नासा को मिली नई पृथ्वी, इसमें पानी का है महासागर, जीवन के संकेत, दुनिया भर के वैज्ञानिक हैरान
दुनिया भर के वैज्ञानिक हमारी पृथ्वी के अलावा दूसरे ग्रहों में जीवन की संभावनाों को लेकर खोज कर रहे हैं। इसके लिए अंतरिक्षक में उपग्रह भेजे जाते रहे। वहीं, मंगल और चांद के सतह पर रोबर तक उतारे गए हैं। अब एक खबर ये आ रही है कि अमेरिकी अंतरिक्ष ऐजेंसी नासा (Nasa) ने पृथ्वी के अलावा एक ऐसे ग्रह का पता लगाया है, जहां जीवन होने के अस्थायी सबूत मिले हैं। नासा के डेटा से पता चला है कि इस ग्रह पर पानी से ढकी सतह हो सकती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नासा का दावा
नासा के मुताबिक, पृथ्वी से कई प्रकाश वर्ष दूर एक विशाल एक्सोप्लैनेट पर एक दुर्लभ जल महासागर (Water Ocean) का पता चला है। यह एक्सोप्लैनेट पृथ्वी से 8.6 गुना बड़ा है। यहां मीथेन और कार्बन डाइ ऑक्साइड समेत कई अणुओं का पता चला है। यह खुलासा जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप के जरिए K2-18b में एक जांच के बाद हुआ है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मिले जीवन के संकेत
नासा के वैज्ञानिकों ने कई प्रकाश वर्ष दूर एक विशाल एक्सोप्लैनेट पर एक महासागर के होने का ऐलान किया है। उनकी मानें तो इसके साथ ही इस ग्रह पर संभावित जीवन की तरफ इशारा करने वाला एक रासायन भी मिला है। यह खोज नासा के जेम्स वेब टेलीस्कोप की तरफ से की गई है। एजेंसी को K2-18 b ग्रह के वातावरण की नई जांच में मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड समेत कार्बन के प्रभाव वाले अणुओं की उपस्थिति का भी पता चला है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नई खोज ने रिसर्च के लिए वैज्ञानिकों को किया प्रेरित
जेम्स वेब की खोज हाल के अध्ययनों से जुड़ती है जो बताती है कि K2-18 b एक हाइसीन एक्सोप्लैनेट हो सकता है, जिसमें हाइड्रोजन समृद्ध वातावरण और महासागर से ढंके होने की संभावना है। नासा ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है कि इस रहने योग्य क्षेत्र वाले एक्सोप्लैनेट के वायुमंडलीय गुणों के बारे में पहली जानकारी नासा के हबल स्पेस टेलीस्कोप से मिली है। इस नई तलाश ने आगे की रिसर्च के लिए वैज्ञानिकों को प्रेरित किया। नासा की मानें तो इस खोज ने सिस्टम के बारे में उनकी समझ को ही बदलकर रख दिया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जानिए इस ग्रह के बारे में
K2-18 b रहने योग्य क्षेत्र में ठंडे एकदम छोटे बौने से तारे K2-18 की परिक्रमा करता है। यह पृथ्वी से 120 प्रकाश वर्ष दूर है। K2-18 b जैसे एक्सोप्लैनेट का आकार पृथ्वी और नेपच्यून के बीच है। जो कि सौर मंडल की किसी भी चीज से काफी अलग है। नासा की मानें तो निकटवर्ती ग्रहों की कमी की वजह से इन ‘उप-नेपच्यून’ को अक्सर कम करके आंका जाता है। इसके अलावा उनके वायुमंडल की प्रकृति खगोलविदों के बीच सक्रिय बहस का विषय है। नासा की मानें तो K2-18 b एक हाइसीन एक्सोप्लैनेट हो सकता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि कुछ खगोलविद मानते हैं कि यह घटनाक्रम एक्सोप्लैनेट पर जीवन की तलाश की दिशा में नई उम्मीद देती हे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वैज्ञानिकों का तर्क
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के खगोलशास्त्री और इन नतीजों के बारे में बताने वाले लीड ऑथर निक्कू मधुसूदन ने बताया, ‘परंपरागत रूप से, एक्सोप्लैनेट पर जीवन की खोज मुख्य रूप से छोटे चट्टानी ग्रहों पर केंद्रित रही है। लेकिन बड़े हाइसीन दुनिया वायुमंडलीय धारणा के लिए काफी अनुकूल हैं।’ मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड का होना और अमोनिया की कमी इसी परिकल्पना का समर्थन करती है कि K2-18 b में हाइड्रोजन लैस वातावरण के नीचे एक महासागर हो सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
2015 में खोजा गया K2-18 b
बता दें, एक्सोप्लैनेट K2-18 b को नासा के K2 मिशन के हिस्से के रूप में 2015 में खोजा गया था। हाल के कुछ समय से वैज्ञानिक इस पर गहन अध्ययन कर रहे हैं। K2-18 b सौरमंडल के बाहर एक तारे की परिक्रमा करता है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।