तमी के दिन कालरात्रि देवी की पूजा करें। नौ अप्रैल को आठवें नवरात्र को महागौरी की पूजा करें। दस अप्रैल को नवमी के दिन सिद्धीरात्रि देवी की पूजा करें।
आचार्य का परिचय
आचार्य डॉ. संतोष खंडूड़ी
(धर्मज्ञ, ज्योतिष विभूषण, वास्तु, कथा प्रवक्ता)
चंद्रविहार कारगी चौक, देहरादून, उत्तराखंड।
फोन-9760690069
-9410743100
Bhanu Bangwal
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।