एनडीएमए की टीम ने सीएम धामी से जोशीमठ भूधंसाव पर की चर्चा, विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं नवाचार राज्य को बनाएंगे अग्रणी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एनडीएमए के अधिकारियों एवं सदस्यों से भू धसांव क्षेत्र की भूगर्भीय तथा अन्य आवश्यक जांच में सभी संबंधित संस्थाओं के समन्वय के साथ कार्य योजना में सहयोग की अपेक्षा की। उन्होंने उत्तराखंड के अन्य शहरों की धारण क्षमता के आकलन हेतु भी आवश्यक वैज्ञानिक शोध एवं परीक्षण आदि की अपेक्षा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि जोशीमठ का सांस्कृतिक, पौराणिक के साथ सामरिक महत्व भी है। यह बदरीनाथ का प्रवेश द्वार है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि इस शहर को उसके पूर्व स्वरूप में लाने के लिये हमें समेकित प्रयासों की जरूरत रहेगी। राज्य सरकार युद्ध स्तर पर आपदा पीड़ितों की मदद की जा रही है। किसी भी पीड़ित को कोई कठिनाई न हो तथा उन्हें सभी अवश्यक सुविधायें मिले इसके निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं। इस अवसर पर सचिव गृह मंत्रालय डी. एस. गंगवार, संयुक्त सचिव एस के जिंदल, एनडीएमए के सदस्य कमल किशोर, ले. ज. से.नि. सैयद अता हसनैन, कृष्ण वत्स, राजेन्द्र सिंह के साथ अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी, सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा व अन्य अधिकारी उपस्थित थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जोशीमठ में 678 भवनों में दरारें चिह्नित
जनपद आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, चमोली द्वारा जोशीमठ नगर क्षेत्र में हो रहे भूधसाव के दृष्टिगत आपदा प्रबंधन संबंधी बुलेटिन जारी किया गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार जोशीमठ नगर क्षेत्र में कुल 678 भवनों में दरारें दृष्टिगत हुई हैं। सुरक्षा के दृष्टिगत कुल 81 परिवारों को अस्थाई रूप से विस्थापित किया गया है। जोशीमठ नगर क्षेत्रान्तर्गत अस्थाई रूप से 213 कक्षों को निवास करने योग्य चिन्हित किया गया है जिनकी क्षमता 1191 आंकी गई है, इसके साथ ही नगरपालिका जोशीमठ क्षेत्र से बाहर पीपलकोटी में 491 कक्षों/हॉल को चिन्हित किया गया है जिनकी क्षमता 2205 है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रभावित परिवारों को उनकी आवश्यकतानुसार खाधान्न किट एवं कंबल वितरित किये गये हैं। 53 प्रभावित परिवारों को रू 5000.00 प्रति परिवार की दर से आवश्यक घरेलू सामग्री हेतु धनराशि वितरित की गयी है। कुल 63 खाद्यान्न किट एवं 53 कम्बल उपलब्ध कराये गये हैं। 50 प्रभावित व्यक्तियों का स्वास्थ्य परीक्षण भी किया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड को विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं नवाचार में अग्रणी राज्य बनाना हमारा उद्देश्य
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड को विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं नवाचार में अग्रणी राज्य बनाना हमारा उद्देश्य है। इसी के तहत बोधिसत्व विचार श्रृंखला के माध्यम से वैज्ञानिकों, समाजसेवियों एवं बुद्धिजीवियों के सुझाव राज्य हित में आमंत्रित किये जाने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सोमवार को मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय में उत्तराखंड @ 25 बोधिसत्व विचार श्रृंखला के अंतर्गत प्रदेश में स्थित विभिन्न केंद्रीय संस्थानों एवं तकनीकि उपक्रमों के प्रमुखों के साथ विचार मंथन करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि जोशीमठ की समस्या के समाधान के लिये हमें एक छत के नीचे बैठकर कार्य करना होगा, तथा राज्य के शहरों के सर्वेक्षण पर ध्यान देना होगा तथा उनकी धारण क्षमता का आकलन करना होगा। हमें राज्य के विकास के मॉडल को इकोलॉजी तथा इकोनामी के समन्वय के साथ आगे बढ़ाना होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह विचार मंथन सत्र हिमालय की पारिस्थितिकीय विभिनता के दृष्टिगत अलग अलग मुद्दों पर विभिन्न प्रयोग करने का हमारे लिए एक बेहतरीन मंच है। हम पर्यावरणीय दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र हैं जिस वजह से हमे कई प्रकार की आपदाओं का सामना करना पड़ता है और इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति एक चिंतनीय विषय है। जोशीमठ में भू धंसाव की समस्या से हम सब परेशान है इस पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण और वैज्ञानिक सुझाव भी आमंत्रित है। राज्य के सतत विकास के लिए समाज के हर क्षेत्र के प्रतिष्ठित लोगों के सुझावों के आधार पर ही आगे के लिए रोडमैप तैयार किया जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मुख्यमंत्री ने कहा कि 108वीं राष्ट्रीय विज्ञान कांग्रेस में प्राइड ऑफ इंडिया एक्सपो में उत्तराखंड के पवेलियन को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है। इस कांग्रेस में देश एवं विदेश के प्रतिष्ठित वैज्ञानिक एवं शोध संस्थानों ने प्रतिभाग किया था। अपने उद्घाटन संबोधन में माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने आत्मनिर्भर भारत के लिए विज्ञान के महत्व पर विशेष जोर देकर शोध, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को लैब से लैंड तक लाकर आमजन के जीवन को सहज, सरल और समृद्ध बनाने की बात कही है। उत्तराखंड/25 पहल के पीछे भी विज्ञान आधारित सोच के माध्यम से विकास की रूपरेखा तय करना हमारा उद्देश्य रहा है। चरणबद्ध तरीके से प्रदेश के चहुमुखी विकास के लिए एक सशक्त विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं नवाचार नीति की नितान्त आवश्यकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसी संदर्भ में बोधिसत्व विचार श्रृंखला के माध्यम से आपसी संवाद के माध्यम से आपके सुझावों के आधार पर इस नीति का एक ऐसा मसौदा तैयार कर सकें जो उसके त्वरित कार्यान्वयन में सहायक हो सके। दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों एवं वृहद ग्रामीण क्षेत्र होने के कारण हमारे समक्ष अलग प्रकार की चुनौतियां हैं जिनका समाधान हमें अत्याधुनिक तकनीकी शोध एवं नवाचारों के माध्यम से स्वयं ढूंढना है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मुख्यमंत्री ने कहा कि विज्ञान और तकनीक के महत्व को समझते हुए हमने इस संदर्भ में प्रदेश में स्थित प्रमुख वैज्ञानिक एवं शोध संस्थानों के साथ-साथ प्रधानमंत्री के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय के साथ भी समन्वय स्थापित किया है। इसी क्रम में सीमान्त जनपद चम्पावत को केन्द्र में रखते हुए नोडल एजेन्सी यूकॉस्ट के माध्यम से हम आदर्श चम्पावत का मॉडल विकसित करने के लिए कृतसंकल्पित हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि इस वर्ष हमारा देश माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में जी 20 की मेजबानी कर रहा है। यह अत्यंत गौरव की बात है कि विश्व स्तर पर भारत के नेतृत्व को महत्वता मिली है। हमें उत्तराखंड में इस आयोजन में दो महत्वपूर्ण सत्र करने हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि जोशीमठ जैसे गंभीर प्रश्नों का समाधान भी विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं तकनीक के माध्यम से ही संभव है, अतः इस हेतु सभी प्रमुख केन्द्रीय शोध संस्थानों को राज्य सरकार के साथ समन्वयन एवं सहभागिता स्थापित कर कार्ययोजना तैयार करनी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसके अलावा राज्य में स्थित सभी वैज्ञानिक संस्थानों को साथ लाकर समग्र एवं सर्वागीण विकास का एकीकृत मॉडल विकसित करना हमारी प्राथमिकता है जिसके माध्यम से हम प्रदेश के सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों को विकास की मुख्यधारा के जोड़ते हुए इकोलॉजी एवं इकोनॉमी में बराबर संतुलन बनाते हुए इस दशक को उत्तराखंड का दशक बनाने की हमारी माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की आंकाशाओं को मूर्त रूप दे सकें। विज्ञान एवं तकनीक के माध्यम से उत्तराखंड/25 की अवधारणा के अनुरूप एक सशक्त, सक्षम एवं समृद्ध उत्तराखंड राज्य के निर्माण के लिए उन्होंने राज्य स्थित सभी प्रतिष्ठित संस्थानों की सक्रिय भागीदारी की अपेक्षा भी की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मुख्य सचिव डॉ. एस. एस. संधु ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार के संस्थान आपसी समन्वय से राज्य हित में बेहतर कार्य कर सकते हैं। आपसी विचार विमर्श नये ज्ञान का सृजन करता है। इससे समस्याओं के समाधान की राह भी प्रशस्त होती है। उन्होंने सभी संस्थानों से राज्य में स्थापित हो रही साइंस सिटी में अपने संस्थानों की प्रदर्शनी के आयोजन की व्यवस्था की भी अपेक्षा की। सचिव शैलेश बगोली ने आभार व्यक्त किया तथा यूकास्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत द्वारा कार्यक्रम का संचालन किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस अवसर पर भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान के निदेशक डा. आरपी सिंह, वाडिया भूविज्ञान संस्थान के निदेशक डा० कलाचंद सैन, राज्य मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह, भारतीय सर्वेक्षण विभाग देहरादून के निदेशक कर्नल रजत शर्मा, राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड की उपनिदेशक मीनाक्षी तिवारी, यंत्र अनुसंधान एवं विकास संस्थान की अपर निदेशक जेपी सिंह, अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान ऋषिकेश से प्रो. वर्तिका सक्सेना, भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण विभाग के प्रभारी अधिकारी डा. एसके सिंह, भारतीय प्राणी सर्वेक्षण विभाग के प्रभारी अधिकारी डा० गौरव शर्मा, भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक डा. डीवी सिंह, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की से प्रो. अक्षय द्विवेदी उपस्थित रहे। इनके अलावा आनलाइन माध्यम से स्वास्थ्य सुरक्षा एवं पर्यावरण ग्रुप भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र मुम्बई के निदेशक डा डीके असवाल, आर्यभटट् प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान नैनीताल के निदेशक प्रो. दीपांकर बनर्जी, केन्द्रीय औषधीय एवं संगध पौधा संस्थान लखनऊ एरोमा प्रोजेक्ट के निदेशक डा. प्रबोध कुमार त्रिवेदी शामिल रहे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मत्स्य पालन को बढ़ावा देने को हो उचित मार्केटिंग व्यवस्था
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में मत्स्य विभाग की समीक्षा के दौरान अधिकारियों को निर्देश दिये कि राज्य में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के साथ ही उनकी उचित मार्केटिंग की व्यवस्था भी की जाए। लोगों की आजीविका को बढ़ाने के लिए मत्स्य पालन के क्षेत्र में राज्य में प्रबल संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना का मत्स्य पालकों को अधिक से अधिक लाभ मिले। राज्य में मत्स्य पालन को और तेजी से बढ़ावा देने के लिए विभाग द्वारा 05 लक्ष्य तय किये जाएं, उनको फोकस करते हुए समयबद्धता के साथ आगे कार्य किये जाएं। राज्य में मछली की खपत के अनुरूप उत्पादन हो इस दिशा में भी तेजी से प्रयास किये जाएं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मुख्यमंत्री ने कहा कि हर विभाग यह सुनिश्चित करें कि विज्ञान और तकनीक के आधार पर कार्य किये जाएं। कार्यों में आधुनिकतम तकनीक को अपनाने पर विशेष ध्यान दिया जाए। जिन योजनाओं में केन्द्र एवं राज्य का अंश 90 एवं 10 के अनुपात में हो उनको अधिक प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने कहा कि उधमसिंहनगर में राज्य स्तरीय इण्टीग्रेटेड एक्वापार्क के निर्माण के लिए आवश्यक कार्यवाही जल्द पूर्ण की जाए। मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना से भी अधिक से अधिक मत्स्य पालकों को जोड़ा जाए। उन्होंने कहा कि तालाबों के निर्माण से उनमें मत्स्य पालन को बढ़ावा दिया जा सकता है, वहीं जल संरक्षण की दिशा में भी यह सहायक सिद्ध होंगे। उन्होंने कहा कि कलस्टर बनाकर तालाबों का निर्माण किया जाए और उनके माध्यम से मत्स्य पालन को बढ़ावा दिया जाए। मत्स्य पालन के क्षेत्र में जिन राज्यों में अच्छा कार्य हो रहा है, उनमें से कुछ कार्य बैस्ट प्रैक्टिस के रूप में किये जाएं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मत्स्य पालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा कि पिथौरागढ़ के डुंगरी ग्राम में कलस्टर के आधार पर तालाबों का निर्माण कराया गया है, जो मॉडल काफी सफल हो रहा है। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा एंग्लिंग टूरिज्म पर भी कार्य किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मत्स्य पालकों को मार्केट लिंकेज एवं कोल्ड चैन के विकास की ओर अधिक ध्यान दिये जाने की जरूरत है। राज्य में ट्राउट फार्मिंग को तेजी से बढ़ावा दिया गया है। ट्राउट फार्मिंग के लिए राज्य में 40 से अधिक मत्स्य जीवी सहकारी समितियां कार्य कर रही हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा कि राज्य में पशुपालन, मत्स्य पालन, डेयरी के क्षेत्र में क्या बेहतर हो सकता है, इसके लिए उन्होंने आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड एवं सिंगापुर का अध्ययन भ्रमण किया। भ्रमण के दौरान न्यू साउथ वेल्स, राज्य कृषि मंत्री आस्ट्रेलिया के साथ विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई। आस्ट्रेलिया में भेड़ पालकों द्वारा अपनाई जा रही तकनीक तथा आधुनिक भेड़ पालन विधि को उत्तराखंड में अपनाने एवं राज्य के पशुपालकों को प्रशिक्षण व कौशल विकास के लिए उनसे सहयोग का अनुरोध किया गया। वेलिंगटन न्यूजीलैंड में भारतीय उच्चायुक्त सुनीता भूषण एवं सिंगापुर में भारतीय उच्चायुक्त पी. कुमारन के साथ बैठक हुई। उनके साथ राज्य के युवाओं को रोजगार तथा व्यवसाय की संभावनाएं तलाशने पर चर्चा हुई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सचिव मत्स्य बी.वी.आर.सी पुरूषोत्तम ने कहा कि राज्य में 02 हजार लोग प्रत्यक्ष रूप से मत्स्य पालन से जुड़े हैं। राज्य में 40 एग्लिंग साइड पर कार्य करने की योजना बनाई जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2021-22 में कुल 71.03 करोड़ रूपये एवं वित्तीय वर्ष 2022-23 में 48.79 करोड़ के प्रोजक्ट स्वीकृत हुए हैं। बैठक में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, आनन्द बर्द्धन, सचिव शैलेश बगोली, अपर सचिव अरूणेन्द्र चौहान, योगेन्द्र यादव उपस्थित थे।
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।