नासा के वैज्ञानिकों ने खोजा एक और चांद, जो पृथ्वी और सूर्य दोनों के लगाते है चक्कर, दिया गया ये नाम

अब एक नया चांद मिला है। नासा ने इसका खुलासा किया है। वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक क्षुद्रग्रह की खोज की है जो सूर्य के चारों ओर अपनी वार्षिक यात्रा के दौरान पृथ्वी के साथ संरेखित होता है। डब्ड 2023 FW13, अंतरिक्ष चट्टान को ‘अर्ध-चंद्रमा’ या ‘अर्ध-उपग्रह’ माना जाता है। इसका अर्थ है कि यह पृथ्वी के समान समय सीमा में सूर्य की परिक्रमा करता है, लेकिन हमारे ग्रह के गुरुत्वाकर्षण से केवल थोड़ा प्रभावित होता है। इसका व्यास 50 फीट (15 मीटर) है। मोटे तौर पर बम्पर पर खड़ी तीन बड़ी एसयूवी के बराबर। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सूर्य के चारों ओर अपनी कक्षा के दौरान, 2023 FW13 भी हमारे ग्रह से 9 मिलियन मील (14 मिलियन किलोमीटर) पृथ्वी की परिक्रमा करता है। तुलना के लिए चांद इसका व्यास 2,159 मील (3,474 किमी) है और यह पृथ्वी के 226,000 मील (364,000 किमी) के भीतर अपनी कक्षा में अपने निकटतम बिंदु पर स्थित है। इस नए चांद को नासा ने ‘क्वासी-मून यानी अर्ध-चंद्रमा’ नाम दिया है। इसकी खासियत ये है कि पृथ्वी और सूर्य दोनों का ही चक्कर लगाता है। इसको लेकर नासा के वैज्ञानिकों ने कई अहम खुलासे किए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ऐसे हुआ नए चांद का खुलासा
2023 FW13 को पहली बार मार्च में Pan-STARRS वेधशाला द्वारा देखा गया था, जो हवाई में ज्वालामुखी माउंट हेलीकला के ऊपर स्थित है। तब वैज्ञानिकों ने इसे पैनस्टार्स टेलिस्कोप से देखा था। इसी के बाद से इस पर वैज्ञानिकों ने अध्ययन शुरू कर दिया। अब जाकर इसकी पुष्टि हुई है। इसका नाम इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन के माइनर प्लैनेट सेंटर की सूची में दर्ज किया गया है। अध्ययन में पता चला है कि ये पृथ्वी और सूर्य दोनों का ही चक्कर लगाता है। हालांकि, सूर्य के गुरुत्वाकर्षण के चलते ये सूर्य की ओर खिंचा रहता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अगले 1500 साल तक लगाएगा पृथ्वी के चक्कर
नासा के मुताबिक, क्वासी मून एक तरह का स्पेस रॉक है। कुछ अनुमान बताते हैं कि 2023 FW13 कम से कम 100 ईसा पूर्व से पृथ्वी का लौकिक पड़ोसी रहा है और अंतरिक्ष की चट्टानें लगभग 3700 ईस्वी तक इस कक्षीय पथ का अनुसरण करती रहेंगी। ये 2100 साल (100BC) से पृथ्वी के आसपास ही मौजूद था। अब इसकी पहचान हुई है। ये अगले 1500 साल यानी AD 3700 तक पृथ्वी का चक्कर लगाएगा। इसके बाद ये पृथ्वी की कक्षा छोड़ देगा। इससे पृथ्वी को कोई खतरा नहीं होगा। 2023 FW13 सूर्य के चारों ओर उतने ही समय में चक्कर लगाता है, जितने समय में (365 दिन) पृथ्वी लगाती है, साथ ही ये पृथ्वी के चारों ओर भी चक्कर लगाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बंधे होते हैं सूर्य के गुरुत्वाकर्षण से
नासा के अनुसार, क्वासी-मून को क्वासी-सैटेलाइट भी कहा जाता है। ये चंद्रमा की तरह ही पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं। हालांकि, पृथ्वी की जगह सूर्य के गुरुत्वाकर्षण से बंधे होते हैं। इसलिए इन्हें क्वासी कहा गया है। वहीं, चांद पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बंधा होता है। यह पृथ्वी का एकमात्र अर्ध-साथी नहीं है। इसी तरह 2016 में कामो ओलेवा के नाम से जाना जाने वाला एक अलग अर्ध-उपग्रह खोजा गया था। चट्टान हमारे ग्रह के समान ही चिपक जाती है क्योंकि यह सूर्य की परिक्रमा करती है, और 2021 के एक अध्ययन ने सुझाव दिया कि यह क्षुद्रग्रह वास्तव में, यह पृथ्वी के चंद्रमा का हिस्सा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पुराने चांद से इसकी तुलना
नासा ने इसको लेकर भी एक रिपोर्ट जारी की है। इसके अनुसार, ‘नया चांद पृथ्वी के ‘हिल स्फीयर’ के बाहर चक्कर लगता है। मतलब उस जगह नहीं चक्कर लगाता है, जहां ग्रह का गुरुत्वाकर्षण बल सबसे ज्यादा ताकतवर होता है। इसी बल के कारण उपग्रह, ग्रह की ओर खिचते हैं। पृथ्वी के ‘हिल स्फीयर’ का रेडियस (त्रिज्या) 1.5 मिलियन किलोमीटर है, जबकि 2023 FW13 का रेडियस इससे बड़ा यानी 1.6 मिलियन किलोमीटर है। वहीं, हमारे चंद्रमा के ‘हिल स्फीयर’ का रेडियस सिर्फ 60 हजार किलोमीटर है। यह स्पेस रॉक जिस ऑर्बिट में है उसके आधे रास्ते में मंगल ग्रह और आधे रास्ते में शुक्र ग्रह है।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।