ग्राफिक एरा में मीडिया, समाज और विज्ञान पर राष्ट्रीय सम्मेलन, विशेषज्ञों ने साझा किए महत्वपूर्ण विचार

देहरादून स्थित ग्राफिक एरा में प्राकृतिक आपदाओं में प्रभावी संचार और सामुदायिक सहयोग की निर्णायक भूमिका पर गहन मंथन हुआ। विशेषज्ञों ने न केवल मीडिया की जिम्मेदार भूमिका को उजागर किया, बल्कि हिमालयी क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन के लिए नवीन दृष्टिकोण और व्यावहारिक सुझाव भी साझा किए, जो भविष्य की रणनीतियों के लिए मार्गदर्शक साबित होंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी में मीडिया, विज्ञान और समाज के विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन को संबोधित करते हुए ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के कुलपति डा. अमित आर. भट्ट ने कहा यह सम्मेलन केवल अकादमिक उपलब्धियों का जश्न नहीं है, बल्कि मीडिया को सतत् विकास और समाज के निर्माण के लिए एक प्रभावशाली माध्यम के रूप में देखने का अवसर है। उन्होंने मीडिया इकोसिस्टम की अनुशासनात्मक प्रकृति पर जोर दिया और कहा कि यह सिर्फ एक सम्मेलन नहीं, बल्कि सतत् भविष्य के लिए एक आंदोलन होना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सम्मेलन में एनडीटीवी के एग्जीक्यूटिव एडिटर सुशील बहुगुणा ने कहा कि आज हर बच्चे के हाथ में मीडिया की ताकत है, जो उन्हें सीधे समाज और पर्यावरण से जोड़ती है। उन्होंने कॉर्पोरेट मीडिया पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह केवल लाभ और विज्ञापन के हिसाब से चलता है और आम आदमी की कहानियों को प्राथमिकता नहीं देता। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उनके अनुसार, आने वाले दस वर्षों में पारंपरिक कॉर्पोरेट मीडिया पीछे रह जाएगा, क्योंकि वही कंटेंट असरदार और सजीव होता है जिससे लोग वास्तविक जुड़ाव महसूस करते हैं। सुशील बहुगुणा ने जोर देकर कहा कि अपने आस-पास के पर्यावरण, हिमालय और जीवन से प्रेम और जुड़ाव ही कंटेंट को भावनात्मक गहराई और वास्तविकता प्रदान करता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने हिमालय और पहाड़ी जीवन के उदाहरण देते हुए बताया कि स्थानीय लोग कदम-कदम पर स्टेप फार्मिंग और सतत् प्रयासों से मिट्टी के कटाव को कम कर रहे हैं। सुशील बहुगुणा ने कहा कि कंटेंट निर्माण में व्यक्तिगत जुड़ाव और गहन रिसर्च अनिवार्य है, क्योंकि यही हमें अनदेखी जानकारियाँ और सच्ची कहानियाँ देती हैं। आम नागरिकों की कहानियों पर भरोसा ही वास्तविक असर पैदा करता है, न कि केवल राजनीतिक या कॉर्पोरेट नजरिए से। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित आईआईएमसी की प्रो. (डा.) अनुभूति यादव ने कहा कि शहर और प्रकृति अपने आप में लचीलापन और अनुकूलन की कहानी बयां करती हैं। उन्होंने पत्रकारों, वैज्ञानिकों और छात्रों से आम जनता तक नवाचार और विज्ञान पहुंचाने की अपील की। उनका मानना है कि नवाचार अकेले नहीं होता, ये विभिन्न लोगों, समुदायों और संस्थाओं के सहयोग से ही वास्तविक समाधान संभव हैं। साथ ही, उन्होंने मीडिया साक्षरता और जिम्मेदार कंटेंट निर्माण पर जोर दिया, यह बताते हुए कि हर व्यक्ति, चाहे वह कंटेंट का उपभोक्ता हो या निर्माता, समाज और पर्यावरण से जुड़े संदेशों को सही और प्रभावशाली तरीके से साझा कर सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सम्मेलन के दौरान विशेषज्ञों ने प्राकृतिक आपदाओं में मीडिया और समाज की भूमिका विषय पर पैनल चर्चा की। पैनल चर्चा में पर्यावरणविद् और कार्यकर्ता श्री सचिदानंद भारती, ओएनजीसी के वैज्ञानिक डा. आर. जे. अजमी, ग्राफिक एरा के इन्फ्रास्ट्रक्चर हेड और प्रो. (डा.) सुभाष गुप्ता, मीडिया एंड मास कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट की विभाग अध्यक्ष डा. ताहा सिद्दीकी (मॉडरेटर) पर्यावरण विज्ञान विभाग की प्रोफेसर डा. रीमा पंत की सक्रिय भागीदारी रही। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सम्मेलन में तीन तकनीकी सत्र आयोजित किए गए। इन सत्रों में ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी सहित अन्य विश्वविद्यालयों के शिक्षकों, शोधार्थियों और छात्रों ने 30 से अधिक शोधपत्र प्रस्तुत किए। इन शोधपत्रों में पर्यावरणीय परिवर्तन, डिजिटल इनोवेशन, डिजास्टर कम्युनिकेशन, सोशल मीडिया की प्रासंगिकता और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) जैसे समकालीन विषय शामिल रहे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के मीडिया एंड मास कम्यूनिकेशन डिपार्टमेंट ने किया। कार्यक्रम में कुल सचिव डा. डी. के. जोशी, डा. आकृति ढोंडियाल बडोला, संदीप भट्ट, गिरिजा शंकर सेमवाल समेत विभाग के शिक्षक-शिक्षिकाए और छात्र-छात्राएं शामिल रहें कार्यक्रम का संचालन डा. हिमानी बिंजोला ने किया।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।