नासा की मंगल से आगे की छलांग, बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा में होगी जीवन की संभावनाओं की खोज, सुलझा चांद पर एलियन का रहस्य
दुनिया भर के वैज्ञानिक ब्रह्मांड में जीवन की संभावनाओं का अध्ययन कर रहे हैं। चांद, मंगल के बाद अब अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा की छलांग बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा की ओर लगने वाली है। इसके लिए अब नासा (NASA) एक महत्वाकांक्षी योजना तैयार कर रही है। इस योजना के तहत नासा इस साल बृहस्पति के बर्फीले चंद्रमा यूरोपा (Europa) पर अपना क्लिपर (Clipper) अंतरिक्ष यान भेजेगा। यह स्पेसक्राफ्ट यूरोपा पर 2031 में पहुंचेगा। यूरोपा सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति की परिक्रमा करने वाले दर्जनों चंद्रमाओं में से एक है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अमेरिकी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने गुरुवार को ह्यूमेनिटीज हंट फॉर एक्सट्रा टेरेस्ट्रियल लाइफ मिशन के तहत अंतरग्रहीय अनुसंधान का अनावरण किया। नासा इसरके तहत बृहस्पति के बर्फीले चंद्रमाओं में से एक यूरोपा पर भेजने की योजना पर काम करेगा। क्लिपर अंतरिक्ष यान अक्टूबर में यूरोपा के लिए उड़ान भरने वाला है, जो सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह की परिक्रमा करने वाले दर्जनों चंद्रमाओं में से एक है। यूरोपा पर जीवन के संकेत खोजने के प्रोजेक्ट के लिए डिवाइस पर 500 करोड़ डॉलर का खर्च आएगा। अभी यह प्रोब यानी अनमैन्ड डिवाइस कैलिफोर्निया में नासा के जेट प्रपल्सन लैब में है जहां सिर्फ कुछ ही लोगों को जाने की अनुमति है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
परियोजना वैज्ञानिक बॉब पप्पालार्डो ने पृथ्वी से परे जीवन के अस्तित्व को उजागर करने की नासा की खोज पर जोर दिया। 5 बिलियन डॉलर की लागत वाली इस जांच की तैयारी वर्तमान में कैलिफोर्निया में नासा की जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला में चल रही है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह यूरोपा की यात्रा से पहले दूषित पदार्थों से मुक्त रहे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नासा जिन मूलभूत प्रश्नों को समझना चाहता है उनमें से एक यह है कि क्या हम ब्रह्मांड में अकेले हैं? बॉब पप्पालार्डो ने एएफपी को बताया। उन्होंने कहा कि अगर हमें जीवन के लिए परिस्थितियां ढूंढनी हों और फिर किसी दिन वास्तव में यूरोपा जैसी जगह पर जीवन मिल जाए, तो यह कहा जाएगा कि हमारे अपने सौर मंडल में जीवन के दो उदाहरण हैं: पृथ्वी और यूरोपा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पप्पालार्डो ने जोर देकर कहा कि यह समझने के लिए बहुत बड़ी बात होगी कि पूरे ब्रह्मांड में जीवन कितना सामान्य हो सकता है। क्लिपर स्पेस एक्स फाल्कन हेवी रॉकेट पर सवार होकर लॉन्च होगा, जो गति हासिल करने के लिए मंगल ग्रह की उड़ान के साथ पांच साल की यात्रा पर निकलेगा। 2031 तक, इसका लक्ष्य चंद्रमा की बर्फीली सतह का अध्ययन करने के लिए बृहस्पति और यूरोपा की परिक्रमा करना है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जहाज पर लगे उपकरण चंद्रमा की संरचना का विश्लेषण करेंगे, जिसमें बर्फ के नीचे तरल पानी की उपस्थिति भी शामिल है। यह मिशन जीवन का पता लगाने के बजाय जीवन के लिए उपयुक्त स्थितियों की पहचान करने पर केंद्रित है। तीव्र विकिरण और संचार में देरी जैसी चुनौतियों के बावजूद, वैज्ञानिक मिशन की क्षमता के बारे में आशावादी बने हुए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
क्लिपर की उन्नत तकनीक यूरोपा के पर्यावरण में गहराई से उतरेगी, जो पृथ्वी पर चरम स्थितियों से मिलती जुलती है जहां जीवन पनपता है। प्रोजेक्ट मैनेजर जॉर्डन इवांस ने ब्रह्मांड में जीवन की संभावनाओं के विस्तार में मिशन के महत्व पर प्रकाश डाला। जांच के सौर पैनलों को बृहस्पति की सूर्य से दूरी के बीच अंतरिक्ष यान को कुशलतापूर्वक शक्ति देने में परीक्षण का सामना करना पड़ता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
1990 के दशक के अंत में शुरू किए गए इस मिशन के वैज्ञानिक उद्देश्यों को पूरा करने के बाद 2034 तक समाप्त होने का अनुमान है। अनुसंधान चरण के बाद, क्लिपर को मिशन के अंतिम कार्य के लिए बृहस्पति के सबसे बड़े चंद्रमा, गेनीमेड पर प्रभाव डालने की योजना बनाई गई है। उप परियोजना प्रबंधक टिम लार्सन ने मिशन पूरा होने के बाद अंतरिक्ष यान के निपटान योजना की रूपरेखा तैयार की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
यूरोपा की संभावित आवास क्षमता पर मिशन का फोकस हमारे सौर मंडल के विशाल अज्ञात की खोज के लिए नासा की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यूरोपा की खोज से ब्रह्मांड में जीवन की व्यापकता को समझने के नए रास्ते खुलते हैं। आगे की चुनौतियों के बावजूद, वैज्ञानिक यूरोपा के रहस्यों को सुलझाने और हमारे ग्रह से परे जीवन के बारे में मानवता की धारणा को संभावित रूप से फिर से परिभाषित करने के लिए दृढ़ हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के एक ऑर्बिटर ने चांद के पास से तेजी से गुजरती एक चीज की तस्वीर खींची है। ये रहस्यमयी चीज तेजी से चांद का चक्कर लगा रही थी। जब तक आर्बिटर इसके बारे में और आंकड़े जुटा पाता ये कैमरे से ओझल हो गई। ये चीज सर्फबोर्ड के आकार की थी। चांद के पास किसी दूसरे स्पेसशिप की मौजूदगी देखकर वैज्ञानिक हैरान रह गए। नासा के वैज्ञानिकों को आशंका हुई कि ये एलियन शिप या यूएफओ हो सकता है। इसके बाद नासा ने इस वस्तु पर नजर रखनी शुरू की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नासा का लूनर रिकॉन्सेंस ऑर्बिटर (एलआरओ) चांद का चक्कर लगाते हुए उसका अध्ययन कर रहा है। नासा ने बताया कि जब अज्ञात अंतरिक्ष यान का पता चला तो मैरीलैंड में नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर में सभी सतर्क हो गए। एलआरओ से सिग्नल प्राप्त करने वाली ग्राउंड टीम ने गौर किया कि दोनों यान लगभग समानांतर कक्षा में यात्रा कर रहे थे। इसी दौरान 5 और 6 मार्च को ये दोनों एक दूसरे के सामने आए, जब एलआरओ ने अज्ञात अंतरिक्ष यान की तस्वीरें खींची। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नासा को संदिग्ध चीज का चल गया पता
वैज्ञानिकों ने कहा कि एलआरओ के कैमरे का एक्सपोजर समय लगभग 0.338 मिलीसेकंड है, जिससे घटना को कैप्चर करना मुश्किल हो जाता है। हालांकि, उसके बावजूद भी यह यान की तस्वीर लेने में सफल रहा। बाद में नासा ने पाया कि जिस चीज की तस्वीर ली गई थी, यह कोई यूएफओ या एलियन शिप नहीं थी। नासा ने बताया कि यह दक्षिण कोरिया के द्वारा भेजा गया ऑर्बिटर डेनुरी था, जो चंद्रमा का चक्कर लगा रहा था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अलग दिखता है ऑर्बिटल डेनुरी
नासा के मुताबिक, दोनों स्पेसक्राफ्ट की स्पीड में 11500 किमी प्रति घंटे का अंतर था जिसके चलते डेनुरी की जो तस्वीर सामने आई वह उसके आकार से 10 गुना अधिक धंसी हुई दिखाई दे रही थी। इसी वजह से ये सर्फ बोर्ड जैसी दिख रही थी। असल में डेनुरी सर्फबोर्ड जैसा बिल्कुल नहीं दिखता। यह एक बॉक्स के आकार का यान है जिसके दोनों तरफ दो सौर पैनल लगे हुए हैं।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।