नासा ने बढ़ाई दिल की धड़कन, अंतरिक्ष से ही आएगी तबाही, जान बचाने को मिलेंगे सीर्फ 30 मिनट
इस दुनियां का सिद्धांत है कि जो होता है, उसका अंत भी निश्चित है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इस धरती का अंत भी होगा। दुनिया के खत्म होने की अफवाह समय-समय पर उड़ती रहती है। कभी किसी उल्कापिंड के टकराने से तो कभी भीषण सुनामी में धरती के डूबने की चेतावनी आपने कई बार सुनी होगी। अब तो सोशल मीडिया पर कई लोग खुद को टाइम ट्रैवलर बताकर भी भविष्य से जुड़ी बातें लोगों को बताते हैं। इनमें दुनिया की तबाही भी शामिल है। हालांकि, अभी तक की सारी भविष्यवाणियां गलत ही साबित हुई है। अब सवाल ये उठता है कि जब नासा ऐसी कोई वार्निंग जारी करता है तो लोगों के दिल की धड़कन बढ़ जाती है। नासा से कुछ इसी तरह की भविष्यवाणी कर दिल की धड़कनों को बढ़ा दिया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अमेरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा अंतरिक्ष की गतिविधि पर पैनी नजर रखती है। किस ग्रह की चाल कैसी है, कौन सा चट्टान धरती के आपस आ रहा है, जैसी तमाम चीजों पर नासा की नजर होती है। समय-समय पर नासा भी कई तरह की चेतावनी जारी करता रहता है। हाल ही में नासा ने ऐसा नया ऐलान किया। इससे हर किसी की दिल की धड़कन बढ़ जाएगी। नासा ने खुलासा किया है कि जब धरती पर प्रलय आएगी, तब लोगों के पास मात्र आधा घंटा होगा। यानी कोई भी तरीका लोगों को उनकी जान बचाने में मदद नहीं करेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अंतरिक्ष से ही आएगी तबाही
नासा के साइंटिस्ट्स के मुताबिक, अंतरिक्ष से आई तबाही ही धरती के अंत का कारण बनेगी। उनके मुताबिक, अंतरिक्ष में तूफ़ान आएगा, जो अपने चपेट में धरती को ले लेगा। इस सोलर स्टॉर्म की वजह से धरती पर आग की लपटें उठ जाएंगी। इस प्रलय से बचने का इंसान के पास मौका भी नहीं रहेगा। धरती तक आने में इस तूफान को सिर्फ आधा घंटा लगेगा। यानी इतने कम समय में ही धरती का विनाश हो जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बचाव के लिए स्पेस एजेंसी कर रही अध्ययन
स्पेस एजेंसी AI मॉडल की मदद से तबाही के बारे में सारी डिटेल्स निकाल रही है। इसके जरिये कैसे वॉर्निंग का सिस्टम डेवलप किया जाए, इसपर काम चल रहा है। नासा इस तकनीक पर काम कर रही है कि जब स्पेस से ये तूफान उठे, तो धरती पर इसकी जानकारी जल्दी पहुंच जाए। इसके लिए कई सैटेलाइट्स को काम पर लगाया गया है। वहीं, अभी तक ये देखा गया है कि जब स्पेस में तूफ़ान आता है तो ये सैटेलाइट सिग्नल देना बंद कर देते हैं। अब AI की मदद से शायद इस समस्या का समाधान मिल जाएगा।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।