नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने भेजी तारामंडल की सुंदर तस्वीरें, चंद्रमा में ग्रेनाइट की खोज
अमेरिकी अतंरिक्ष एजेंसी नासा ब्रह्मांड के रहस्यों की खोज कर रहा है। इसके लिए अंतरिक्ष में काम करते हुए नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने एक साल पूरा कर लिया है। इस मौके पर अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने जेम्स वेब द्वारा ली गई एक तस्वीर रिलीज की है। इसमें पृथ्वी के सबसे नजदीक स्थित तारा-निर्माण क्षेत्र रो ओफिउची क्लाउड कॉम्प्लेक्स को देखा जा सकता है। जेम्स वेब ने दिसंबर 2021 में अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी थी। पिछले साल जुलाई में इस टेलीस्कोप का पहला डेटा दिखाया गया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हबल टेलीस्कोप का उत्तराधिकारी है जेम्स वेब टेलीस्कोप
जेम्स वेब टेलीस्कोप को हबल टेलीस्कोप (Hubble) के उत्तराधिकारी के तौर पर लॉन्च किया गया है। हबल टेलीस्कोप 30 साल से भी ज्यादा वक्त से अंतरिक्ष में है और ब्रह्मांड की अनदेखी तस्वीरें दुनिया को दिखा रहा है। जेम्स वेब टेलीस्कोप अंतरिक्ष में मौजूद अबतक की सबसे एडवांस ऑब्जर्वेट्री है। इसमें लगे नियर इन्फ्रारेड कैमरा की मदद से हमें सुदूर ब्रह्मांड की कई अनोखी तस्वीरें देखने को मिली हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
लगा चुका है ब्लैक होल का पता
हाल ही में जेम्स वेब ने अबतक के सबसे दूर स्थित ब्लैक होल का पता लगाया है। यह ब्लैक होल इतना विशाल है कि उसमें 90 लाख सूर्य आ सकते हैं। वेब के एक साल पूरा होने पर जो तस्वीर नासा ने शेयर की है, वह रो ओफिउची क्लाउड कॉम्प्लेक्स की है। यह गैस और धूल के विशाल बादल हैं, जहां नए तारे यानी सूर्य जन्म लेते हैं। यह जगह पृथ्वी से लगभग 390 प्रकाश वर्ष दूर हमारी ही आकाशगंगा में स्थित है। याद रहे कि एक प्रकाश वर्ष वह दूरी है, जो प्रकाश एक साल में तय करता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
निर्माण में आई इतनी लागत
जेम्स वेब टेलीस्कोप द्वारा ली गई पहली तस्वीर पिछले साल 12 जुलाई को सामने आई थी। उसमें भी सुदूर ब्रह्मांड को दिखाया गया था। नासा ने दावा किया था कि वह तस्वीर सुदूर ब्रह्मांड की अबतक की सबसे डीप और शार्प इन्फ्रारेड इमेज है। SMACS 0723 नाम की गैलेक्सी क्लस्टर की एक-एक डिटेल को जेम्स वेब ने कैद किया था। जेम्स वेब के निर्माण में 10 अरब डॉलर (लगभग 75,330 करोड़ रुपये) की लागत आई है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने इस टेलीस्कोप के उत्तराधिकारी पर भी काम शुरू कर दिया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वैज्ञानिकों के मुताबिक, चंद्रमा का निर्माण तब हुआ जब पृथ्वी और मंगल के आकार का ग्रह लगभग 4.51 अरब साल पहले टकराए थे। जब सौर मंडल अपने प्रारंभिक चरण में था। पृथ्वी के एक टुकड़े को तराशा गया और उसके एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह के रूप में उसके चारों ओर एक कक्षा में स्थापित किया गया। अब, इस सिद्धांत को नासा के वैज्ञानिकों द्वारा चंद्रमा के सुदूर हिस्से में चंद्रमा की सतह के नीचे एक ग्रेनाइट द्रव्यमान की खोज के साथ बल मिल सकता है, जो उन्हें लगता है कि इसे पहले से कहीं अधिक पृथ्वी जैसा बनाता है। दूसरे शब्दों में, प्रक्रिया सहित कुछ विशेषताएं ग्रेनाइट का निर्माण, पृथ्वी से अलग होने पर चंद्रमा द्वारा अपने साथ ले जाया गया होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
चंद्रमा में ग्रेनाइट का बड़ा भंडार
वैज्ञानिकों ने थोरियम-समृद्ध विशेषता के नीचे 50 किमी व्यास वाले ग्रेनाइट के एक समूह और चंद्रमा के सुदूर भाग पर क्रेटर कॉम्पटन और बेलकोविच के बीच एक विलुप्त ज्वालामुखी काल्डेरा (एक ज्वालामुखी जो फूट गया था और ढह गया था, जिससे एक गहरा गड्ढा बन गया था) की खोज की है। हालाँकि अपोलो मिशन ग्रेनाइट के निशान के साथ चट्टान के नमूने वापस लाए थे, लेकिन वैज्ञानिकों ने चंद्र सतह के नीचे ग्रेनाइट के इतने बड़े भंडार के अस्तित्व की कभी कल्पना नहीं की थी। यह खोज नासा के वैज्ञानिकों ने चीनी चांग’ई-1 और चांग’ई-2 चंद्र ऑर्बिटर्स और नासा के लूनर प्रॉस्पेक्टर और लूनर रिकोनिसेंस ऑर्बिटर्स द्वारा एकत्र किए गए डेटा के आधार पर की थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वैज्ञानिकों का अध्ययन
टक्सन, एरिज़ोना में नासा के ग्रह विज्ञान संस्थान के प्रमुख शोधकर्ता डॉ. मैट सीगलर के अनुसार, चंद्र कक्षाओं ने चंद्रमा पर भू-तापीय ताप प्रवणता को मापने के लिए दूरस्थ रूप से माइक्रोवेव का उपयोग किया। गहराई बढ़ने के साथ तापमान में वृद्धि को भूतापीय प्रवणता कहते हैं। मापों ने विशेष रूप से 20 किमी चौड़ी सिलिकॉन-समृद्ध सतह के नीचे उच्च भू-तापीय प्रवणता दिखाई, माना जाता है कि यह एक विलुप्त ज्वालामुखी है, जो लगभग 3.5 अरब साल पहले फूटा था। ताप माप से पता चला कि साइट पर सतह के नीचे का तापमान आसपास के क्षेत्रों में भूतापीय तापमान से कम से कम 10 डिग्री सेल्सियस अधिक था। ऊष्मा प्रवाह का चरम माप लगभग 180 मिलीवाट प्रति वर्ग मीटर पाया गया, जो औसत चंद्र उच्चभूमि की तुलना में लगभग 20 गुना अधिक है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ऐसे बनती है ग्रेनाइटिक चट्टान
वैज्ञानिकों ने इस ताप प्रवाह की व्याख्या करते हुए इसका श्रेय सतह के नीचे रेडियोजेनिक-समृद्ध (रेडियोधर्मिता के कारण होने वाली गर्मी) ग्रेनाइट द्रव्यमान को दिया। यह ज्ञात है कि चंद्रमा की सतह पर अन्य चट्टानों की तुलना में ग्रेनाइट में रेडियोधर्मी यूरेनियम और थोरियम की सांद्रता अधिक है, जिसे हीटिंग का कारण माना जाता है। चंद्रमा की सतह के नीचे द्रव्यमान की विशेषताओं और गणनाओं और गर्मी की विशेषताओं के आधार पर, वैज्ञानिकों को लगता है कि यह 50 किलोमीटर चौड़ी बाथोलिथ है, जो एक प्रकार की ग्रेनाइटिक ज्वालामुखीय चट्टान है, जो पृथ्वी पर तब बनती है जब लावा सतह की ओर बढ़ता है लेकिन फूटने में विफल रहता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आने वाले समय में हो सकता है और खुलासा
इसी तरह की सतह के नीचे बाथोलिथिक ग्रेनाइट की विशेषताएं पृथ्वी पर कई स्थानों पर मौजूद हैं, जिनकी समानता ने बहुत उत्साह पैदा किया है। 12 जुलाई को फ्रांस के ल्योंस में गोल्डस्मिड्ट सम्मेलन में सीगलर इस पर पेपर प्रस्तुत करने वाले हैं। उनका मानना है कि चंद्रमा पर अन्यत्र भी ऐसी ग्रेनाइट विशेषताएं हो सकती हैं। निकट भविष्य में मानवयुक्त चंद्र अभियानों की वापसी की योजना के साथ, आने वाले समय में चंद्रमा पर ऐसी पृथ्वी जैसी भूगर्भिक विशेषताओं के बारे में और अधिक खुलासे होने की संभावना है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।