नासा की चेतावनीः सौर तूफान से धरती पर ध्वस्त हो सकता है इंटरनेट, एक साल तक बिजली गुल, जानिए क्या हो रहे उपाय

एक बार फिर से ब्रह्मांड की घटनाओं को लेकर अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा अलर्ट है। नासा ने सूर्य से आने वाले तूफान के बारे में नई जानकारी दी है। कहा गया है कि यदि इसका असर धरती पर पड़ा तो इंरनेट और बिजली की व्यवस्था को तार-तार कर सकता है। इंटरनेट सेवाएं पूरी तरह से ठप हो सकती है और साथ ही बिजली सेवाएं भी साल भर के लिए बाधित हो सकती हैं। लिहाजा नासा ने संभावित ‘इंटरनेट सर्वनाश’ को रोकने के प्रयास के रूप में एक अंतरिक्ष यान लॉन्च किया है। मिरर के मुताबिक, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के पार्कर सोलर प्रोब (पीएसपी) ने सौर हवा के माध्यम से नेविगेट करके एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सौर तूफान का भयानक असर
वैज्ञानिकों ने आगामी सौर तूफान के संभावित प्रभाव के बारे में चेतावनी दी है, जिसे आमतौर पर इंटरनेट सर्वनाश कहा जाता है, जो अगले दशक के भीतर आ सकता है। 2018 में लॉन्च अंतरिक्ष यान सूर्य की सतह के करीब पहुंचा, जहां सौर हवा उत्पन्न होती है. रिपोर्ट के अनुसार, सौर हवा में सूर्य के सबसे बाहरी वातावरण से निकलने वाले आवेशित कणों की एक सतत धारा होती है, जिसे कोरोना कहा जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सूर्य के करीब होने के कारण पार्कर सोलर प्रोब को तेज गर्मी और विकिरण का सामना करना पड़ा, लेकिन इस पीएसपी ने सूर्य के करीब जाकर ये पता लगाने की कोशिश की है कि सूर्य कैसे काम करता है। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर स्टुअर्ट बेल ने सौर हवा को समझने के महत्व को समझाया। बेल ने कहा, हवाएं सूर्य से पृथ्वी तक बहुत सारी जानकारी ले जाती हैं। इसलिए सूर्य की हवा के पीछे के तंत्र को समझना पृथ्वी पर व्यावहारिक कारणों से महत्वपूर्ण है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
महीनों या वर्षों तक नहीं चला पाएंगे इंटरनेट
यूं समझ लें कि ये हमारे संचार नेटवर्क के लिए खतरा हैं। सूर्य कैसे ऊर्जा जारी करता है और भू-चुंबकीय तूफान चलाता है, जिसका असर धरती पर नजर आता है। इस तरह की घटना से लोगों को महीनों या वर्षों तक इंटरनेट का उपयोग बंद करना पड़ सकता है, इससे उपग्रह और बिजली की लाइनें बेकार हो सकती हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इंटरनेट सर्वनाश को रोकने के प्रयास
नासा ने संभावित इंटरनेट सर्वनाश को रोकने के प्रयास के रूप में एक अंतरिक्ष यान लॉन्च किया है। मिरर के मुताबिक, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के पार्कर सोलर प्रोब (पीएसपी) ने सौर हवा के माध्यम से नेविगेट करके एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। वैज्ञानिकों ने आगामी सौर तूफान के संभावित प्रभाव के बारे में चेतावनी दी है, जिसे आमतौर पर इंटरनेट सर्वनाश कहा जाता है, जो अगले दशक के भीतर आ सकता है। 2018 में लॉन्च अंतरिक्ष यान सूर्य की सतह के करीब पहुंचा, जहां सौर हवा उत्पन्न होती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कैसे ठप हो सकता सारा कम्यूनिकेशन
रिपोर्ट के अनुसार, सौर हवा में सूर्य के सबसे बाहरी वातावरण से निकलने वाले आवेशित कणों की एक सतत धारा होती है, जिसे कोरोना कहा जाता है। तीव्र गर्मी और विकिरण की कठोर परिस्थितियों के बावजूद, पार्कर सोलर प्रोब सूर्य की कार्यप्रणाली के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी एकत्र करने में लगा रहा। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर स्टुअर्ट बेल, ने सौर हवा को समझने के महत्व को समझाया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हवाओं में होती है जानकारी
बेल ने कहा, हवाएं सूर्य से पृथ्वी तक बहुत सारी जानकारी ले जाती हैं। इसलिए सूर्य की हवा के पीछे के तंत्र को समझना पृथ्वी पर व्यावहारिक कारणों से महत्वपूर्ण है। यह समझने की हमारी क्षमता को प्रभावित करने जा रहा है कि सूर्य कैसे ऊर्जा जारी करता है और भू-चुंबकीय तूफान चलाता है, जो हमारे संचार नेटवर्क के लिए खतरा हैं। इस तरह की घटना से लोगों को महीनों या वर्षों तक इंटरनेट का उपयोग बंद करना पड़ सकता है, इससे उपग्रह और बिजली की लाइनें बेकार हो सकती हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नासा के सोलर प्रोब से मिली अहम जानकारी
सूर्य के रहस्यों को उजागर करने के लिए भेजे गए नासा के पार्कर सोलर प्रोब के हाथ बड़ी सफलता लगी है। इस प्रोब के डेटा ने सूर्य के सतह पर सौर हवा से स्रोत की खोज की है। इस स्रोत से भारी संख्या में आवेशित कण सूर्य की सतह से निकलकर पृथ्वी की ओर बह रहे हैं। पार्कर सोलर प्रोब का नाम दिवंगत खगोल वैज्ञानिक यूजीन पार्कर के नाम पर रखा गया था। इस प्रोब को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने 2018 में लॉन्च किया था। इस अभियान का प्रमुख मकसद यह निर्धारित करना था कि सूर्य की सतह पर बनने के वक्त सोलर विंड या सौर हवा कैसी दिखती है और यह सूर्य के गुरुत्वाकर्षण से कैसे बचती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सूर्य की सतह को पहली बार किया स्पर्श
नासा ने बताया कि पार्कर सोलर प्रोब जैसे सूर्य के सतह के 13 मिलियन मील (20.9 मिलियन किलोमीटर) के भीतर जैसे ही जांच शुरू की। इसके उपकरणों ने सौर हवा की ठीक संरचनाओं का पता लगाया। यह हवा फोटोस्फीयर या सौर सतह के पास उत्पन्न होती है। इस अंतरिक्ष यान को विशेष रूप से सौर सतह के ऊपर 4 मिलियन मील (6.4 मिलियन किलोमीटर) के भीतर उड़ान भरने के लिए डिजाइन किया गया है। इस मिशन ने 2021 के अंत में सूर्य के सतह को पहली बार स्पर्श किया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
तूफान की गति 800 किमी प्रति सेकेंड
सौर हवा या सोलर विंड या सौर तूफान के स्रोत की खोज से संबंधित विवरण का अध्ययन बुधवार को नेचर पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। इसमें बताया गया है कि सौर हवा प्लाज्मा का एक निरंतर बहाव है, जो सतह से बाहर की ओर होता है। इसमें प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉन जैसे आवेशित कण होते हैं। इसमें सौर चुंबकीय क्षेत्र का हिस्सा भी शामिल है जो कोरोना से काफी आगे तक फैली हुई है। यह हवा दो प्रकार की होती है। सूर्य के ध्रुवों पर 497 मील प्रति सेकंड (800 किलोमीटर प्रति सेकंड) की चरम गति से कोरोना के छेद से तेज सौर हवा बहती है। वहीं बाकी हिस्सों में बहने वाली सौर हवा 249 मील प्रति सेकंड (400 किलोमीटर प्रति सेकंड) की शांत गति से बहती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
क्या पृथ्वी को भी है खतरा
अब सवाल ये उठता है कि क्या सौर तूफान से पृथ्वी को भी खतरा है। तेज सौर हवा आमतौर पर पृथ्वी को प्रभावित नहीं करती है, लेकिन अधिकतम सौर चक्र के दौरान सूर्य का चुंबकीय क्षेत्र पलट जाता है। यह फ्लिप सूर्य की सतह पर कोरोनल छिद्रों को प्रकट करने का कारण बनता है और सौर हवा के फटने को सीधे पृथ्वी की ओर छोड़ता है। सौर हवा के स्रोत को समझने से वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष के मौसम और पृथ्वी को प्रभावित करने वाले सौर तूफानों की बेहतर भविष्यवाणी करने में मदद मिल सकती है। इन सौर हवा के कारण पृथ्वी पर सुंदर अरौरा का नजारा बनता है हालांकि, ये सौर तूफान उपग्रहों और पृथ्वी के विद्युत ग्रिडों को भी प्रभावित कर सकते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नासा का नया मिशन
इस बीच, नासा ने एक नया अभियान शुरू किया है, जो जनता को माइक्रोचिप पर अपना नाम लिखने का अवसर प्रदान करता है, जो अगले साल नासा के यूरोपा क्लिपर अंतरिक्ष यान पर सवारी करेगा। यूरोपा क्लिपर अंतरिक्ष यान अक्टूबर 2024 में बृहस्पति और उसके चंद्रमा यूरोपा की यात्रा के लिए निर्धारित है।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।

Bhanu Prakash
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।