उत्तराखंड मंत्रिमंडल की बैठक में नई आबकारी नीति मंजूर, स्कूल और मंदिरों के निकट नहीं खुलेंगे ठेके, इस बात पर राज्य कर्मचारी हुए खुश

उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में कई अहम फैसलों पर मुहर लगी। बैठक में मंत्रिमंडल ने नई आबकारी नीति को भी मंजूरी दे दी गई। नीति के तहत सरकार ने कई प्रावधान किए हैं। नई आबकारी नीति में किसी दुकान पर एमआरपी से अधिक कीमत ली जाती है, तो लाइसेंस निरस्त करने का प्रावधान किया गया है। डिपार्टमेंटल स्टोर्स पर भी एमआरपी लागू की गई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बैठक में तय हुआ कि नई नीति के तहत स्कूलों और धार्मिक स्थलों के करीब शराब की दुकानें नहीं खोली जाएंगी। इसके अलावा स्कूली शिक्षा में उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत एवं राज्य की विभूतियों को पाठयक्रम में शामिल करने की स्वीकृति मिली है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कैबिनेट ने फैसला लिया है कि कक्षा 10वीं के बाद तीन साल के पालीटेक्निक डिप्लोमा को 12वीं के समकक्ष माना जाएगा। इसके अलावा मुख्यमंत्री एकल महिला स्वरोजगार योजना को भी स्वीकृति मिली है। कैबिनेट की बैठक के दौरान पहाड़ में ट्राउट को प्रोत्साहन करने के लिए 200 करोड़ की योजनाओ को मंजूरी दी गई है। इसके अलावा गोला, कोसी, दाबका व नंधौर नदियों के खनन क्षेत्रों में सुरक्षा, सीमांकन, लाभांश की दरों में संशोधन को स्वीकृति दी गई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सरकार की ओर से दी गई जानकारी
सरकार की ओर से जारी प्रेस नोट में बताया गया कि राज्य की नई आबकारी नीति 2025 में धार्मिक क्षेत्रों की महत्ता को ध्यान में रखते हुए उनके निकटवर्ती मदिरा अनुज्ञापनों को बंद करने का निर्णय लिया गया है। जनसंवेदनाओं को सर्वोपरि रखते हुए, शराब की बिक्री पर और अधिक नियंत्रण किया जायेगा। उप-दुकानों और मैट्रो मदिरा बिक्री व्यवस्था को समाप्त किया गया है। नई आबकारी नीति में किसी दुकान पर एमआरपी से अधिक कीमत ली जाती है, तो लाइसेंस निरस्त करने का प्राविधान किया गया है। डिपार्टमेंटल स्टोर्स पर भी एमआरपी (mrp) लागू होगी, जिससे उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा होगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 5060 करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य
प्रेस नोट में कहा गया कि पिछले दो वर्षों में आबकारी राजस्व में राज्य में काफी वृद्धि हुई है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 5060 करोड़ रुपये के राजस्व लक्ष्य को निर्धारित किया गया है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में 4000 करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुकाबले 4038.69 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया गया। वित्तीय वर्ष 2024-25 में 4439 करोड़ रुपये का लक्ष्य के सापेक्ष अब तक लगभग 4000 करोड़ रुपये की प्राप्ति हो चुकी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पर्वतीय क्षेत्रों में से वाइनरी इकाइयों को 15 वर्षों तक दी जाएगी छूट
नई आबकारी नीति के तहत स्थानीय निवासियों को प्राथमिकता और रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। थोक मदिरा अनुज्ञापन केवल उत्तराखंड निवासियों को जारी किए जाएंगे, जिससे राज्य में आर्थिक अवसर बढ़ेंगे। पर्वतीय क्षेत्रों में वाइनरी को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य में उत्पादित फलों से वाइनरी इकाइयों को अगले 15 वर्षों तक आबकारी शुल्क में छूट दी जाएगी। इससे कृषकों और बागवानी क्षेत्र में कार्य करने वालों को आर्थिक लाभ मिलेगा। मदिरा उद्योग में निवेश को प्रोत्साहित करने के निर्यात शुल्क में कटौती की गई है। माल्ट एवं स्प्रिट उद्योगों को पर्वतीय क्षेत्रों में विशेष सुविधाएँ प्रदान की जाएंगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
स्थानीय कृषि उत्पादों को डिस्टिलरी में प्रयोग के लिए प्रोत्साहित
प्रेस नोट में कहा गया कि आबकारी नीति के तहत नवीनीकरण, लॉटरी और अधिकतम ऑफर जैसी पारदर्शी प्रक्रियाओं के माध्यम से दुकानें आवंटित की जाएंगी। आवंटन प्रक्रिया को पूरी तरह निष्पक्ष और पारदर्शी बनाया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
स्थानीय कृषि उत्पादों को डिस्टिलरी (आसवनी इकाइयों) द्वारा प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी और उन्हें नए बाजार उपलब्ध होंगे। आबकारी नीति-2025 में जनसाधारण को मदिरा के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक बनाने के विशेष अभियान चलाने का प्राविधान किया गया है। नई आबकारी नीति प्रदेश में आर्थिक सुदृढ़ीकरण, पारदर्शिता और सामाजिक जिम्मेदारी को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने जताई खुशी
राज्य कैबिनेट की बैठक में राज्य कार्मिकों को पदोन्नति में शिथिलीकरण का लाभ दिए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। इसके लिए राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने खुशी जताई है। परिषद के प्रदेश अध्यक्ष अरुण पांडे के अनुसार परिषद की ओर से 22 फरवरी 2025 को अपने द्विवार्षिक अधिवेशन में इस महत्वपूर्ण मांग को अपने मांगपत्र में प्रमुखता से रखते हुए मुख्यमंत्री से मांग को पूर्ण किए जाने का आग्रह किया गया था। इस संबंध में मांग पत्र सीएम के प्रतिनिधि के रूप में अधिवेशन में सम्मिलित हुए उनके जनसंपर्क अधिकारी राजेश सेठी को दिया गया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने बताया कि राजेश सेठी ने परिषद को आश्वस्त किया था कि उनके द्वारा हर संभव प्रकार से मांगों को पूर्ण कराए जाने के लिए प्रयास भी किया जाएगा और मुख्यमंत्री से वार्ता भी कराई जाएगी। परिषद के प्रदेश महामंत्री शक्ति प्रसाद भट्ट के अनुसार पदोन्नति में शिथिलीकरण के इस कैबिनेट निर्णय के अनुसार राज्य कार्मिकों को पूरे सेवाकाल में एक बार शिथिलीकरण का लाभ दिया जाएगा। इससे राज्य सरकार के हजारों कार्मिक लाभान्वित होंगे। परिषद की ओर से मुख्यमंत्री एवं राज्य मंत्रिमंडल का इस ऐतिहासिक निर्णय पर हार्दिक आभार व्यक्त किया है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।