उत्तराखंड में मजाक बनी नई शिक्षा नीति, ना विषयों का विकल्प, ना ही शिक्षक, बीएड कॉलेजों मे 50 फीसद सीट खालीः लालचंद शर्मा
उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के मुताबिक, छात्रों को दो क्रेडिट के वैल्यू एडेड कोर्स और दो क्रेडिट के स्किल एनहांसमेंट कोर्स पढ़ने हैं। इसके लिए एनवायरमेंट साइंस और स्किल एनहांसमेंट में योगा जैसे कोर्स शामिल हैं। गजब बात यह है कि डीएवी, डीबीएस, एमकेपी, एसजीआरआर जैसे किसी भी कॉलेज में इन पाठ्यक्रमों को पढ़ाने वाला टीचर नहीं है। ऐसे में साफ है कि उत्तराखंड में पीठ थपथपाने के लिए जल्दबाजी में नई शिक्षा नीति तो लागू कर दी गई है, लेकिन व्यवस्थाएं नहीं की गई हैं। इससे छात्रों के जीवन से खिलवाड़ किया जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पूर्व महानगर देहरादून कांग्रेस अध्यक्ष लालचंद शर्मा के मुताबिक, गढ़वाल विश्वविद्यालय ने अपने संबद्ध कॉलेजों पर नई शिक्षा नीति लागू तो कर दी है, लेकिन अभी तक पूरे विषयों के सिलेबस नहीं मिले हैं। हालात यह हैं कि मुख्य विषयों के शिक्षकों को बेसिक पढ़ाना पड़ रहा है। सिलेबस न आने की वजह से छात्र चिंतित हैं कि आखिर परीक्षा कैसे देंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के अधिकारियों के नकारात्मक दृष्टिकोण के कारण बीएड (b.ed) कॉलेजों में इस वर्ष 50 फीसद से ज्यादा सीटें खाली हैं। इसका खामियाजा छात्रों को भुगतान पड़ रहा है।उन्होंने बताया कि इस सत्र में यूजीसी द्वारा नॉर्थईस्ट स्टेट्स के विश्वविद्यालयों के साथ हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों को भी प्रवेश के लिए सीइयूटी (ceut) की बाध्यता से मुक्त रखा गया था। विश्वविद्यालय ने सभी कोर्सों ( b.ed को छोड़कर) में यूजीसी के निर्णय का पालन किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि गढ़वाल विश्वविद्यालय हर वर्ष बीएड प्रवेश के लिए अपनी प्रवेश परीक्षा संपन्न करवाता है। उसके माध्यम से ही छात्रों को संबद्ध कॉलेजों में प्रवेश किए जाते हैं। इस सत्र में छात्रों और कॉलेजों में यह धारणा रही जब यूजीसी द्वारा गढ़वाल विश्वविद्यालय के संबद्ध कॉलेजों को ceut की बाध्यता से मुक्त रखा गया है। ऐसे में b.ed में भी प्रवेश विश्वविद्यालय के प्रवेश परीक्षा के माध्यम से ही होंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि इसके विपरीत, विश्वविद्यालय द्वारा इस सत्र में अपनी प्रवेश परीक्षा नहीं कराई गई और ceut के माध्यम से प्रवेश परीक्षा देने वाले छात्रों को ही b.ed में प्रवेश की अनुमति दी गई। ऐसे में सीईयूटी के माध्यम से प्रवेश परीक्षा देने वाले गढ़वाल के छात्रों की संख्या कम होने के कारण कॉलेजों में कॉलेजों में 50 फीसद से अधिक सीट खाली हैं। उन्होंने कहा कि या तो विश्वविद्यालय अपनी प्रवेश परीक्षा करवाए या एनसीटी के नियम के मुताबिक योग्य छात्रों को प्रवेश की अनुमति दें। उन्होंने कहा कि भले ही प्रदेश सरकार नई शिक्षा नीति को लेकर अपनी पीठ थपथपा रही है, लेकिन हकीकत ये है कि छात्र और शिक्षक दोनों परेशान हैं। वहीं, निजी कॉलेजों में भी सीटें खाली हैं। ऐसे में कई कॉलेजों को अपने स्टाफ का खर्च उठाना भी मुश्किल हो गया है।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।